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समाज

सेक्स से कतरा रहे हैं जापान के युवा

४ दिसम्बर २०१८

अन्य मुल्कों के इतर जापानी युवाओं में डेटिंग को लेकर रुझान घट रहा है. देश के युवाओं में इश्क-मोहब्बत और सेक्स को लेकर रुचि घट रही है. जापानी एसोसिएशन फॉर सेक्स एजुकेशन का हालिया सर्वे कुछ ऐसे ही आंकड़ें पेश करता है.

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Japan Sexindustrie in Tokio
तस्वीर: T. Kitamura/AFP/Getty Images

जापान में रहने वाले 19 साल के इसे इजावा अभी यूनिवर्सटी में ही पढ़ते हैं, लेकिन दुनिया के अन्य युवाओं की तरह डेटिंग को लेकर इनके ख्याल कुछ अलग हैं. इजावा का मानना है कि डेटिंग परेशानी की वजह ज्यादा है. ऐसा भी नहीं है कि इजावा के लिए गर्लफ्रेंड बनाना कोई मुश्किल बात है. वह जापान की राजधानी टोक्यो की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं और उनका लड़कियों की ओर या लड़कियों का उनकी ओर आकर्षित होना स्वाभाविक माना जा सकता है. लेकिन वह इन सब बातों से दूर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं. बचा हुआ वक्त वह घूमने-फिरने और शॉपिंग के लिए पार्ट टाइम जॉब करने में बिताते हैं. 

उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "पढ़ाई के पहले साल में मेरी मुलाकात नए लोगों से हो रही है. जब मैं हाईस्कूल में था, तो मैं नई चीजें खोजता था. लेकिन फिलहाल मैं किसी के साथ कोई बंधन नहीं चाहता." उन्होंने कहा, "मैं अपने आप को काबिल बनाना चाहता हूं ताकि मैं वह चीजें कर सकूं जो मैं करना चाहता हूं. मुझे लगता है कि मेरे कॉलेज में बहुत से लड़के-लड़कियां ऐसा ही महसूस करते हैं."

जापानियों को नहीं करनी डेटिंग

हालिया रुझान बताते हैं कि जापानी युवाओं की डेटिंग में रुचि अब घटने लगी है. ये रुझान जापानी एसोसिएशन फॉर सेक्स एजुकेशन द्वारा किए गए पिछले चार दशकों के शोध पर आधारित है. साल 2017 में हुई स्टडी बताती है कि उच्च शिक्षा लेने वाले 28 फीसदी से ज्यादा छात्र और 30 फीसदी से अधिक छात्राएं कभी भी डेट पर नहीं गए. 2005 में लड़कों में यह आंकड़ां 19.9 फीसदी था और लड़कियां में 17.6 फीसदी.

13 हजार छात्रों के साथ बातचीत पर निकाले गए ताजा आंकड़ें बताते हैं कि अब तक संस्था द्वारा जुटाए गए आंकड़ों में यह दर अधिकतम है. गिरती जन्मदर और तेजी से उम्रदराज होती जनसंख्या से जूझ रहे जापान के लिए ये आंकड़ें एक निराशाजनक संकेत हैं. दरअसल जापान में जन्मदर लगातार घट रही है. साल 2010 में जापान की कुल जनसंख्या अपने उच्च स्तर पर थी. उस वक्त देश की कुल आबादी 12.73 करोड़ थी जो लगातार घट रही है. विश्लेषक मानते हैं कि साल 2065 तक देश की आबादी 10 करोड़ से कम और अगली शताब्दी तक घटकर 8.3 करोड़ हो जाएगी. जापान के लिए एक सबसे बड़ी चिंता इसकी उम्रदराज होती आबादी भी है. जब देश की करीब एक-तिहाई आबादी 65 वर्ष या इससे अधिक हो जाएगी तो अपनी बुजुर्ग आबादी के लिए जापान को पेंशन, मेडिकल सुविधाएं जुटाने के साथ-साथ कामगारों की कम होती संख्या का सामना करना पड़ेगा.

इजावा के दिमाग में देश के भविष्य जैसी बातें दूर-दूर तक नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आज की पीढ़ी हमारे मां-बाप की पीढ़ी से अलग है, जिनके दिमाग में एक साथी की ख्वाहिश बहुत जवान उम्र में ही घर कर जाती थी, और वे लोग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई, नौकरी के बाद परिवार बसाने के बारे में सोचते थे." इजावा कहते हैं कि वो ये सब नहीं चाहते और उन्हें उनके आसपास भी ऐसे ही लोग नजर आते हैं.

महिलाओं का करियर

बदलते दौर में महिलाओं की सोच भी बदली है. आज जापान की महिलाएं करियर को लेकर ज्यादा जागरूक हैं. वे अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध और स्वतंत्र नजर आती हैं. नतीजतन, वे भी देर से शादी करती हैं. 25 की उम्र में शादी करने वाली महिलाएं अपना पहला बच्चा भी 30 या इसके बाद ही प्लान करती हैं. इतना ही नहीं, अब दो-तीन बच्चों की जगह दंपति एक ही बच्चे को तरजीह देते हैं, क्योंकि मां-बाप के सामने घर और काम में बैंलेंस बनाने की चुनौती भी होती है.

हालांकि अब भी नौजवानों का एक तबका अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़कर, रिटायर होने तक एक ही कंपनी में सुरक्षित नौकरी की पारंपरिक सोच पर चलता है. वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो अपने लिए गैर-पारंपरिक रास्तों को खोजता रहता है. ये रास्ते कुछ भी हो सकते हैं, मसलन विदेश में शिक्षा, नौकरी और अपनी रुचियों को वक्त देना, फिर चाहे इसके लिए उन्हें पारंपरिक तरीकों की वकालत करने वाले मां-बाप का विरोध ही क्यों न सहना पड़े. 

सर्वे में हिस्सा ले रहे 47 फीसदी पुरुष छात्रों ने कहा कि उन्होंने सेक्स का अनुभव किया है. वहीं महिला छात्रों में यह आंकड़ा तकरीबन 36.7 फीसदी का है. साल 2005 के सर्वे में यह आंकड़ा करीब 63 फीसदी और 62.2 फीसदी था. 

इंटरनेट कनेक्शन

सर्वे में इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर भी दिलचस्प बातें सामने आईं हैं. एसोसिएशन ने अपनी स्टडी में देखा कि पिछले चार दशकों में लोगों के बीच होने वाली मुलाकात में बदलाव आया है. पिछले सालों में लोग क्लास में पढ़ाई के दौरान मिलते थे, स्पोर्ट्स क्लब और अन्य कार्यक्रमों में मिलते थे, लेकिन अब यह ट्रेंड बदला है और लोग स्मार्टफोन ऐप के जरिए मिलते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि इंटरनेट पर मौजूद पोर्नोग्राफी जैसी सामग्री ऐसे युवाओं के दिमाग को प्रभावित कर सकती है जो विपरीत सेक्स के लोगों से बात करने में झिझक महसूस करते हैं.

टोक्यो की टेंपल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर काइल क्लीवेंलैंड कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि सिर्फ युवा लोग ही इससे प्रभावित हो रहे हैं." उन्होंने कहा, "ऐसे भी अध्ययन हैं जो बताते हैं कि जापानी लोग दूसरे मुल्कों के लोगों की तुलना में कम सेक्स करते हैं." इतना ही नहीं विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जापानी लोग बहुत सामाजिक नहीं होते और ऐसी बातचीत से डरते हैं, जिसके चलते उनमें आत्मविश्वास कम होता है और उनके लिए डेटिंग करना बहुत कठिन हो जाता है.

रिपोर्ट: यूलियान रयाल/एए 

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