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जर्मन सरकार ने रोकी इस्लामिक संगठन की फंडिंग

३१ अगस्त २०१८

जर्मन सरकार ने फैसला किया है कि वह अब देश में चलने वाले सबसे बड़े इस्लामिक संगठन डीआईटीआईबी की परियोजनाओं के लिए धन मुहैया नहीं कराएगी.

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DITIB Zentralmoschee Köln-Ehrenfeld
तस्वीर: DW/M. Odabasi

तुर्क संगठन टर्किश-इस्लामिक यूनियन फॉर रिलीजियस अफेयर्स (डीआईटीआईबी) को सरकार चरमपंथ विरोधी और शरणार्थी सहायता कार्यक्रमों के लिए पैसा देती थी. डीआईटीआईबी के कई विवादों में घिरने के बाद सरकार ने अब उसकी मदद रोकने का कदम उठाया है.

इस साल की शुरुआत से जर्मन सरकार ने डीआईटीआईबी को मिलने वाली किसी फंडिंग को मंजूर नहीं किया है. साल 2019 की परियोजनाओं से जुड़ी रकम भी रोक ली गई है. डीआईटीआईबी को 2012 से जर्मन सरकार की तरफ से लगभग 60 लाख यूरो की राशि दी गई है. हालांकि पारिवारिक मामलों के मंत्रालय ने पिछले साल के आखिर से डीआईटीआईबी के प्रोजेक्टों को मंजूरी देना बंद कर दिया.

कोलोन स्थित यह संगठन 900 से ज्यादा मस्जिदें चलाता है, जो तुर्की की सरकार के धार्मिक मामलों के निदेशालय से जुड़ी हैं. इसी निदेशालय से डीआईटीआईबी की मस्जिदों में इमाम भेजे जाते हैं.

तुर्की में राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान के खिलाफ नाकाम तख्तापलट के बाद डीआईटीआईबी पर आरोप लगे कि वह तुर्की की सरकार के निर्देशों पर काम कर रहा है. ये भी आरोप लगे कि कुछ इमाम राजनयिक पदों पर तैनात उन तुर्क जासूसों का हुक्म बजा रहे हैं जिन्हें गुलेन मूवमेंट की गतिधियों पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया है. तुर्की की सरकार तख्ता पलट की कोशिश के पीछे गुलेन मूवमेंट का हाथ बताती है.

एक अन्य विवाद में, डीआईटीआईबी के एक इमाम ने कथित तौर पर लोगों से सीरिया के आफरीन में तुर्क सेना की जीत के लिए दुआ करने को कहा. डीआईटीआईबी की अप्रैल में एक अन्य आयोजन के लिए भी आलोचना हुई जिसमें बाल 'शहीदों' के हाथ में तुर्की का झंडा और नकली बंदूकें पकड़ाई गईं.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी में आंतरिक मामलों के प्रवक्ता क्रिस्टोफ डे फ्रिस ने कहा, "जो लोग राष्ट्रवाद फैला रहे हैं और ईसाइयों, यहूदियों और किसी धर्म से संबंध ना रखने वाले लोगों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं और तुर्की की सरकार के कहने पर यहां जासूसी करते हैं, वे जर्मनी में धार्मिक चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में साझीदार नहीं हो सकते."

एके/एनआर (डीपीए, केएनए)

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