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समाज

ट्रक में चलती है कंप्यूटर क्लास

१४ फ़रवरी २०१९

भारत में डिजिटल क्रांति एक अलग मकाम तक पहुंच चुकी है. लेकिन दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां आज भी कई बच्चों ने कंप्यूटर को देखा तक नहीं है. बेनिन भी इन्हीं में से एक है.

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Symbolbild Afrika Computer
तस्वीर: Imago/R. Holz

पश्चिम अफ्रीकी के बेनिन में 11 साल का एम्ब्रोस पेड़ के निचे बनी पार्किंग की तरफ भागते हुए जा रहा है. आज स्कूल बंद है और उसकी दिनभर की पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है. एम्ब्रोस जिस पेड़ की तरफ भाग रहा है वहां पर एक ट्रक खड़ा है जिसमें काफी सारे कंप्यूटर रखे हुऐ हैं.

पश्चिम अफ्रीका के कई बच्चों ने ना तो कभी कंप्यूटर देखा है और ना ही उसे हाथ लगाया है. इस ट्रक को बनाया है ब्लोलैब नाम की संस्था ने जो कि बेनिन के सबसे बड़े शहर कोटोनोउ का एक गैर लाभकारी संगठन है. 13 मीटर लंबा ये ट्रक 12 सोलर पेनल्स से चलता है. इसमें बच्चों के लिए कई लैपटॉप रखे गए हैं.

ये बच्चे गरीब परिवारों के हैं. यहां आ कर वे कंप्यूटर चलाना सीख सकते हैं. पूर्वी बेनिन के अवरनकोउ जिले में रहने वाले एम्ब्रोज का कहना है, "टीचर ने हमें बताया की हमारी कंप्यूटर क्लास फिर से शुरु होगी. तो मैनें जल्दी से आपना काम खत्म किया क्योंकि मैं बहुत खुश था."

एम्ब्रोज की क्लास में 48 बच्चे हैं जिनमें से सिर्फ चार बच्चों ने ही आज तक लैपटॉप को हाथ लगाया था. एम्ब्रोज ने एक लैपटॉप को फोटोकॉपी की दुकान पर इस्तेमाल किया था और बाकी तीन बच्चों के भाई बहनों के पास लैपटॉप था.

ब्लोलैब के संस्थापक मेडार्ड एगबैजेन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "शहरों में तो लोगों के पास तकनीक है, उनके पास साइबर कैफे भी हैं. लेकिन गांव में लोगों के पास ना तो कंप्यूटर है और ना ही स्मार्टफोन." उनका कहना है कि बेनिन के लिए "डिजिटल डिवाइड" एक हकीकत है.

एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में बेनिन में केवल 42.2 प्रतिशत लोगों के पास ही इंटरनेट पहुंचा. इनमें से लगभग 96 प्रतिशत मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट से जुड़े. इन परिस्थितियों से ही संस्था को कंप्यूटर वाले ट्रक का विचार आया. इस मोबाइल कक्षा में मेज और गर्मी से बचने के लिए पंखे भी लगे हैं. ट्रक किसी एक जगह पर जाता है और हर हफ्ते दो घंटे की पांच निःशुल्क क्लास दी जाती हैं. संस्था इसे समुद्र में एक बूंद के समान बताती है.

मेडार्ड एगबैजेन ने बताया, "हम बच्चों को कंप्यूटर वैज्ञानिक नहीं बना रहे है. हम चाहते हैं कि बच्चे डिजिटल तकनीक का उपयोग करें. इससे रोजमर्रा की कुछ चुनौतियां भी हल की जा सकती हैं." एक तरफ कुछ बच्चे वर्ड प्रोसेसर पर काम करना सीख रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ बच्चे खराब मशीनों के पुर्जों से कंप्यूटर बनाना सीख रहे हैं. ये पुर्जे कुछ व्यवसायों और दानी संस्थानों ने दिए हैं. छात्रों को पहले की क्लासों से "मदरबोर्ड" और "हार्ड ड्राइव" जैसे शब्दों के बारे में बताया जाता है.

प्रशिक्षक राउल लेटेडे बताते हैं, "बच्चे ये भी सीखते हैं कि बिना पैसे लगाए वे कैसे अपना कंप्यूटर खुद बना सकते हैं." इस मोबाइल क्लास में केवल मुफ्त में उपलब्ध सॉफ्टवेयर का ही इस्तेमाल किया जाता है. "हमारे पास सॉफ्टवेयर खरीदने के पैसे नहीं हैं, इसलिए हम ऐसा करते हैं. हम बच्चों को हैकिंग करना नहीं सिखाना चाहते."

एनआर/आईबी (एएफपी)

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