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जो बाइडेन की जीत पर उम्मीद लगाए है यूरोपीय संघ

२ नवम्बर २०२०

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शासन ने यूरोप के कई देशों के साथ अमेरिका के लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों में तनाव पैदा किया है. यूरोपीय संघ के बहुत से नेता उम्मीद कर रहे हैं कि जो बाइडेन की जीत से हालात बदलेंगे.

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Joe Biden bei Donald Tusk
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir

अटलांटिक पार की साझेदारी पर चार साल के ट्रंप के राष्ट्रपति काल की मार पड़ी है. हालांकि कई लोगों का मानना है कि अगर डेमोक्रैटिक उम्मीदवार जो बाइडेन मंगलवार को अमेरिकी चुनाव में जीत जाते हैं तो स्थिति बदल सकती है. ब्रसेल्स के थिंक टैंक यूरोपीयन पॉलिसी सेंटर के निदेशक यानीस इमानुलिदिस का मानना है, "कोई भी इतना सीधा सादा नहीं है जो यह सोचे कि हम एकदम पुरानी स्थिति में लौट जाएंगे. आप पुराने अच्छे दिनों में वापस नहीं जाएंगे. तो अटलांटिक पार के रिश्तों में तब भी समस्याएं होंगी. हालांकि बाइडेन की प्रेसिडेंसी के बारे में उम्मीद की जा सकती है कि चीजें काफी बेहतर होंगी."

यानीस इमानुलिदिस को आशंका है कि अगर बाइडेन ट्रंप को व्हाइट हाउस से हटाने में नाकाम रहे तो अमेरिका और यूरोपीय संघ के रिश्ते और ज्यादा खराब होंगे. इमानुलिदिस ने डीडब्ल्यू से कहा, "बहुत संभव है कि वह (ट्रंप) अपने दूसरे कार्यकाल में यूरोप पर पहले कार्यकाल से ज्यादा दबाव डालेंगे. उन्होंने दूसरे वैश्विक खिलाड़ियों की तुलना में यूरोप को ज्यादा बुरा माना है."

Weltwirtschaftsforum 2020 in Davos | Ursula von der Leyern & Donald Trump
तस्वीर: picture-alliance/Zuma Press/S. Craighead/White House

अमेरिका यूरोप सहयोग की जरूरत

यूरोपीय संसद में ग्रीन पार्टी के सांसद और विदेश नीति के विशेषज्ञ राइनहार्ड ब्यूटीकोफर ट्रंप के भूराजनैतिक बयान को ज्यादा महत्व नहीं देते. उनका कहना है, "जब हम राष्ट्रपति ट्रंप को यह कहते सुनते हैं कि यूरोपीय संघ एक दुश्मन है तो इसका मतलब यह नहीं है कि यूरोपीय लोगों के साथ संवाद में अमेरिका मजबूत है." ब्यूटीकोफर का कहना है कि अमेरिका की संसद और राजधानी में अब भी ऐसे बहुत से राजनेता मौजूद हैं जिन्हें चीन, रूस और दूसरे वैश्विक खिलाड़ियों से निबटने के लिए सहयोग की जरूरत होगी.

जो बाइडेन ऐसा नहीं है कि राष्ट्रपति के रूप में हर काम ट्रंप से अलग ही करेंगे, लेकिन यह मानना सही होगा कि वह अमेरिकी सहयोगियों का समर्थन करेंगे, उनकी बात सुनेंगे और साझा आधार तलाशेंगे.

अटलांटिक पार भरोसे में गिरावट

इसी साल गर्मियों में ब्रसेल्स के थिंक टैंक यूरोपीयन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस ने एक स्टडी की. इस रिसर्च ने दिखाया कि यूरोपीय लोगों का भरोसा अमेरिका पर से एक ऐसे सहयोगी के रूप में खत्म हो गया है जिसके साथ उन्होंने करीबी से लंबे समय तक सहयोग किया था. अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों और कोविड-19 को संभालने को लेकर "घरेलू अव्यवस्था" ने यूरोप में अमेरिका की नकारात्मक छवि बनाने में बड़ा योगदान किया है.

यूरोपीयन काउंसिल के रिसर्चरों का मानना है कि राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन का रुख यूरोप के लिए नया होगा. रिसर्चर यह भी मानते हैं कि अमेरिका 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते और डब्ल्यूएचओ में दोबारा शामिल होगा और नाटो को भी मजबूत करेगा. हालांकि डेमोक्रैट और रिपब्लिकन यूरोपीय देशों पर सैन्य सहयोग संगठन के बजट में ज्यादा योगदान के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे.

Kanada Staats- und Regierungschefs G7-Staaten diskutieren gemeinsame Erklärung in Charlevoix
तस्वीर: Reuters/Prime Minister's Office/A. Scotti

बराक ओबामा समेत ट्रंप के कई पूर्ववर्ती पहले ही यूरोप पर सैन्य खर्च बढ़ाने के लिए दबाव बनाते रहे हैं. अगर ट्रंप दोबारा चुने जाते हैं तो नाटो को आगे आने वाले कठिन वक्त के लिए तैयार रहना होगा. यह भविष्यवाणी ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने की है, जिन्हें ट्रंप ने पद से हटा दिया था. बोल्टन के मुताबिक ट्रंप ने नाटो से अमेरिका को बाहर निकालने की भी धमकी दी है जिसका मतलब होगा कि यह गठबंधन ही खत्म हो जाएगा.

बाइडेन यूरोप से क्या चाहते हैं

नाटो की यूरोप में भी आलोचना हो रही है. फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने एक बार कहा था कि यह गठबंधन "दिमागी रूप से मौत" के दौर से गुजर रहा है और उनका यह भी कहना है कि ज्यादा "यूरोपीय संप्रभुता" की जरूरत है. ऐसा सोचने वाले माक्रों अकेले नेता नहीं हैं, कई और यूरोपीय देशों के सरकार प्रमुख यूरोपीय संघ के लिए ट्रंप के दौर वाले अमेरिका से ज्यादा भूरणनीतिक भूमिका देखते हैं. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन चाहती हैं कि सबसे पहले नियम आधारित व्यवस्था को लागू किया जाए. सितंबर में यूरोपीय संसद में भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "सच्चाई यह भी है कि बहुस्तरीय तंत्र को सुधारने और पुनर्जीवित करने की इतनी अधिक जरूरत पहले कभी नहीं रही. हमारे वैश्विक तंत्र को लकवा मार गया है और वह रेंग रहा है. बड़ी ताकतें या तो संस्थाओं से बाहर निकल रही हैं या फिर उन्हें अपने हितों का बंधक बना ले रही हैं."

यूरोपीय संघ में बहुत से लोगों को उम्मीद है कि बाइडेन का राष्ट्रपति बनना कई सारे बदलाव ले कर आएगा हालांकि इमानुलिदिस भ्रम पालने से खबरदार करते हैं. उनका मानना है कि यूरोप ने चीन के साथ अब तक जो अच्छा रवैया रखा है वह खासतौर से डेमोक्रैटिक राष्ट्रपति को पसंद नहीं आएगा. इमानुलिदिस ने कहा, "उदाहरण के लिए एक चुनौती हो सकती है कि बाइडेन प्रशासन कहे, 'हम बहुपक्षीय मुद्दों पर सहयोग के लिए तैयार हैं, हम जलवायु पर सहयोग के लिए तैयार हैं, हम डब्ल्यूटीओ पर सहयोग के लिए तैयार हैं, लेकिन  हम चाहते हैं कि इसके बदले में आप सख्त हों, उदाहरण के लिए चीन पर."

बाइडेन के शासन में अमेरिका यूरोप से चीन की तकनीकी कंपनियां जैसे कि हुआवे पर प्रतिबंध को बिना किसी अपवाद के लागू करने की मांग करता रह सकता है और यह भी कि वह दक्षिण सागर में सैन्य उकसावे की गतिविधियों पर प्रतिक्रिया दे.

कारोबार के मुद्दे पर एकजुट यूरोपीय संघ

Frankreich | G7-Gipfel in Biarritz
तस्वीर: picture-alliance/dpa/abaca/P. Aventurier

मंगलवार को अमेरिका के चुनाव में कोई भी जीते यूरोपीय देश तुरंत कारोबारी रिश्ते पर चर्चा करना चाहते हैं. यूरोपीय संघ से आयात होने वाली कारों और दूसरी चीजों पर भारी टैक्स लगाने की ट्रंप की धमकी की तलवार अब भी लटक रही है. जुलाई 2018 में यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ हुई बातचीत में विवाद नहीं सुलझा था और तब दोनों पक्षों ने इस मुद्दे को एक तरह के युद्धविराम जैसे समझौते से रोक रखा है. 

उस वक्त ट्रंप ने दुनिया को हैरान करते हुए यूरोपीय संघ को अमेरिका का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार कहा. बावजूद इसके यह मसला ट्रंप और बाइडेन के चुनाव अभियान से गायब है.

यूरोपीय संघ के नए व्यापार आयुक्त वाल्दिस दोमब्रोव्स्किस का मानना है कि विवाद को दूर किया जाना चाहिए. सितंबर में एक कारोबारी सम्मेलन में उन्होंने कहा, "यह वो समय है जब हमें अपने दोस्तों को करीब रखना चाहिए और उन गठबंधनों को याद करना चाहिए जो जरूरी हैं. अब भी यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच कुछ विवाद हैं और मेरे विचार में हमें यह सलाह मिल रही है कि हम इसे जल्दी से निपटा दें."

विश्लेषकों का मानना है कि यूरोपीय सरकारों के नेता समय के साथ बाइडेन से रिश्ते बेहतर कर सकेंगे क्योंकि उनका झुकाव उदार पक्ष की ओर है और वह नारों से हल्लाबोल नहीं करते हैं. इमानुलिदिस के मुताबिक डॉनल्ड ट्रंप और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के रिश्तों में भी कोई केमिस्ट्री नहीं दिखती. पोलैंड और दूसरे पूर्वी यूरोपीय देश खासतौर से लोकलुभावन नेता ट्रंप के ज्यादा करीब दिखते हैं.

इन सबके बावजूद इमानुलिदिस मानते हैं कि अमेरिका के सामने अपने हितों की रक्षा के लिए यूरोप एकजुट रहेगा, ओवल ऑफिस में चाहे कोई भी बैठे.

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