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समाज

गोल-मटोल, मटकती आंखों वाला टीचर बना बच्चों का फेवरेट

३० अगस्त २०१८

दिखने में छोटा, गोल-मटोल और चमकीली आंखों वाला एक टीचर चीन के बच्चों को काफी पसंद आ रहा है. इसे देखकर बच्चे हंसते-खिलखिलाते क्लास में पढ़ते हैं. इस टीचर का नाम कीको है और यह एक रोबोट है.

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China Roboter Kindergarten Keeko
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Baker

अब तक चीन में रोबोट का इस्तेमाल सामानों की डिलिवरी, बुजुर्गों की सहायता या कानूनी सलाह देने में किया जा रहा था, लेकिन अब ये बच्चों को पढ़ाएंगे भी. करीब 2 फीट लंबे रोबोट टीचर कीको को देखकर किंडरगार्टन के बच्चे खुशी से झूम उठते हैं. कीको टीचर बच्चों को क्लासवर्क देते हैं और चेक भी करते हैं. यह बच्चों को कहानियां सुनाते हैं और लॉजिकल प्रॉब्लम को सॉल्व करते हैं. इतनी सारी खूबियों वाला यह रोबोट टीचर चीन के कई किंडरगार्टन क्लासेज में हिट हो चुका है. इसमें इनबिल्ट कैमरा, नैविगेशन सेंसर और वीडियो रिकॉर्ड करने की भी क्षमता है.

पहेली सुलझाने में मदद

पिछले दिनों बीजिंग से नजदीक यिसविंड इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीकल्चरल एजुकेशन में बच्चों को एक पहेली सुलझाने का टास्क दिया गया. इसमें बच्चों को एक राजकुमार की मदद करनी थी जिससे वह रेगिस्तान में रास्ता ढूंढ सके. रोबोट ने कहानी सुनाते हुए और प्रॉब्लम को सुझाते हुए बच्चों को रास्ता ढूंढने में मदद की. हर बार बच्चों ने सही रास्ता ढूंढा और गोल-मटोल रोबोट ने अपनी आंखें खुशी से चमकाई. बच्चों के लिए यह काफी उत्साहवर्धक था.

कीको रोबोट सियामन टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली टीचर कैंडी सियॉन्ग कहती हैं, ''आज शिक्षा का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि टीचर पढ़ाए और बच्चों उसे याद कर ले.'' वह कहती हैं, ''जब बच्चे कीको रोबोट के गोल शरीर को देखते हैं तो उन्हें यह प्यारा लगता है. वह फौरन इससे जुड़ जाते हैं.''

600 से अधिक किंडरगार्टन में कीको रोबोट पहुंच चुका है. इसके निर्माताओं को उम्मीद है कि यह चीन और दक्षिण एशिया के इलाकों में जाएगा.

रोबोट बनाने में चीन अव्वल

''मेड इन चाइना 2025'' मिशन के तहत चीनी सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने के लिए काफी राशि निवेश की है. पिछले साल एक चीनी कंपनी ने इंसानों की शक्ल वाले रोबोट लॉन्च किए जो रोजमर्रा के काम कर सकते थे. 

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोर्ट के मुताबिक चीन के पास दुनिया के बेहतरीन इंडस्ट्रियल रोबोट का स्टॉक है. करीब 3.40 लाख फैक्टरियां देश भर में फैली हैं जो रोबोट बनाती हैं. रोबोर्ट सर्विस देने वाले डिवाइस जैसे मेडिकल उपकरण या वैक्यूम क्लीनर का बाजार करीब पिछले साल 1.32 अरब डॉलर था. एक रिसर्च के मुताबिक यह बाजार 2022 तक 4.9 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. 

पिछले हफ्ते बीजिंग ने वर्ल्ड रोबोट कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें ऐसे मशीनें दिखाई गईं जो बीमारियों को पहचान सकती हैं, बैडमिंटन खेल सकती हैं और दर्शकों का संगीत से मनोरंजन कर सकती हैं. यही नहीं, पिछले साल बीजिंग में दो फीट लंबा बौद्ध भिक्षु रोबोट बनाया गया जो मंत्रों का उच्चारण कर सकता था और लोगों को निर्वाण के बारे में जानकारी दे सकता था.

इंसानों की शक्ल वाला सबसे नवीनतम रोबोट आईपाल की मदद से लोग घरेलू काम कर सकते हैं. यह 2015 में जापान के सॉफ्टबैंक द्वारा लॉन्च हुए रोबोट 'पेपर' जैसा है जो रोजमर्रा के काम कर सकता है.

क्या रोबोट लेंगे इंसानों की जगह?

हालांकि किंडरगार्टन की प्रिंसिपल साई यी का मानना है कि रोबोट्स को इंसानों की जगह लेने में अभी लंबा वक्त लगेगा. वह कहती हैं, ''पढ़ाते वक्त आपसी बातचीत, आंखों का मिलना, चेहरे के भाव और इंसानों का छूना जरूरी है. ये ऐसी चीजें हैं जो शिक्षा को पूरा करती हैं.'' उनके मुताबिक कीको रोबोट्स की कीमत करीब 10 हजार युआन (करीब 1500 डॉलर) होती है जो एक किंडरगार्टन टीचर की सैलरी के बराबर है और इसके अपने फायदे हो सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि रोबोट्स की सबसे खास बता क्या है, वह हंसते हुए कहती हैं, ''रोबोट इंसानों के मुकाबले ज्यादा स्थायी होते हैं.''

वीसी/ओएसजे (एएफपी)

किस देश में कितने रोबोट कर्मचारी

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