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चेनहुआ डाटा लीक से चीन के 'हाइब्रिड वारफेयर' का खुलासा

२९ सितम्बर २०२०

एक चीनी डाटा कंपनी ने कथित तौर पर बीजिंग की खुफिया एजेंसियों के लिए दुनिया भर के लाखों लोगों की जानकारी जुटाई है. विश्लेषकों का कहना है कि लोकतांत्रिक देशों को ओपन सोर्स डाटा के रणनीतिक उपयोग की अधिक चिंता करनी चाहिए.

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China Symbolbild Cyber-Überwachung
तस्वीर: Colourbox/B. Korber

ऑस्ट्रेलिया की एक साइबर सुरक्षा कंसल्टेंसी कंपनी ने इस महीने के शुरू में एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन किया. इसके अनुसार चीनी खुफिया एजेंसियों के लिए दुनिया भर के 20 लाख से ज्यादा लोगों का व्यक्तिगत डाटा इकट्ठा किया गया. इस सूची में नरेंद्र मोदी और बोरिस जॉनसन जैसी राजनीतिक हस्तियां, उनके परिवार, रतन टाटा जैसे प्रमुख उद्यमियों, सभी रैंकों के भारतीय और अमेरिकी सेना अधिकारी, वरिष्ठ राजनयिक, शिक्षाविद, मशहूर हस्तियां, सामान्य लोग और यहां तक ​​कि गैंगस्टर भी शामिल हैं. ये जानकारियां चीन की मीडिया-डाटा कंपनी शेनचेन चेनहुआ ​​डाटा इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा सोशल मीडिया प्रोफाइल जैसे खुले स्रोतों से खंगाली गई थीं.

चेनहुआ ​​डाटा आधारित खुफिया जानकारी प्रदान करता है. विश्लेषकों के अनुसार इसके दो मुख्य ग्राहक चीनी राजकीय सुरक्षा मंत्रालय और चीन की आर्मी हैं. पहली नजर में, यह जानकारी बहुत सामान्य लगती है, जन्मतिथि, राजनीतिक संगठन और वैवाहिक स्थिति, पारिवारिक वृक्ष, बैंक विवरण, नौकरी के लिए आवेदन, थिंक-टैंक के साथ संवाद, सैन्य सेवा रिकॉर्ड. इसमें से अधिकांश जानकारी ट्विटर, लिंक्ड-इन या फेसबुक से ली गई है.

लेकिन इस खबर को लीक करने वाले अमेरिकी रिसर्चर क्रिस्टोफर बाल्डिंग ने डॉयचे वेले को बताया कि चीनी खुफिया एजेंसियां इन जानकारियों को बड़े सूचना अभियानों के जरिए वैश्विक जनमत को प्रभावित करने के उद्देश्य से रणनीतिक रूप से इकट्ठा कर रही हैं. "वास्तविकता यह है कि ओपन सोर्स इंटेलिजेंस बहुत मूल्यवान है. यह संभवत: सरकारों या खुफिया एजेंसियों को अधिकांश कार्रवाई योग्य सामग्री प्रदान करता है."

बाल्डिंग पहले शेनचेन में रहते थे लेकिन सुरक्षा चिंताओं की वजह से वियतनाम चले गए. इस डाटाबेस को चीन के अंदर चेनहुआ से जुड़े एक अनाम स्रोत ने बाल्डिंग को दिया. बाल्डिंग ने इसे ऑस्ट्रेलियाई साइबर सुरक्षा कंपनी इंटरनेट 2.0 के साथ साझा किया. इस कंपनी ने डाटा का विश्लेषण किया. बाल्डिंग और इंटरनेट 2.0 के संस्थापक रॉब पॉटर ने डाटा के विश्लेषण के बाद एक साझा रिपोर्ट में कहा, "चीन के बारे में पता है कि वह एक तकनीकी निगरानी वाले निरंकुश राज्य का निर्माण कर रहा है. संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वह विदेशी शख्सियतों और संस्थानों की जानकारी जुटाने और प्रभावित करने के लिए चीन के डाटा जुटाने का "पहला प्रत्यक्ष सबूत" है.

China Überwachungskameras in Xianjiang
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Baker

एक क्लिक पर अहम जानकारी

चेनहुआ "चाइना रिवाइवल" नाम से भी काम करता है. उसने इस डाटाबेस का नाम ओवरसीज की इंफॉर्मेशन डाटाबेस (ओकेआईडीबी) रखा है. इसमें दुनिया भर के 24 लाख लोगों और 650,000 संगठनों के नाम हैं. इस जानकारी को 2.3 अरब न्यूज आर्टिकलों और 2.1 अरब सोशल मीडिया पोस्टों से जमा किया गया था. डाटाबेस के विश्लेषण से पता चला कि इसमें कम से कम 52,000 अमेरिकियों, 35,000 ऑस्ट्रेलियाई, 10,000 ब्रिटिश और 10,000 भारतीयों की जानकारी है. बाल्डिंग ने कहा कि ओकेआईडीबी में उन व्यक्तियों और संस्थानों की सूचना है जिन्हें चीन प्रभावशाली या महत्वपूर्ण मानता हैं. इंटरनेट 2.0 के विश्लेषण से यह भी पता चला कि डाटाबेस ने लोगों के महत्व का पता करने के लिए "स्कोरिंग" अल्गोरिदम का उपयोग किया था. बाल्डिंग ने कहा, "चेनहुआ ​​स्पष्ट रूप से लक्ष्यीकरण के आधार पर व्यक्तियों और संस्थानों का वर्गीकरण कर रहा है." उन्होंने कहा कि यह डाटाबेस सूचना को जमा करने के लिए नहीं था, बल्कि रिश्तों और नेटवर्क मैपिंग के आधार पर व्यक्तियों को खोजने और एक दूसरे से जोड़ने को आसान बनाने के लिए बनाया गया था.

बाल्डिंग का कहना है , "यह स्पष्ट रूप से लोगों का संयोग से हुआ वर्गीकरण नहीं है. हमें यह समझने की जरूरत है कि यह डाटाबेस बहुत स्पष्ट उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था." उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि वे प्रौद्योगिकी पाने या संस्थानों को प्रभावित करने के मकसद से लक्ष्यों की सूची तैयार कर रहे थे." इंटरनेट 2.0 के विश्लेषण के अनुसार, डाटाबेस में शामिल 20 फीसदी तक डाटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था. संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारे पास विश्वास करने के कारण है कि कुछ डाटा हैकिंग जैसे अनाधिकृत डाटा एक्सेस से आया है, लेकिन हम पक्की तरह नहीं कह सकते हैं."

हाइब्रिड वारफेयर क्या है?

चेनहुआ ​​ढेर सारी चीनी डाटा संग्रह कंपनियों में से एक है. बाल्डिंग और इंटरनेट 2.0 के विश्लेषकों का कहना है कि "यह चीन द्वारा नागरिक-सैनिक गठजोड़ का अनूठा नमूना है जो निजी कंपनियों के साथ मिलकर खुफिया जानकारी एकत्र करने जैसे सरकारी अभियानों में काम करते हैं. चीनी "हाइब्रिड वारफेयर" ऑपरेशन पर वाशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज द्वारा जुलाई 2020 में जारी एक रिपोर्ट में अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में इसे "प्रतिस्पर्धा को पारंपरिक लड़ाई में उकसाए बिना चीनी हितों को बढ़ाने" वाली कार्रवाई बताया.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन में चीन ने विदेशों में चीन समर्थक गतिविधियों के जरिए अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है. बीजिंग के प्रचार तंत्र "अंतर्राष्ट्रीय संपर्क विभाग" का भी पुनर्गठन किया गया है ताकि वह सूचना अभियानों और विदेशी अधिकारियों तथा कारोबारी नेताओं के साथ संपर्क कर कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्यों को आगे बढ़ा सके.

डाटा क्या है?

हर जगह है बिग डाटा

बेशक बिग डाटा संग्रह चीन तक सीमित नहीं है. ओपन सोर्स डाटा का संग्रह अमेरिका और अन्य सरकारों द्वारा वैश्विक निगमों और तकनीकी कंपनियों के साथ भी किया जाता है. चेनहुआ ​​की गतिविधियों की तुलना 2016 के कैंब्रिज एनालिटिका घोटाले से की जा सकती है, जिसमें 2 करोड़ से अधिक फेसबुक खातों के डाटा को यूजर्स की अनुमति के बिना इकट्ठा जा रहा था. हालांकि, विश्लेषकों ने चीन के साथ इस अंतर की ओर भी ध्यान दिलाया है कि चीन में डाटा संग्रह ऐसी सरकार की ओर से किया जा रहा है जो निरंकुशवादी प्रवृत्तियां दिखा रही है.

बाल्डिंग का कहना है कि चेनहुआ ​​जिस डाटा को इकट्ठा कर रहा है, वह निश्चित रूप से उस उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया गया है. बाल्डिंग का कहना है, "फेसबुक आपका डाटा सेव कर रहा है ताकि वह आपको चीजें बेच सके. वह कह सकता है कि 'उन जूतों की जोड़ी पर क्लिक करें जिन्हें आप पिछले दिनों देख रहे थे." 

वे कहते हैं कि चेनहुआ ​​जिस डाटा को इकट्ठा कर रहा है, उसका निश्चित रूप से उस उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं हो रहा है. बाल्डिंग के अनुसार, "हम इस कंपनी को चीन की सुरक्षा और सैन्य खुफिया एजेंसियों के साथ बहुत करीब से जोड़ सकते हैं. चेनहुआ ​​के डाटाबेस में जो चीजें हम देखते हैं, उनमें से एक यह है कि विभिन्न प्रकार के डाटा के आधार पर वह बड़ी संख्या में लोगों का जियो लोकेशन पता कर सकता है."

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तस्वीर: Imago/M. Chebil

डाटा का उपयोग किसलिए

विश्लेषक इस संभावना की तलाश कर रहे हैं कि चीनी खुफिया एजेंसियां फेसबुक या ट्विटर पर तस्वीरों के लोकेशन फीचर का इस्तेमाल अमेरिकी सैनिक अधिकारियों को ट्रैक करने के लिए कर रही है. बाल्डिंग ने कहा, "हम निचले रैंक के लाखों सैनिकों के बारे में बात कर रहे हैं. वे उनके ट्विटर और फेसबुक को फॉलो कर रहे हैं ताकि वे उनके ठिकाने का पता कर सकें." वे कहते हैं, "मुझे लगता है कि इस तरह के माहौल से उपयोगी जानकारी निकालने की उनकी क्षमता बहुत दिलचस्प है और बहुत से लोगों के लिए चिंताजनक होनी चाहिए."

बाल्डिंग चेतावनी देते हैं कि पश्चिमी देशों में लोग और संस्थाएं चीन के निगरानी वाले राज्य और ऑपरेशनों को प्रभावित करने के लिए बीजिंग द्वारा संसाधनों का इस्तेमाल किए जाने के पैमाने को कम आंक रहे हैं. वे कहते हैं, "जब लोकतांत्रिक देशों को निरंकुशवादी खतरों का सामना करना पड़ता है जो व्यक्तियों, राजनेताओं या विश्वविद्यालयों को प्रभावित करना चाहते हैं, तो उन्हें संभवतः नागरिकों के लिए डाटा गोपनीयता और डाटा सुरक्षा के मानकों पर पुनर्विचार करना चाहिए. सोशल मीडिया के यूजरों को दूसरों के साथ सूचना साझा करने की स्वतंत्रता को समाप्त किए बिना अधिक से अधिक सुरक्षा प्रदान करने के कई तरीके हैं."

रिपोर्ट: वेस्ली रान, विलियम यांग

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