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चमगादड़ों की मौत से अरबों का नुकसान

१ अप्रैल २०११

अमेरिका में रहस्यमयी बीमारी से चमगादड़ों की मौत हो रही है और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों का नुकसान हो रहा है. यहां पांच साल में 10 लाख से ज्यादा चमगादड़ों की मौत हो गई है.

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तस्वीर: Greg Thompson/USFWS

फंगस से पैदा होने वाली व्हाइट नोज सिंड्रोम ने उत्तर अमेरिका में लाखों चमगादड़ों का जीवन लील लिया है. इसकी पवन चक्कियों में भी फंस कर चमगादड़ों की मौत हो रही है. अनुमान है कि 2006 के बाद से यहां 10 लाख चमगादड़ों की मौत हो चुकी है.

मशहूर विज्ञान पत्रिका साइंस में प्रकाशित रिसर्च में कहा गया है कि इनकी मौत का मतलब है कि एक प्राकृतिक कीटनाशक खत्म हो रहा है. वे लगभग 3.7 अरब डॉलर के बराबर कीटनाशकों का काम अकेले कर देते थे. यह रिसर्च अमेरिकी और दक्षिण अफ्रीकी शोधकर्ताओं ने की है.

व्हाइट नोज सिंड्रोम के बारे में ज्यादा पता नहीं लग पाया है. यह फंगस से फैलने वाली बीमारी होती है, जो आम तौर पर प्रजनन के दौरान होती है. इस बीमारी का असर चमगादड़ों की सात पुश्तों तक होती है. अमेरिका में 2006 में ही इस बीमारी का पहली बार पता लग पाया, जब न्यू यॉर्क के पास अलबानी गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों पर प्रयोग किए गए. इसके बाद से लाखों चमगादड़ इस बीमारी से मर चुके हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ टेनिसी में पारिस्थितिकी और विकासमूलक जैव विज्ञान विभाग के प्रमुख गैरी मैकक्रैकेन का कहना है, "चमगादड़ों के बगैर खेती और फसलों पर प्रभाव पड़ता है. कीटनाशकों की जरूरत बढ़ जाती है." मैकक्रैकेन के साथ दक्षिण अफ्रीका के यूनिवर्सिटी ऑफ प्रीटोरिया के जस्टिन बोएल्स, अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के पॉल क्रायन और बॉस्टन यूनिवर्सिटी के थॉमस कुंज ने इस रिसर्च को पूरा किया है.

आशंका जाहिर की गई है कि 2020 तक पवन चक्कियों की वजह से मध्य अटलांटिक हाइलैंड में हर साल 33,000 से एक लाख 10 हजार चमगादड़ मारे जाएंगे. रिसर्च में सिर्फ कीटनाशकों से होने वाले नुकसान का जिक्र किया गया है. इसमें कीटनाशकों की वजह से पर्यावरण, मानव और जंतुओं को होने वाले नुकसान को नहीं शामिल किया गया है.

मैकक्रैकेन का कहना है, "कोई कदम नहीं उठाना आपका विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि जिस तरह से इन स्तनधारियों का प्रजनन हो रहा है और जिस तरह से इन्हें नुकसान हो रहा है, इनकी संख्या को अगले दशकों बल्कि शताब्दियों में भी नहीं संभाला जा सकेगा."

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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