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क्यों आ जाती है ड्राइविंग करते समय नींद

३ अक्टूबर २०१९

गाड़ी चलाते समय नींद के झोंके आना बेहद खतरनाक हो सकता है. हाल की एक स्टडी दिखाती है कि इससे सबसे ज्यादा खतरा किसे है और इसकी वजह क्या होती है.

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Köln - LKW Fahrer Detlev Jordan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg

नींद की कमी और ऊपर से लंबी दूरी  तक गाड़ी चलाने की मजबूरी में अकसर ट्रक ड्राइवर इन्हीं सब कारणों से दुर्घटना के शिकार बन जाते हैं. यूरोप में ट्रक चलाने वाले ड्राइवरों पर करवाई गई एक स्टडी से यह समझने की कोशिश की गई कि वे बार बार नींद के झोंकों के शिकार कैसे बन जाते हैं. पर्याप्त नींद पूरी ना होना और सड़क पर गाड़ी चलाते हुए बेहद गतिहीन जीवनशैली जीने वाले ड्राइवरों को अकसर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया की समस्या हो जाती है. ऐप्निया का सबसे बड़ा खतरा मोटापा है. यूरोपियन लंग फाउंडेशन की कराई इस स्टडी में शामिल 70 फीसदी प्रतिभागी मोटापे के शिकार पाए गए और उसके कारण नींद में होने वाली सांस की तकलीफों की शिकायत थी. 

पता लगाना मुश्किल क्यों

गले की श्वास नली के संकरे होने के कारण नींद में सांस लेने में परेशानी आने लगती है. इसका नतीजा कई बार नींद टूटने के रूप में दिखाई देता है. इसकी प्रतिक्रिया में शरीर के भीतर एड्रीनेलिन नामक हार्मोन का स्राव होता है. यह हार्मोन धड़कनें तेज कर देता है. स्लीप ऐप्निया का एक लक्षण खर्राटों के रूप में भी दिखाई देता है. ऐप्निया के कारण नींद के अनियमित होते चले जाने से इंसान कभी गहरी नींद नहीं सो पाता और उसके कारण हमेशा थका थका सा रहने लगता है. इसी तरह की थकान के कारण ऐसे लोगों को बेवक्त नींद की धपकी यानि माइक्रोस्लीप आ जाती है.

जर्मनी के फाल्सक्लीनिकुम में स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख हंस-गुंटर वेस बताते हैं, "माइक्रोस्लीप का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है." इसके लक्षणों का जिक्र करते हुए वेस बताते हैं कि अगर कोई इंसान जल्दी जल्दी पलकें झपकाता है, खूब जम्हाइयां लेता है, बातें जल्दी भूलने लगता है या फिर नजरें कमजोर होने लगें तो ध्यान देना चाहिए.

एक्सीडेंट करवाने वाली कंडीशन

जर्मनी को देखें को 30 से 50 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं ट्रक ड्राइवरों के गाड़ी चलाते चलाते सोने के कारण होती हैं. वे केवल कुछ पल के लिए ही ऐसी माइक्रोस्लीप में पड़ते हैं लेकिन उतनी ही देर में कई बार बहुत देर हो जाती है. इंटरसोम कोलोन सेंटर फॉर स्लीप, मेडिसिन एंड रिसर्च में ऐसा पाया गया है.

स्लीप एक्सपर्ट वेस कहते हैं कि ये असल में सबसे खतरनाक किस्म के एक्सीडेंट होते हैं क्योंकि "ड्राइवर को पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है और ना ही वे इसकी प्रतिक्रिया दे पाता है." वेस ने बताया, "नींद की कमी के कारण होने वाले जानलेवा हादसे काफी आम हैं- अकसर इन मामलों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के मुकाबले दोगुने एक्सीडेंट होते हैं." 

नियम कानूनों से बचाव की कोशिश

यूरोपीय संघ में कानूनन ट्रक ड्राइवरों को हर दिन अधिकतम नौ घंटे ही ड्राइव करने की अनुमति है. इसके अलावा हर साढ़े चार घंटे गाड़ी चलाने के बाद ड्राइवरों को 45 मिनट का ब्रेक लेना होता है. नौ घंटे की ड्राइव से अगली ऐसी ड्राइव के बीच में भी कम से कम 11 घंटे का आराम का समय मिलना जरूरी है. सन 2014 से ईयू के प्रावधानों में स्लीपऐप्निया को सड़कों पर होने वाली दुर्घटना का एक अहम कारक माना गया है.

फिर भी सड़कों पर गाड़ी चलाते जाने की समरसता और ड्राइविंग के समय शरीर को हिलाने डुलाने की बहुत कम संभावना होने के कारण ड्राइवर उनींदे हो जाते हैं. अब यूरोपीय संसद में ऐसे नए नियम बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है जिनमें हर छह दिन काम करने के बाद ट्रक ड्राइवरों को एक होटल में कमरा लेकर कम से कम 45 घंटों का आराम करने की व्यवस्था हो. इसके बाद वे फिर से नींद पूरी कर तरोताजा होकर सड़कों पर उतर सकते हैं. कंपनियों को भी ये तय करना होगा कि उनके लिए काम करने वाले ड्राइवर कम से कम महीने में एक बार अपने घर लौट सकें.

अंटोनिया डीट्रिष/आरपी

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