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जान की बाजी लगाकर एवरेस्ट की चढ़ाई

२५ मई २०१२

जान जोखिम में डालकर भी लोग दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने की कोशिशों में लगे हैं. इस हफ्ते करीब 200 लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी में हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पिछले हफ्ते ही खराब मौसम की वजह से चार पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी. लेकिन 8,848 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ाई करने वलों की संख्या में कमी नहीं आई है. गर्मी का मौसम होने की वजह से पर्वतारोही और ज्यादा संख्या में नेपाल पहुंच रहे हैं. नेपाल सरकार के अधिकारी मोहन कृष्ण सपकोटा का कहना है कि पर्वतारोहियों के लिए ये आखिरी मौका है जब वो एवरेस्ट की चढ़ाई कर सकते हैं. अगर इस बार चढ़ाई नहीं कर सकेगे तो फिर आगे ये संभव नहीं होगा.

नेपाल सरकार के अधिकारी ज्ञानेन्द्र श्रेष्ठ के मुताबिक पिछले शुक्रवार से शुरु हुए सप्ताहांत में करीब 150 लोग एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं. बेसकैंप पर मौजूद श्रेष्ठ बताते हैं कि गुरुवार की रात 120 पर्वतारोहियों ने आखिरी दौर की चढ़ाई शुरु कर दी थी. कुछ पर्वतारोहियों ने बीच में चढाई छोड़ भी दी थी जो कि सामान्य है. खराब मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से कई पर्वतारोही ऐसा करते हैं.

पिछले हफ्ते कई पर्वतारोहियों की मौत के बाद से सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ गई है. तेज-बर्फीली ढलान, खराब मौसम और ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग इसे मौत की घाटी भी कहने लगे हैं.

एवरेस्ट पर 8 बार सबसे तेजी से चढ़ाई करने का रिकॉर्ड बनाने वाले पेम्बा दोरजी शेरपा कहते हैं, 'एक दिन में 20 से 30 लोगों का चढ़ाई के लिए जाना ठीक है. लेकिन 200 लोग तो बहुत ज्यादा हैं.' इसके अलावा बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.

Apa Sherpa
तस्वीर: picture-alliance/dpa

1953 में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नार्गे के बाद से अब तक तीन हजार लोग एवरेस्ट के शिखर तक पहुंच चुके हैं. चढ़ाई करने की कोशिश में अब तक 220 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. जिनमें से आधे लोगों की मौत बीते 20 साल के दौरान ही हुई है. सबसे ज्यादा 8 पर्वतारोहियों की मौत 10 मई, 1996 को हुई थी. माना गया था कि देर से चढ़ाई शुरु करना पर्वतारोहियों की मौत का कारण बना था. पर्वतारोही बर्फ के तूफान में फंस गए थे.

इससे हटकर देखें तो एवरेस्ट नेपाल के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया है. एक बार की चढ़ाई के लिए पर्वतारोहियों को 25 हजार डॉलर आयोजकों को देना पड़ता है जबकि 10 हजार से लेकर 25 हजार डॉलर नेपाल सरकार को देना होता है.

आम तौर पर चढाई के लिए सबसे बढि़या समय मार्च के आखिरी सप्ताह से जून के पहले हफ्ते तक माना जाता है. लेकिन इस साल मौसम के पहले से ही साफ होने की वजह से चढ़ाई पहले ही शुरु कर दी गई है.

वीडी/एएम (एफपी, एपी)

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