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चेरी किस से मियां बीवी के झगड़े तक

३ मई २०१३

डायरियां बहुत निजी होती हैं. आम तौर पर दूसरों की डायरी पढ़ी नहीं जाती. लेकिन जर्मनी में लोग खुद एकदम अंजाने लोगों को अपनी डायरी के पन्ने पढ़कर सुनाने लगे हैं. यह हो रहा है डायरी स्लैम के मंच पर.

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तस्वीर: DW/J. Albrecht

कुछ नर्वस सी, लेकिन चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट लिए आन्या अपने बैग से एक छोटी सी किताब निकालती है. हल्की नीली पुस्तिका पर हाथ से "30.12.78-10.09.79" लिखा है. उस समय आन्या ने डायरी लिखनी शुरू की थी. वे आज भी डायरी लिखती है. एक समय ऐसा आया था जब वे सारी डायरियां जला देना चाहती थीं, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं. जब उन्होंने डायरी स्लैम के बारे में सुना तो बक्से में बंड पड़ी पुरानी डायरियां निकाल लाईं. अकाउंटेंट का काम करने वाली 45 वर्षीय आन्या कहती हैं, "आपको बहुत सी ऐसी चीजों की याद आ जाती है, जिसे आप याद करना नहीं चाहते."

इसके बावजूद आन्या अपनी डायरी में छुटपन में दर्ज किए गए विचार लोगों के सामने पेश करना चाहती है. वे कहती हैं, "डायरी में अत्यंत खुशनुमा और अत्यंत उदासी के पलों के बीच कुछ भी नहीं." डायरी स्लैम की शुरुआत दो साल पहले हैम्बुर्ग अल्टोना के आलहाउस में हुई. तब से हर महीने 80 के करीब लोग आते हैं. आज भी इस पुराने पब में सारी कुर्सियां और सोफे भरे हैं. आन्या 1979 की अपनी डायरी निकाल कर वाइन के डिब्बे पर रख देती है, जिसे वक्ता के लिए मेज बना दिया गया है. उस समय वह 11 साल की थी.

Diary Slam
आन्यातस्वीर: DW/J. Albrecht

आन्या डायरी के अंश सुनाती है, "आज मेरी पार्टी थी. हमने जमकर डांस किया और उसके बाद गेम्स खेले. सबसे पहले चेरी किस." लोग उत्साहित हैं. मामला पहले चुंबन और लड़कों में दिलचस्पी का है. पब में जमा लोगों के लिए यह अपने बचपन में वापस लौटने जैसा है. ज्यादातर लोग 30 से 40 साल के हैं. पुरानी दबी सहमी यादें उभर कर सामने आ जाती हैं. जरूरी नहीं कि कोई बड़ी घटना हो, मुख्य बात उनमें अपने को पाने की है.

बेतुके विषय की तलाश

जर्मनी में डायरी स्लैम का जन्म 2007 में बर्लिन में हुआ. आयोजकों में से एक एला कारीना वैर्नर इन दिनों की याद करती हुई कहती हैं, "हम एक अजीबोगरीब गोष्ठी का आयोजन करना चाहते थे. हम सोचने लगे कि ऐसा क्या हो सकता है, जिसे पढ़ा जा सके, फिर डायरी का विचार आया." सार्वजनिक गोष्ठी में निजी बातों को बताने में जो विरोधाभास है, वह आयोजकों को लुभा रहा था. लेकिन शुरुआत में मामला सिर्फ एक बैठकी का रहा.

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एला और नदीनतस्वीर: DW/J. Albrecht

शुरू में डायरी स्लैम की बैठकों में अपनी डायरी का पाठ करने वाले अमेरिका से आते थे. वहां 2005 में पहली बार एक छात्रा ने न्यू यॉर्क के एक बार में अपनी डायरी के कुछ अंश सुनाए थे. क्रिंज नाइट कही जाने वाली इन गोष्ठियों में मुख्य रूप से शर्मनाक अनुभव बताए जाते. कुछ साल बाद नदीन वेडेल ने एक इंटरनेट आर्टिकल में लंदन में हुए क्रिंज नाइट के बारे में पढ़ा जहां यूरोप का पहला डायरी स्लैम हुआ. वेडेल कहती हैं, "उसके बाद मैं भी इसका आयोजन करना चाहती थी और मुझे एला कारीना मिल गई." दोनों महिलाएं 2011 से डर्मनी में डायरी स्लैम शामों का आयोजन कर रही हैं.

छुटपन का साझा दौरा

इन गोष्ठियों में वेडेल और वैर्नर खुद भी अपनी डायरियों के अंश सुनाती हैं. वेडेल स्वीकार करती हैं कि आरंभ में यह आसान नहीं था, "मुझे शुरू में अपनी डायरी से पढ़ने के लिए हिम्मत जुटानी पड़ी." वैर्नर इस मामले में कम पूर्वाग्रही हैं, "मेरे दर्द की सीमा बहुत ही कम है." कम से कम छुटपन की डायरियों के मामले में यह बहुत ही जरूरी है कि जिस हिस्से को सुनाया जा रहा है, जिंदगी में वह अध्याय समाप्त हो चुका हो. वैर्नर कहती हैं, "हम यहां किशोर और किशोरियों को हाल की डायरी से पढ़ने नहीं देंगे."

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हेल्मुटतस्वीर: DW/J. Albrecht

चौथी कतार में हेल्मुट बैठा है. 42 साल के हेल्मुट की जेब में छोटी सी पीली डायरी है. वह भी अपनी डायरी से कुछ पढ़ेगा. "अब तक यहां बहुत ज्यादा प्यार मोहब्बत की बातें हुई हैं, अब थोड़ी कम होगी." हेल्मुट की बहन ने उसे उसकी 14वीं सालगिरह पर ये डायरी दी थी, असल में मामूली सा नोटबुक. उसकी डायरी 1985 में जन्मदिन पर शुरू होती है. हेल्मुट पढ़ता है, "रात बारह बजे मैंने मां के साथ जन्मदिन मनाया और मुझे मेरे तोहफे का एक हिस्सा मिला, स्पोर्ट शू, टेनिस रैकेट, छह किताबें और टाफी-चॉकलेट."

हंसी और रुलाई

सुनने में जो मामूली सा और कुछ भी लिखा गया लगता है, वह लोगों को जोड़ता है. भले ही वे हैम्बर्ग में हों, लंदन में या न्यू यॉर्क में. हर किसी का सामना जिंदगी के उतार चढ़ाव और शुरुआती मुश्किलों से हुआ है, मां-बाप से झगड़ा हो या दोस्तों और भाई बहनों से. एला कारीना वैर्नर कहती हैं, "किशोरों का दुनिया के बारे में विचित्र नजरिया होता है, अनुभवों की यह नाटकीयता अजीबोगरीब है."

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उत्सुक श्रोतातस्वीर: DW/J. Albrecht

लेकिन इस शाम मंच से किशोर किशोरियों की मसखरी बातें ही सुनाई देतीं, 64 साल की आस्ट्रिड भी अपनी डायरी हाथ में लेती है. वह अपने जीवन के उस समय की बात सुनाती है जब वह 30 साल की थी. आस्ट्रिड कहती है, "किशोरावस्था कभी खत्म नहीं होती." वह हौले हौले पढ़ती है, फिर भी सभी ध्यान से सुन रहे हैं. क्योंकि वह अपने वैवाहिक जीवन के पहले संकट की बात कर रही है. "रविवार से हम एक दूसरे के साथ दिन में महज एक दो वाक्य ही बोल रहे हैं. मुझे उससे बात करने में डर लगता है, क्योंकि अक्सर मैंने पाया है कि जब मैं उससे बात करना चाहती हूं तो वह मान जाता है कि हमारे बीच संवाद टूटा हुआ है, लेकिन उसके बाद वह पूरी तरह खामोश हो जाता है. " वह बार बार हंसती है, लोग भी उसके साथ हंसते हैं, लेकिन हंसी हेल्मुट के मुकाबले दबी हुई है.

बैठक की शाम दरअसल हेल्मुट ही छाया रहा. वह जल्द ही जोश में आ गया, टीवी प्रोग्रामों के नाम लिए, जिसे लोग अपने बचपन से जानते हैं. लोग सहमति जताते, हंसते ठहाके लगाते दिखे. लड़कियों में दिलचस्पी लेने वाले वयस्क हो रहे बच्चे और घर में गेम खेलते बच्चे जैसे वयस्क के विरोधाभास को हेल्मुट ने फिर से मंच पर जीवंत कर दिया. हंस हंस कर लोगों की आंखों में आंसू आ गए. बाद में हेल्मुट ने कहा, "यह एक अच्छा अनुभव था." डायरी समेट कर जब उसने मंच छोड़ा तो लोगों ने ऐसी जोरदार तालियां बजाई, जैसे कोई स्टार मंच छोड़कर गया हो.

रिपोर्टः जनीन अलब्रेष्ट/एमजे

संपादनः निखिल रंजन

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