1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

खून निकालने से घटता है बीपी

१७ जनवरी २०१३

रोमन सभ्यता में शरीर से खून निकाल कर ब्लड प्रेशर काबू करने में सफलता पाई गई थी, लेकिन इस इलाज से अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन समेत कई लोगों की मौत भी हुई. अब कुछ जर्मन रिसर्चर नए सिरे से इसके फायदे बता रहे हैं.

https://p.dw.com/p/178vB
तस्वीर: Fotolia/luchshen

बर्लिन के चैरिटी मेडिकल कॉलेज के रिसर्चर रक्तचाप के कई मरीजों का इलाज सदियों पुराने नुस्खे से कर रहे हैं. वे बीपी और शुगर समेत पाचन संबंधी बीमारियों के मरीजों का समय समय पर खून निकाल रहे हैं. खून में ज्यादा आयरन वाले मरीजों पर भी यह प्रयोग किया जा रहा है.

नतीजे चौंका रहे हैं. रिसर्चरों ने मरीजों के शरीर से दो बोतल खून निकाला. फिर उनकी पुरानी और नई मेडिकल रिपोर्ट की तुलना की गई. रिसर्च के प्रमुख आंद्रेआस मिखालसेन कहते हैं, चार से छह हफ्तों के भीतर इस प्रयोग को करने के बाद हमें "ब्लड प्रेशर में अहम कमी दिखी." खून भी पुराने तरीके से ही निकाला गया. त्वचा के ऊपर गर्म कप रख दिया गया और पास की नस से खून निकाला गया.

पुराने नुस्खे से प्रेरणा

जर्मनी में हो रहा यह शोध के हजारों साल पुराने इलाज का नया रूप है. चिकित्सा इतिहासकार लिंडसे फिट्जहैरिस के मुताबिक यह नुस्खा सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है. इसका इस्तेमाल पुरातन रोमन सभ्यता में भी किया जाता था.

ब्रिटेन के वेलकम ट्रस्ट की इतिहासकार लिंडसे फिट्जहैरिस कहती हैं, "दूसरी शताब्दी में रोमन फिजिशियन गालेन को लगा कि खून भोजन से ही बनता है. हम जब खाना खाते हैं तो भोजन पेट में पचता है और फिर यकृत में जाता है, जहां यह खून में बदलता है." गालेन को लगता था कि अगर जरूरत से ज्यादा खून निकाल दिया जाए तो शरीर 'संयमित और संतुलित' रहेगा.

Blutdruckmessung mit Blutdruckmessgerät
तस्वीर: Fotolia/Jürgen Fälchle

खतरा भी कम नहीं

आधुनिक चिकित्सा समुदाय भले ही गालेन के यूनानी इलाज को खारिज करता हो लेकिन लिंडसे फिट्जहैरिस के मुताबिक रोमन फिजिशियन का सिद्धांत गलत नहीं है. हां, इसमें जोखिम काफी है. खून निकालने की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा साफ सफाई की जरूरत पड़ती है. कितना खून निकाला जाए, यह तय करना भी बहुत अहम है. ज्यादा खून निकल जाए तो रोगी की हालत और बिगड़ जाएगी. उपकरणों की साफ सफाई से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

इतिहास में ऐसे उदाहरण मिले हैं, जब साफ-सफाई के अभाव में गालेन के तरीके खतरनाक साबित हुए. लिंडसे कहती हैं, "ज्यादातर समय खून निकालने से बड़ी समस्या पैदा हुई. रोगी ठीक होने के बजाए ज्यादा बीमार हुए." सदियों पहले ऐसा करते वक्त अक्सर चिकित्सक ज्यादा गहरा चीरा लगा देते थे, जिसकी वजह से बहुत ज्यादा खून बह जाया करता था.

इलाज की लंबी प्रक्रिया

इतिहास की किताबों में ऐसी भी कहानियां हैं जब कई घंटों तक लगातार रोगी के शरीर से खून निकाला गया. कई मरीजों की मौत हो गई. अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन की मौत भी बहुत ज्यादा खून निकालने की वजह से हुई.

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान साफ सफाई पर बहुत जोर देता है, लेकिन डॉक्टर अब भी इलाज के लिए खून निकालने से बचते हैं. बर्लिन के रिसर्चरों की उम्मीद है कि उनके प्रयोग से चिकित्सा विज्ञान इस तरीके को बेहतर ढंग से समझ सकेगा और खास किस्म के मरीजों का इलाज किया जा सकेगा.

रिपोर्ट: सोनिया अंगेलिका डिएन/ओएसजे

संपादन: महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें