गायब होती बदसूरत कोयला खदानें
जर्मनी में कुछ बड़ी कोयला खदानों को बंद करने के बाद वहां मौजूद विशाल गड्ढे सामने आए. यह किसी सिरदर्द से कम नहीं थे. इस समस्या से कैसे निपटा जा रहा है, देखिए.
नीचे कोयला, ऊपर टूरिज्म
पूर्वी जर्मनी की लुसेतिया कोयला खदान में कभी 65,000 लोग काम किया करते थे. 1990 के दशक में खदानें बंद कर दी गईं और हजारों लोग बेरोजगार हो गए. स्थानीय लोगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने टूरिज्म को चमकाने का फैसला किया. अब 37,000 एकड़ इलाके में यूरोप का सबसे बड़ा वॉटर प्लेग्राउंड बन रहा है.
हर जगह पानी
ब्रांडेनबुर्ग और सैक्सनी राज्य की इन 25 झीलों में पानी बदलता रहता है. झीलों में जमीन से भी पानी आता है और स्प्री नदी से भी. लबालब होने के बाद पानी दूसरी झीलों को सप्लाई होता है और अंत में स्प्री नदी में वापस लौट जाता है.
पूरा कायाकल्प
जगह जगह बने गड्ढों को पानी से भर कर झीलों में बदला जा रहा है. तालाबों के किनारों को रेत से पाट दिया गया है. अब गर्मियों में लोग यहां धूप सेंकने और नहाने आने लगे हैं.
खदानों का स्वाद
अंगूर की खेती के लिए ढलान वाली जमीन को मुफीद माना जाता है. खदान में भी ऐसी कई ढलानें हैं. अब कोरनेलिया वोबर जैसे लोग वहां अंगूर उगा कर वाइन भी बना रहे हैं. 2008 से योहानिटर या पिनोटिन नाम की यह वाइन बाजार में है और काफी लोकप्रिय है.
कैरेबियन अहसास
पानी के अम्लीय गुणों को कम करने के लिए लेक पार्टवित्स में चूना डाला गया. इसकी वजह से झील में कैरेबियाई लुक सा आ गया. 2015 में पूरी तरह भरी यह झील अब तैराकी के लिए सुरक्षित है.
जर्मनी की सबसे बड़ी स्विमिंग लेक
2019 की शुरुआत में एनर्जी ग्रुप LEAG ने कॉटबुस के पास लेक ओस्टजे को भरना शुरू किया. जनता के लिए इसे खोलने से पहले झील में 10 लाख घनमीटर पानी भरना होगा. यह काम 2025 तक पूरा होगा. फिर यह जर्मनी की सबसे बड़ी स्विमिंग लेक होगी.
पानी का स्रोत
पुरानी कोयला खदान को झील में बदलना इतना आसान भी नहीं है. सबसे पहले जमीन दबाई जाती है ताकि भूस्खलन न हो. इसके लिए खास वाइब्रो-कंप्रेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. अगर पानी भरने के बाद जमीन कटी तो आस पास के इलाके में बाढ़ आ जाएगी.
इस तरह का हादसा
अगर सावधानी न बरती जाए तो ऐसे हादसे हो सकते हैं. 18 जुलाई 2009 को मध्य जर्मनी में भूस्खलन का ऐसा ही हादसा हुआ. हादसे में तीन लोग मारे गए. जांच रिपोर्ट के मुताबिक तालाब के दबाव और ढीले पड़े मैटीरियल के कारण यह नौबत आई.
टिकाऊ भविष्य
ग्रीनपीस एनर्जी पुरानी कोयला खदानों के साथ एक प्रयोग करना चाहती है. वह विवादों में घिरी ऊर्जा कंपनी RWE ग्रुप से 2020 में एक खदान खरीदना चाहती है. खदान को 2025 में बंद कर दिया जाएगा और वहां स्वच्छ ऊर्जा पैदा की जाएगी. हालांकि अभी तक RWE ने खदान बेचने पर हामी नहीं भरी है.(रिपोर्ट: थेरेसा क्रिनिंगर/ओएसजे)