1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
आपदा

ढाका के चौक बाजार में आग, 81 की मौत

२१ फ़रवरी २०१९

रिहाइशी इमारत में रखे सिलेंडरों और केमिकल्स ने आग को ऐसा भड़काया कि कुछ ही पलों में पूरा बाजार चपेट में आ गया. करीब 81 लोग मारे गए. आग बुझाने में 12 घंटे लगे और तब तक बहुत कुछ खाक हो चुका था.

https://p.dw.com/p/3Dlqs
Bangladesch Großbrand in Dhaka
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/S. Reza

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में संकरी सड़कों वाले रिहाइशी इलाके, चौक बाजार में बुधवार रात करीब 10 बजकर 40 मिनट पर आग लगी. अधिकारियों के मुताबिक आग एक अपार्टमेंट से शुरू हुई. इमारत में डियोडरेंट बनाने के लिए गैरकानूनी रूप से कई तरह के रसायन रखे गए थे. आग की चपेट में सबसे पहले गैस सिलेंडर आए, उन्होंने आग को भड़काया और फिर चौथी मंजिल पर गैरकानूनी ढंग से रखे गए रसायनों ने लपटों को विकराल बना दिया. पलक झपकते ही पड़ोस की चार इमारतें भी धधकने लगीं.

पास के रेस्तरां में शादी की पार्टी चल रही थी. पूरी पार्टी आग में फंस गई. रेस्तरां के मेन गेट को चेन लगाकर बंद किया था, इसकी वजह से भीतर मौजूद लोग फंसे रह गए.

इलाके में मेडिकल स्टोर चलाने वाले हाजी अब्दुल कादेर के मुताबिक, "मैं फॉर्मेसी में था और मैंने धमाके की आवाज सुनी. मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कारों और रिक्शों से भरी सड़क लपटों में घिरी थी. हर जगह लपटें थीं. मैं भी झुलसा और तुरंत हॉस्पिटल भागा."

सोहाग होसेन ने स्थानीय मीडिया को बताया कि आग के वक्त वह अपने दो दोस्तों के साथ प्लास्टिक फैक्ट्री में काम कर रहे थे. सभी ने धमाके की आवाज सुनी, होसेन भागने में सफल रहे लेकिन उनके दो दोस्त लपटों से नहीं बच सके.

Bangladesch Großbrand in Dhaka
12 घंटे बाद काबू हो पाई आगतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

फायर ब्रिगेड के करीब 200 कर्मचारियों को आग बुझाने में 12 घंटे लगे. बांग्लादेश के दमकल विभाग के चीफ अली अहमद के मुताबिक आग ने कम से कम 70 लोगों की जान ली है. अहमद ने मृतकों की संख्या बढ़ने का अंदेशा जताया. और शाम होते होते संख्या 81 हो गई. ज्यादातर शव इतनी बुरी तरह जले हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है.

चश्मदीदों के मुताबिक पड़ोस की इमारतों में भी हाउसहोल्ड प्रोडक्ट्स से जुड़े केमिकल्स रखे गए थे. उनकी वजह से भी धमाके होते रहे.

फायर ब्रिगेड के चीफ के मुताबिक जिस वक्त आग लगी, उस वक्त तंग सड़कों में ट्रैफिक जाम था. इसकी वजह से लोग तेजी से भाग भी नहीं सके. संकरी सड़कों और ट्रैफिक जाम की वजह से फायर ब्रिगेड को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी वक्त लगा. फायर ब्रिगेड के पास पर्याप्त पानी भी नहीं था.

2010 में भी ढाका के एक केमिकल गोदाम में आग लगी और 120 लोग मारे गए. 2013 में ढाका के बाहरी इलाके में राणा प्लाजा नाम की गारमेंट फैक्ट्री ढह गई. यह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा था. राणा प्लाजा हादसे में 1,134 लोग मारे गए.

ओएसजे/एए (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)

(बार बार ढहती बांग्लादेश की इमारतें)