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क्या होरमुज जलडमरूमध्य फिर तनाव की चपेट में है

१३ मई २०१९

होरमुज जलडमरूमध्य तेल कारोबार के लिए अहम होने के साथ ही कई दशकों से तनाव के घेरे में है. अमेरिका-ईरान के तनाव से इस इलाके का क्या लेना देना है.

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Straße von Hormus, Oman
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/NASA

सऊदी अरब के दो तेल टैंकरों को नुकसान पहुंचा है. घटना ऐसे वक्त में हुई है जब ईरान और अमेरिका का तनाव बढ़ा हुआ है. सऊदी अरब ने इसे "तोड़फोड़ की कार्रवाई" बताते हुए इसकी निंदा की है और इसे तेल की वैश्विक आपूर्ति की सुरक्षा को जोखिम में डालने की कोशिश बताया है. जिस जगह जहाजों को निशाना बनाया गया वह होरमुज जलडमरूमध्य के बाहर है. यहां से बड़ी संख्या में तेल के टैंकर गुजरते हैं.

Iran Seemanöver im Persischen Golf Straße von Hormus
तस्वीर: Mehr

संयुक्त अरब अमीरात ने एक दिन पहले जानकारी दी थी कि चार व्यापारिक जहाजों में फुजाइरा अमीरात के पास तोड़फोड़ की गई है. फुजाइरा अमीरात दुनिया के सबसे विशाल तेल बंकरों में से है जो होरमुज जलडमरूमध्य के बाहर है. संयुक्त अरब अमीरात ने यह जानकारी नहीं दी है कि इसके पीछे किन लोगों का हाथ है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस घटना को "चिंताजनक और भयानक" बताते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है.

होरमुज जलडमरूमध्य एक अहम रास्ता है जो मध्य पूर्व के तेल उत्पादक देशों को एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका और उससे भी आगे के बाजारों से जोड़ता है. यह जलमार्ग ईरान और ओमान को अलग करता है. साथ ही खाड़ी के देशों को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. इस जलडमरूमध्य की चौड़ाई सबसे कम जहां है, वहां 33 किलोमीटर है लेकिन जहाजों के गुजरने का रास्ता दोनों दिशाओं में महज तीन किलोमीटर है. 

यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन का आकलन है कि 2016 में इस जलमार्ग से हर दिन 1.85 करोड़ बैरल तेल गुजरा. यह सागर के जरिए एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले कुल तेल का करीब 30 फीसदी है. तेल के कारोबार का विश्लेषण करने वाली कंपनी वोरटेक्सा के मुताबिक 2017 में यह मात्रा 1.72 करोड़ बैरल प्रति दिन और 2018 के पहले छह महीने में ही 1.74 करोड़ बैरल प्रति दिन थी. फिलहाल वैश्विक बाजार में तेल की खपत करीब 10 करोड़ बैरल प्रति दिन है. तो इस लिहाज से दुनिया के तेल का तकरीबन 20 फीसदी यहां से गुजरता है.

Meerenge von Hormus | Schiffe in Tibat
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bildfunk/A. Haider

ज्यादातर कच्चा तेल सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक से आता है. यह सभी देश तेल निर्यातक देशों के संगठन के सदस्य हैं और इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा इस रास्ते का इस्तेमाल लिक्विड नेचुरल गैस यानी एलएनजी के लिए भी होता है. कतर इसका सबसे बड़ा निर्यातक है.

1980-88 के बीच हुए ईरान इराक युद्ध में दोनों देशों ने एक दूसरे के तेल निर्यात को धक्का पहुंचाने की कोशिश की थी जिसे टैंकर वॉर कहा जाता है. बहरीन में मौजूद अमेरिका के पांचवे बेड़े के पास इस इलाके में चलने वाले व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. अमेरिका और ईरान के बीच फिलहाल तनाव बढ़ा हुआ है. अमेरिका ने ईरान के साथ हुई परमाणु संधि तोड़ने के साथ ही किसी भी देश के ईरान के साथ तेल खरीदने पर रोक लगा दी है. चीन और भारत जैसे कुछ देशों को जो इसमें छूट मिली हुई थी वह भी अब खत्म हो गई है. अमेरिका ईरान पर दबाव बढ़ाने की कोशिश में है और उसका तेल निर्यात शून्य करना चाहता है.

ऐसी स्थिति में इस इलाके में तनाव बढ़ने की बात कही जा रही है. संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब होरमुज जलमरूमध्य का कोई विकल्प ढूंढ रहे हैं. इसके लिए ज्यादा पाइपलाइन बनाने की भी तैयारी है. इलाके में तनाव का नतीजा तेल टैंकरों को भुगतना पड़ा है. जुलाई 1988 में अमेरिकी जंगी जहाज ने एक ईरानी हवाई जहाज को मार गिराया. विमान में सवार 290 लोगों की मौत हो गई. बाद में अमेरिका ने इसे क्रू की गलती से हुआ हादसा बताया जिसने यात्री विमान को लड़ाकू जहाज समझ लिया. ईरान ने इसे जान बूझ कर किया गया हमला बताया.

जुलई 2008 में अमेरिका ने कहा कि ईरानी बोट उसके जंगी जहाजों को धमकी दे रहे हैं. जून 2008 में तब ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ रहे मोह्ममद अली जाफरी ने कहा था कि अगर हमला हुआ तो वे इस इलाके से तेल की ढुलाई पर नियंत्रण कर लेंगे. यह अकेला ऐसा मौका नहीं था जब ईरान की तरफ से ऐसी बात कही गई हो.

Meerenge von Hormus | Tanker
जापान का टैंकर एम स्टार जिसे निशाना बनाया गया था.तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/Mitsui O.S.K Lines

जुलाई 2010 में जापानी तेल टैंकर एम स्टार पर होरमुज के इलाके में हमला हुआ. इसकी जिम्मेदारी अल कायदा से जुड़े अब्दुल्ला आजम ब्रिगेड्स ने ली. जनवरी 2012 में ईरान ने अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंधों के जवाब में इस रास्ते को बंद करने की धमकी दी. यह प्रतिबंध ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने का दबाव बनाने के लिए लगाए गए.

मई 2015 में ईरानी जहाजों से सिंगपुर के झंडे वाले एक टैंकर पर गोलियां दागी गईं. ईरान का कहना था कि इस जहाज ने ईरान के ऑयल प्लेटफॉर्म को नुकसान पहुंचाया था. ईरान ने एक कंटेनर शिप को भी जब्त कर लिया. 2018 में भी ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने धमकी दी थी कि वे होरमुज के रास्ते से गुजरने वाले तेल पर रोक लगाएंगे. ईरान की इसी तरह की धमकियां तनाव की स्थिति में होरमुज को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ा देती हैं. 

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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