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गरीबों की सेहत के लिए लड़ें: बिल गेट्स

२७ जून २०११

सबसे अमीर इंसानों में शामिल बिल गेट्स गरीबों के लिए लड़ना चाहते हैं. एड्स जैसी बीमारियों के लिए मुहिम चला रहे गेट्स का कहना है कि उस हिस्से की दुनिया को ज्यादा मेडिकल मदद की जरूरत है.

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तस्वीर: dapd

शिक्षा, सेहत और गरीबी के खिलाफ बिल गेट्स के बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन ने 1994 से विकासशील देशों में 33 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि खर्च की है. जर्मन शहर लिंडाऊ में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की बैठक के दौरान गेट्स ने कहा, "हमें सबसे गरीब लोगों की जरूरत के प्रति ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है."

इस अति प्रतिष्ठित सालाना सम्मेलन में माइक्रोसॉफ्ट के जनक बिल गेट्स को इसका मानद सीनेट चुन लिया गया. सॉफ्टवेयर की दुनिया से अरबों डॉलर कमाने वाले गेट्स ने कहा कि वह इस सम्मान को पाकर बेहद खुश हैं. उन्होंने अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों से आगे आने की अपील करते हुए कहा, "मैं समझता हूं कि विज्ञान करवट ले रहा है और नए दरवाजे खोल रहा है."

फाउंडेशन के चेयरमैन वोल्फगांग श्रूरर ने गेट्स की तुलना प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कारक गुटेनबर्ग से की. श्रूरर ने कहा, "जैसे छपाई शुरू होने के बाद किताबें हमारी जिन्दगी का हिस्सा बन गई थीं, वैसे ही बिल गेट्स की वजह से कंप्यूटर हमारे जीवन का अंग बन गया है." उन्होंने कहा कि बिल गेट्स की वजह से दुनिया बदल गई है.

लिंडाऊ में हर साल विज्ञान के नोबेल पुरस्कार विजेता और सैकड़ों युवा रिसर्चर जमा होते हैं. यह सिलसिला पिछले 61 सालों से चल रहा है और एक बार तो ऐसा मौका भी आया कि यहां युवा रिसर्चर के तौर पर आए वैज्ञानिक बर्ट जकमैन को बाद में नोबेल पुरस्कार दिया गया. इतना ही नहीं, एक बार ऐसा भी हुआ कि लिंडाऊ ने जर्मनी के युवा वैज्ञानिक क्लाउस फॉन क्लिटजिंग को बैठक में आने योग्य नहीं समझा और उन्हें मना कर दिया गया. लेकिन बाद में क्लिटजिंग ने फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार जीत लिया. बैठक का उद्घाटन करते हुए इसकी प्रेसिडेंट काउंटेस बेटिना बर्नाडोटे ने मजाहिया लहजे में कहा, "बैठक में शामिल होने का यह दूसरा तरीका है कि पहले आपको नोबेल पुरस्कार जीतना होगा."

इस साल वैश्विक स्वास्थ्य के मुद्दे पर चर्चा चल रही है, जिसमें मेडिकल जगत से जुड़े 23 नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल हुए हैं. यहां 80 देशों के 567 रिसर्चर जमा हुए हैं, जिनमें से 40 भारतीय हैं. यहां एड्स, मलेरिया और टीबी जैसी जानलेवा बीमारियों से लड़ने के अलावा नई एंटीबायोटिक दवाइयों पर भी चर्चा हो रही है.

हालांकि पिछले एक दशक में एचआईवी और एड्स के मामले करीब 20 फीसदी घटे हैं और दुनिया के कई देशों में मलेरिया पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है. लेकिन दूसरी ओर कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां पोलियो तक पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है. बिल गेट्स ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, "सांस्कृतिक और दकियानूसी वजहों से मांएं अपने बच्चों को पोलियो का टीका ही नहीं लगवातीं. यह एक बड़ी चुनौती है."

गेट्स को उम्मीद है कि जल्द ही मलेरिया का टीका बना लिया जाएगा. उनका फाउंडेशन 2020 तक टीके के विकास और मेडिकल रिसर्च के लिए नौ अरब डॉलर खर्च करेगा.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ, लिंडाऊ (जर्मनी)

संपादनः ओ सिंह