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तबाही का बीमा कारोबार कोरोना की चपेट में

२५ फ़रवरी २०२१

मौसम बदल रहा है, माहौल गर्म हो रहा है और उद्यम और बीमा कंपनियां भी परेशान हैं. धरती के गर्म होने का असर उन कंपनियों पर भी हो रहा है, जो आपदा से बच जाती हैं. आंधी, तूफान और बाढ़ की वजह से बीमा का प्रीमियम महंगा हो रहा है.

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Deutschland geschädigte Laubbäumen
तस्वीर: Getty Images/J. Schlueter

म्यूनिख रि बीमा कंपनियों का बीमा करने वाली कंपनी है. वह रिइंश्योरेंस के अलावा बीमा से संबंधित जोखिमों के बारे में सलाह भी देती है. इसलिए नुकसान की हालत में दिए जाने वाले मुआवजे पर उसकी नजर होती है. उसका कहना है कि मौसम का उतार चढ़ाव का सामना करने वाले इलाकों के लोगों, उद्यमों और अधिकारियों को आपादा से होने वाले नुकसान के लिए तैयार रहना होगा. बीमा कंपनी म्यूनिख रि के प्रमुख योआखिम वेनिंग का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से नुकसान लगातार बढ़ रहा है. वे कहते हैं, "मौसम में बदलाव के कारण होने वाली प्राकृतिक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और उनकी भयानकता भी बढ़ रही है."

पिछले महीनों में प्राकृतिक आपदाओं से मची तबाही को देखें तो ये अनुमान लगाना कठिन है कि आपदा कब और कहां आएगी. इसलिए पहले से कोई अनुमान लगाना और उससे बचने की कोशिश भी मुश्किल है. योआखिम वेनिंग इसमें एक रुझान देखते हैं. मुख्य रूप से इसका शिकार वे देश हो रहे हैं जहां यूं भी नियमित रूप से आंधी और तूफान आते रहते हैं. मसलन अमेरिका के पूर्वी तट और दक्षिण पूर्व एशिया में गर्मियों का महीना तूफानों का महीना होता है. हाल के दिनों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी यूरोप में जंगलों में आग लगने के मामले बढ़ हैं.

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जलवायु परिवर्तन से जंगलों में लगती आगतस्वीर: Paul Kane/Getty Images

आपदा में नुकसान के आंकड़े

म्यूनिख रि दशकों से प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान के आंकड़े जमा कर रहा है. इनका बीमा का प्रीमियम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बढ़ते नुकसान का एक नतीजा होता है प्रीमियम की दर में वृद्धि. बीमा कंपनियों को नुकसान के लिए बीमाधारकों को मुआवजा देना पड़ता है, तो उसकी भरपाई के लिए प्रीमियम भी बढ़ाना होगा. और यह नुकसान बीमा कराने वाली कंपनियों को लगातार भुगतना पड़ रहा है. रिइंश्योरेंस मार्केट में कीमतों का बढ़ना जारी है और इस साल इस रुझान के बने रहने की उम्मीद है.

रिइंश्योरेंस कंपनियों के लिए कोरोना महामारी भी एक तरह से प्राकृतिक आपदा ही है. इस दौरान बहुत सी आर्थिक गतिविधियां नहीं हुई. कंसर्ट रद्द कर दिए गए, व्यापार मेलों को रोकना पड़ा, थिएटर बंद रहे, फिल्मों का प्रोडक्शन रुका रहा. इन सब के दौरान अचानक होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कराया जाता है. रिइंश्योरेंस कारोबार में कंपनियों का 3.4 अरब यूरो का नुकसान हुआ. महामारी बीमा कारोबार के लिए इस बार ऐसा जहर साबित हुई है जिसके बारे में योआखिम वेनिंग का कहना है कि "बीमा कंपनियों को ज्यादा नहीं लेना चाहिए."

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कोरोना के कारण नहीं हुए ओलंपिक खेलतस्वीर: Behrouz Mehri/AFP/Getty Images

ओलंपिक में कितना नुकसान

ऐसे में सवाल उठता है कि जापान में होने वाले ओलंपिक खेलों को रद्द किए जाने की हालत में नुकसान के लिए कितना मुआवजा देना होगा. म्यूनिख रि के मैनेजरों ने इसके बारे में कोई संकेत नहीं दिए लेकिन चार साल पर होने वाले ओलंपिक खेल दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन हैं जिसमें 30,00 खिलाड़ी और खेल अधिकारी भाग लेते हैं. यह अरबों का कारोबार है. आयोजकों ने 5.5 अरब यूरो के मुनाफे की योजना बनाई थी. इसमें कितने का बीमा कराया गया था, यह जानकारी नहीं है.

लेकिन बीमा कंपनियों के लिए कुछ राहत की बात भी है. भले ही यह बीमा करवाने वालों के लिए इस बीच बहुत सुविधाजनक नहीं रह गया हो. रिइंश्योरेंस कंपनियों के लिए राहत की बात यह है कि इस साल कोरोना से संबंधित मामलों में ज्यादा मुआवजा नहीं देना होगा. बीमा कंपनियों ने मुआवजे की अधिकतम राशि घटा दी है. म्यूनिख रि को इस साल पिछले कारोबारी साल में सिर्फ 1.2 अरब का फायदा हुआ है. इस साल वह फायदे को फिर से एक साल पहले के स्तर पर लाना चाहता है.

रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए)

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