चुनाव जर्मनी में और गठबंधन कीनिया और जमैका के, कैसे?
जर्मनी में नई सरकार बनाने के लिए संसद में 50 प्रतिशत से एक सीट ज्यादा यानि स्पष्ट बहुमत चाहिए, लेकिन किसी पार्टी को अकेले दम पर इतना समर्थन नहीं मिलता.
किसका क्या रंग है
चांसलर अंगेला मैर्केल की कंजरवेटिव सीडीयू-सीएसयू पार्टी का रंग काला माना जाता है. वहीं मध्यमार्गी वामपंथी पार्टी एसपीडी का प्रतीक लाल रंग है. कारोबारी समर्थक पार्टी एफडीपी को पीले रंग से दर्शाया जाता है जबकि पर्यावरण के लिए खास तौर से सक्रिय ग्रीन पार्टी का रंग हरा है. जर्मन मीडिया में इन पार्टियों के मेल से बनने वाले अलग-अलग संभावित गठबंधनों को खास नामों से पुकारा जाता है.
काला, लाल और ग्रीन यानी कीनिया गठबंधन
अगर सीडीयू, एसपीडी और ग्रीन पार्टी मिल जाएं तो इसे कीनिया गठबंधन कहा जाएगा, क्योंकि इन तीनों रंगों का मिलन अफ्रीकी देश केन्या के राष्ट्रीय ध्वज में देखने को मिलता है. तीनों पार्टियों के गठबंधन के पास स्पष्ट बहुमत होगा. तीनों पार्टियां जर्मन राज्य ब्रांडेनबुर्ग में मिलकर सरकार चला रही हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
काला, पीला और हरा यानी जमैका गठबंधन
सीडीयू/सीएसयू अगर एफडीपी और ग्रीन पार्टी के साथ गठबंधन करें तो उनके गठबंधन को जमैका गठबंधन कहा जाएगा. ये तीनों रंग मिलकर कैरेबियाई देश जमैका का राष्ट्रीय ध्वज बनाते हैं. लेकिन ग्रीन पार्टी और एफडीपी को साथ लाना आसान नहीं है. कई मुद्दों पर उनके मतभेद हैं. 2017 में भी राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें एक साथ लाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई थीं.
काला, लाल और पीला यानी जर्मन गठबंधन
सीडीयू/सीएसयू, एसपीडी और एफडीपी के रंगों को मिला दें तो आपके सामने जर्मनी का राष्ट्रीय ध्वज होगा. यह गठबंधन बनें तो संसद में बहुमत आराम से हासिल किया जा सकता है. अगर यह गठबंधन होता है तो कारोबारी और ऊंची आय वालों का इसे भरपूर समर्थन होगा. लेकिन अगर एसपीडी गठबंधन का नेतृत्व करती है यानी लाल, काला और पीला हुआ तो सरकार की प्राथमिकताएं कुछ बदल सकती हैं.
लाल, लाल और हरा
एसपीडी पार्टी अगर वामपंथी पार्टी डी लिंके और ग्रीन पार्टी के साथ गठबंधन बनाएं, तो सीडीयू को सत्ता से बाहर रहना पड़ सकता है. जाहिर है मैर्केल की सीडीयू पार्टी के लिए यह बड़ा झटका होगा. लेकिन एसपीडी और लिंके पार्टी के बीच ऐतिहासिक मतभेद रहे हैं. विदेश नीति पर वामपंथी पार्टी का अतिवादी नजरिया विश्व स्तर पर जर्मनी के संबंधों को प्रभावित कर सकता है.
लाल, पीला और हरा- ट्रैफिक लाइट गठबंधन
मुक्त बाजार समर्थक नीतियों की वकालत करने वाली एफडीपी पार्टी अतीत में इस बात से इनकार करती रही है कि वह एसपीडी और ग्रीन के बीच सैंडविच बनेगी. लेकिन इस साल एफडीपी पार्टी ने किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया है. जर्मनी में पारंपरिक तौर पर किंग मेकर रही यह पार्टी सत्ता में आने को बेकरार है, भले ही उसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना पड़े.
काला और लाल यानी महागठबंधन
जर्मनी की दो सबसे बड़ी पार्टियों सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी पार्टी के गठबंधन को महागठबंधन कहा जाता है. बीते आठ साल से यही दोनों पार्टियां सत्ता में हैं. लेकिन गठबंधन का नेतृत्व सीडीयू/सीएसयू के हाथ में है. इस बार भी इनका गठबंधन हो सकता है. देखने वाली बात यह होगी कि अंतिम नतीजों में किस पार्टी को बढ़त मिलती है. दोनों पार्टियों का फिर से गठबंधन बनने की स्थिति में चांसलर उसी पार्टी का होगा.