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जर्मनी में डीजल कारों पर बैन का रास्ता साफ

२७ फ़रवरी २०१८

जर्मनी की सर्वोच्च संघीय अदालत ने शहरों को डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया. फैसले का असर जर्मनी की 1.2 करोड़ डीजल कारों पर पड़ेगा.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/D. Naupold

लाइपजिग की संघीय प्रशासनिक अदालत ने दो राज्य सरकारों के पक्ष को खारिज करते हुए शहरों को डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दे दी. निचली अदालतें पहले ही जर्मन शहर श्टुटगार्ट और ड्यूसेलडॉर्फ में डीजल कारों पर प्रतिबंध लगा चुकी थीं. दो राज्यों ने निचली अदालत के इस फैसले को संघीय अदालत में चुनौती दी थी.

संघीय अदालत के फैसले की मार जर्मनी के 1.2 करोड़ डीजल वाहनों पर पड़ेगी. अब जर्मनी के शहर प्रदूषण के स्तर को देखते हुए डीजल कारों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा सकेंगे. जर्मनी यूरोप का सबसे बड़ा कार बाजार है. डीजल कार मालिकों और वाहन निर्माता कंपनियों को अब प्रदूषण कम करने की महंगी आधुनिक तकनीक लगानी ही पड़ेगी.

2015 में जर्मनी की सबसे बड़ी कार कंपनी फोल्क्सवागेन का डीजल गेट कांड सामने आया. अमेरिका में कंपनी ने माना कि उसने कारों में खास सॉफ्टवेयर लगाकर उत्सर्जन जांच एजेंसियों को गुमराह किया. टेस्ट के दौरान फोल्क्सवागेन की कारें कम प्रदूषण करती थीं, लेकिन सड़क पर चलते ही कार बहुत ज्यादा नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़ती थी. नाइट्रोजन ऑक्साइड से सांस संबंधी कई बीमारियां होती हैं.

जर्मनी का ऑटो उद्योग लाखों लोगों को नौकरी देता है. डीजल पर प्रतिबंध का असर नौकरियों और कार इंडस्ट्री पर भी पड़ेगा. चांसलर मैर्केल की सरकार पर कार कंपनियों से करीबी रिश्ते रखने के आरोप लगते हैं. सरकार को लगता है कि डीजल पर प्रतिबंध लगाने से लाखों लोग नाराज होंगे और ट्रैफिक व्यवस्था लड़खड़ा जाएगी. यही वजह है कि देश में अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मुफ्त करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं.

ओएसजे/एके (एपी, डीपीए)