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गरीबी हटाने, पर्यावरण बचाने नेता पहुंचे रियो

२१ जून २०१२

दुनिया भर के नेता संयुक्त राष्ट्र की रियो शिखर वार्ता में शिरकत कर रहे हैं. बुधवार शाम शुरू हुई इस वार्ता का लक्ष्य है दुनिया से गरीबी हटाना और पर्यावरण संरक्षण. इस पर कागजी कार्रवाई के लिए यह बातचीत हो रही है.

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तस्वीर: dapd

शिखर वार्ता के उद्धाटन के दौरान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने कहा, "बढ़ती हुई मुश्किलों को काबू में करने के लिए समय हमारे साथ नहीं है."

हाई प्रोफाइल रियो शिखर वार्ता में संयुक्त राष्ट्र के सभी 191 देश शामिल हो रहे हैं जिसमें 86 देशों के राष्ट्रपति भी शामिल हैं. 20 साल पहले रियो में ही एक अर्थ समिट हुई थी. इसमें सभी देशों ने जलवायु परिवर्तन, रेगिस्तान बनने से रोकने और प्रजातियों के लुप्त नहीं होने के लिए कदम उठाने की बात की थी.

रियो डी जेनेरो में हो रही इस अर्थ समिट के उद्घाटन के दौरान शहर में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे लोगों ने रंग बिरंगी रैली के साथ विरोध प्रदर्शन किया. वह अमेजन के जंगलों के नष्ट होने के विरोध और वहां के आदिवासियों की मुश्किलों के लिए प्रदर्शन कर रहे थे और प्रस्तावित ग्रीन इकोनॉमी के बारे में भी.

Rio+20 Konferenz 2012
तस्वीर: DW

इस मार्च में पर्यावरणवादी, कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, ब्लैक मिलिटैंट, समलैंगिक और आदिवासी शामिल हुए. आयोजकों ने दावा किया कि इस दौरान 50 हजार लोग इकट्ठा हुए लेकिन पुलिस इस संख्या को 20 हजार से भी कम बता रही है.

शिखर वार्ता में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद ने घोषणा की कि वह हिंद महासागर में दुनिया का सबसे बड़ा मरीन रिजर्व बनाएंगे ताकि वहां मछलियां और जैविक विविधता बनी रहे. उन्होंने कहा, "मालदीव दुनिया का सबसे बड़ा मरीन रिजर्व बन जाएगा, जहां टिकाऊ और इको फ्रैंडली तरीके से मछली पकड़ने की इजाजत होगी."

शुक्रवार तक 191 वक्ताओं को अपने विचार रखने हैं. इसके बाद रियो समिट में 53 पेज वाले मसौदे पर सहमति होगी. इसमें पर्यावरण की बेहतरी, नीतियों के जरिए गरीबों की बेहतरी के बारे में लिखा जाएगा. नीतियां ऐसी जो प्रकृति का दोहन नहीं करें बल्कि उसे बचा कर रखने में मदद कर सकें.

बान ने कहा, "दुनिया हमें देख रही है कि क्या हम यहां तय शब्दों को नीतियों में ढाल पाएंगे. और जैसा कि हम जानते हैं यह हमें करना ही होगा. भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें वैश्विक तरीके से सोचना है, आज से ही. क्योंकि समय हमारी तरफ नहीं है."

Gipfel der Völker in Rio de Janeiro 2012
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फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने ड्राफ्ट को एक अपर्याप्त कदम बताया, "मैं कहूंगा कि दुनिया के नेता एक सकारात्मक कदम उठाएं. बान ने कहा, हम जानते हैं कि आर्थिक विकास और सामाजिक बेहतरी का पुराना मॉडल टूट चुका है. रियो हमारे लिए मौका है कि हम इसे ठीक करें." जमा नेताओं को परेशानी है कि टिकाऊ विकास पर बात तो हो रही है लेकिन इस बारे में कोई कोष जमा नहीं किया गया है. ब्राजील के कोऑर्डिनेटर लुइस अलबर्टो फिगुएइरिडो कहते हैं, "आप कार्रवाई में लक्ष्य की बात नहीं कर सकते, जब आपके पास कोई कोष ही नहीं हो. आपको टेबल पर धन तो रखना होगा." 

शिखर वार्ता शुरू होने के बाद आठ विकास बैंकों ने घोषणा की है कि वे साढ़े सत्रह करोड़ डॉलर टिकाऊ यातायात व्यवस्था के लिए देंगे. वर्ल्ड बैंक, एशिया विकास बैंक, अफ्रीका, इंटर अमेरिका, सीएएफ बैंक ऑफ लैटिन अमेरिका और यूरोपीय विकास बैंक के साथ यूरोपीय निवेश बैंक और इस्लामिक विकास बैंक ने यह राशि देने का वादा किया है. सहस्त्राब्धि विकास लक्ष्यों को 2015 तक खत्म होना है. इनकी जगह टिकाऊ विकास लक्ष्य लेंगे. अक्सर लक्ष्य लिखे जाते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते.

पर्यावरणवादी इस शिखर वार्ता की खुले शब्दों में आलोचना कर रहे हैं. ग्रीनपीस इसे बड़ी असफलता कह रहा है वहीं डबल्यूडबल्यूएफ ने इसे काफी निराशाजनक बताया है. लंदन के एक गैर सरकारी संगठन ने कहा कि उसने अमेजन जंगलों को विरोध के तहत ईबे पर बेचने के लिए रखा है. इसकी शुरुआती कीमत 99 पेनी होगी. इकोसिस्टम को पैसे से तोलने के ब्रिटिश सरकार के जुनून का वह विरोध कर रहे हैं. वर्ल्ड डेवलपमेंट मूवमेंट की किर्स्टी राइट कहती हैं. "ब्रिटेन की सरकार प्रकृति की बिक्री के लिए ऊंची ऊंची बोलियां लगा रही हैं."

कोस्टा रिका के राष्ट्रपति लॉरा चिनचिला ने आलोचना की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल इस शिखर वार्ता में उपस्थित नहीं हुए.

एएम/आईबी (एएफपी, डीपीए)

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