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गंठीले गाजर और कुबड़ी ककड़ी की वापसी

आभा मोंढे/ ए जमाल३ जुलाई २००९

पूरे 20 साल बाद अब यूरोप में ककड़ी जितनी चाहे टेढ़ी हो सकती है और तरबूज़े का हरा रंग और उसकी सूरत नहीं देखी जाएगी. लेकिन सेब, टमाटर सहित 10 और फल सब्ज़ियों को अब भी सुंदरता के नियमों से दो चार होना होगा.

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टेढ़ी कुबड़ी ककड़ी का स्वागततस्वीर: picture-alliance/chromorange/DW-Montage

यूरोपीय संघ में 10 सेंटीमीटर की ककड़ी को सिर्फ़ 10 मिलिमीटर मुड़ने की इजाज़त थी. अगर उसने इससे ज़्यादा मुड़ने की जुर्रत की तो उसे बाज़ार से बाहर कर दिया जाता था. अगर गाजर में गांठ हैं तो उसे खाने लायक नहीं माना जाता था. जब तक ककड़ी सीधी, सुडौल नहीं होगी तब उसे बाज़ार में नहीं लाया जा सकता. यूरोपीय संघ में सिर्फ़ ककड़ी के लिए एक ख़ास नियम था. फलों सब्ज़ियों के लिए वज़न, रंग, आकार सबके लिये नियमों की स्केल थी. जो इस स्केल के बाहर, वो बाज़ार से बाहर. किसानों को बड़े जतन से ऐसी ख़ास उपज तैयार करनी पड़ती थी.

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नियमों में बंधा रहेगा सेबतस्वीर: dpa - Report

20 साल तक यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में इन नियमों का पालन किया गया लेकिन अब सब्ज़ियों और फलों की 26 किस्में अपने नैसर्गिक और प्राकृतिक रूप में बाज़ार में बेची जा सकेंगी. यूरोपीय संघ में कृषि कमिश्नर मारियान फिशर बॉयल ने कहा, "जुलाई से मुड़ी हुई ककड़ी और गांठ वाले गाजर बेचने की अनुमति होगी. यूरोपीय संघ के स्तर पर हमें इस तरह के नियम लागू करने की ज़रूरत नहीं है. इसे सुपर मार्केटों पर छोड़ देते हैं कि वे क्या करना चाहते हैं."

इसी के साथ ख़रीदारों को अब ज़्यादा विकल्प होंगे. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने लाल फ़ीते के एक हिस्से को काटने के बारे में नवंबर में हरी झंडी दे दी थी. इसी के साथ कई सौ पेजों वाली नियम क़ायदे की किताब से सौ पन्ने सीधे सीधे ग़ायब हो गए हैं.

नियमों से निजात मिलने वाले फलों और सब्ज़ियों में खुबानी, बैंगन, मफी, गाजर, गोभी, चेरी, ककड़ी, लहसुन, पहाड़ी बादाम, फूल गोभी, हरे प्याज़, ख़रबूज़, प्याज, मटर, आलूबुख़ारा, पालक, वालनट, तरबूज़ जैसी फल सब्ज़ियां हैं. इसके अलावा कुछ और यूरोपीय सब्ज़ियां और फल. लेकिन 10 और फलों सब्ज़ियों को अब भी मानकों पर खरा उतरना होगा. जिनमें सेब, किवी, नींबू जाति के फल, आडू, स्ट्रॉबैरी, अंगूर, और टमाटर शामिल हैं.

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ककड़ी का खेततस्वीर: dpa

अगर बात टमाटर की करें तो यह सही नहीं है कि टमाटर एक दूसके से जुड़ा हो. खेतों में आम तौर पर जुड़वां टमाटर पैदा होते हैं. लेकिन यूरोपीय बाज़ारों में ऐसे टमाटरों की जगह नहीं. जर्मनी में सेब बहुत होता है और घर घर में इसके पेड़ होते हैं. उस पर भी अगर कोई लेबल नहीं है तो वह बेचा नहीं जा सकता.

हालांकि ये जर्मनी के राज्यों पर निर्भर है कि वे टेढ़े मेढ़े सेब और संतरे बेचना चाहते हैं या नहीं, बशर्ते वे क़ायदे से सुंदर फलों और सब्ज़ियों से अलग बेचे जाएं और उन पर विशेष किस्म का लेबल लगा हो.

ककड़ी सीधी पैदा करने के पीछे दलील ये थी कि उसे अच्छे से पैक किया जा सकता है और यूरोपीय संघ के हर देश में एक जैसे नियम होने पर गुणवत्ता और क़ीमत में तुलना की जा सकती है. यूरोप में फल और सब्ज़ियों के बड़े उत्पादक देश फ्रांस और स्पेन इन मानकों को हटाने के ख़िलाफ़ थे. इसी कारण मानकों के समर्थकों ने ये सुनिश्चित किया कि टमाटर, सेब और नींबू प्रजाती के फल क़ायदे से चलते रहें क्योंकि ये यूरोप के व्यापार में तीन चौथाई योगदान देते हैं. ज़्यादा दूध देने वाली बकरी को कौन हलाल करना चाहेगा. फिर प्रकृति से खिलवाड़ ही क्यों न करना पड़े. तो यूरोपीय संघ की नौकरशाही जीवित रहने का अब भी स्कोप है.