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जर्मनी में दूसरी तरह की स्कॉलरशिप

३० मार्च २०११

जर्मनी में पढ़ाई के लिए मदद के विकल्प असीमित हैं. अगर आपको यूनिवर्सिटी या सरकारी संस्थाओं से फंडिंग नहीं मिल पाती है तो आप निजी संस्थाओं का भी सहारा ले सकते हैं.

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तस्वीर: terre des hommes

जर्मनी में कई निजी फाउंडेशन और चर्च से जुड़े संगठन भी विदेशी छात्रों की मदद करते हैं. हालांकि इनका लक्ष्य सीमित और तय होता है. जर्मनी में कई गैर राजनीतिक संस्थाएं विदेशी छात्रों को फंडिंग उपलब्ध कराती हैं. इनमें जर्मन कंपनियां, विद्वानों की संस्थाएं, चर्च और व्यक्ति शामिल हैं.

जर्मन नेशनल एकेडैमिक फाउंडेशन

जो छात्र इस फाउंडेशन से स्कॉलरशिप पाते हैं वे जब ग्रैजुएट होते हैं तो उनके हाथ में बढ़िया करियर के ज्यादा मौके होते हैं. इसकी वजह यह है कि यह फाउंडेशन स्कॉलरशिप के दौरान छात्रों को बहुत सारे सेमिनारों में हिस्सा लेने का मौका देती है और इंटर्नशिप की सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है. इस फाउंडेशन की एक लंबी और सम्मानजनक परंपरा है. पहले यह उन्हीं छात्रों को स्कॉलरशिप देती थी जिनकी सिफारिश स्कूलों के प्रिंसिपलों की तरफ से आती थी. लेकिन 2010 के बाद से वे छात्र भी स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास किसी की सिफारिश नहीं है.

फाउंडेशन पहले और दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई का खर्च उठाती है. लेकिन इसकी एक शर्त है. छात्र या तो जर्मनी से होने चाहिए या फिर उन्होंने अपना हाई स्कूल यहां से पास किया हो. यूरोपीय संघ के बाकी देशों के छात्र भी अप्लाई कर सकते हैं.

जो छात्र खुद से अप्लाई करते हैं उन्हें एक टेस्ट पास करना होता है. सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले कुछ छात्रों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. साथ ही उन छात्रों का भी इंटरव्यू होता है जिनकी सिफारिश अध्यापकों या प्रिंसिपलों की तरफ से आती है.

रोखुस उंड बीट्रिस मुमर्ट फाउंडेशन

यह फाउंडेशन भविष्य के मैनेजरों की मदद करती है. खासतौर पर मध्य और दक्षिणी यूरोप के छात्र इसका फायदा उठा सकते हैं. अर्थशास्त्र और इंजीनयरिंग के मेधावी छात्रों के लिए सालाना कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को भविष्य में बड़ी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं में मैनेजर पद तक पहुंचने के लिए तैयार किया जाता है.

ओटो बेनेके फाउंडेशनः शरणार्थियों के लिए

ओटो बेनेके फाउंडेशन शरणार्थी छात्रों के लिए मदद उपलब्ध कराती है. 1965 में शुरू हुई यह संस्था मुनाफे के लिए काम नहीं करती. जिन छात्रों को यह संस्था स्कॉलरशिप के लिए चुनती है उनकी वित्तीय मदद तो करती ही है, साथ ही करियर की योजना बनाने में सहयोग देती है.

फुलब्राइट कमीशनः जर्मन-अमेरिकन एक्सचेंज

फुलब्राइट प्रोग्राम अमेरिका में शुरू किया गया. इसका मकसद 180 देशों के साथ छात्रों की अदला बदली के जरिए शैक्षिक संबंध कायम करना है. इसकी सबसे बड़ी शाखा तो जर्मन-अमेरिकी संबंध ही हैं. इसके तहत प्रोफेसर, टीचर और विदेशी भाषा के छात्रों को साल भर की स्कॉलरशिप मिलती है.

इवेंजेलिकल स्कॉलरशिप प्रोग्राम

यह संस्था जर्मनी की इवेंजेलिकल चर्च से जुड़ी है और उन सभी छात्रों की मदद करती है जिन्होंने अपनी पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. लेकिन इसकी मदद पोस्ट ग्रैजुएट लेवल पर नहीं है. इसके लिए यूरोपीय संघ के छात्र अप्लाई कर सकते हैं. यह स्कॉलरशिप पाने वाले लोगों को संस्था के अलग अलग हिस्सों से जोड़ा जाता है.

चर्च डिवेलपमेंट सर्विस

इस कार्यक्रम को भी जर्मनी की इवेंजेलिकल चर्च ही चलाती है. इसके तहत हर साल दुनियाभर में 1500 प्रोजेक्ट और प्रोग्राम चलाए जाते हैं. यह संस्था विकासशील देशों के अनुभवी लोगों को अपनी पढ़ाई बढ़ाने और डॉक्टरेट करने के मौके मुहैया करती है.

कूजानुसवेर्कः कैथलकि छात्रों की मदद

जर्मनी की कैथलिक चर्च पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने वाले हर क्षेत्र के छात्रों को मदद मुहैया कराती है. वित्तीय मदद के साथ साथ चुने गए छात्रों को एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने का भी मौका मिलता है. यह प्रोग्राम नेतृत्व और संवाद क्षमता बढ़ाने में उनकी मदद करता है. यूरोपीय संघ के कैथलिक छात्र भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं.

फाउंडेशन ऑफ जर्मन बिजनस

यह फाउंडेशन हर स्तर पर और हर क्षेत्र में पढ़ाई के लिए छात्रों की मदद करती है. फाउंडेशन जर्मन रिसर्च एसोसिएशन, माक्स प्लांक सोसाइटी, हुम्बोल्ट फाउंडेशन और जर्मन एकेडैमिक एक्सचेंज सर्विस जैसी अहम संस्थाओं के साथ मिलकर काम करती है. यूरोपीय संघ के अलावा स्विट्जरलैंड के छात्र भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि जो छात्र डॉक्टरेट करना चाहते हैं, वे किसी भी देश के हों, इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं.

रिपोर्टः गाबी रोएशर/विवेक कुमार

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी