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समाजएशिया

तवांग में पर्यटकों का नया आकर्षण होगी ट्वाय ट्रेन

प्रभाकर मणि तिवारी
२० अगस्त २०२१

पूर्वोत्तर में तिब्बत की सीमा अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका बरसों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. अब वहां भी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे की तर्ज पर ट्वाय ट्रेन चलेगी.

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Bildergalerie Tawang Kloster
तस्वीर: Saurabh Narang

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे को इस परियोजना पर काम आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. सीमा पार चीन की ओर से आधारभूत परियोजनाओं में लगातार तेजी को ध्यान में रखते हुए और तवांग को पर्यटकों के लिए और लोकप्रिय बनाने के मकसद से ही यह परियोजना शुरू करने का फैसला किया गया है. अब अगले सप्ताह पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारी इस परियोजना के सर्वेक्षण के लिए इलाके का दौरा करेंगे.

रेलवे अधिकारियों ने छह महीने के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है. ट्वाय ट्रेन चलाने के अलावा सीमा पार की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए तवांग तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना पर भी काम तेज करने का फैसला किया गया है. फिलहाल राजधानी ईटानगर से दस किमी दूर स्थित नाहरलागून तक ही ट्रेन जाती है. उसे रेलवे नेटवर्क से वर्ष 2014 में ही जोड़ा गया था.

ट्वाय ट्रेन परियोजना

तवांग राजधानी ईटानगर से करीब साढ़े चार सौ किमी उत्तर-पश्चिम साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अपने बौद्ध मठों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर तवांग दशकों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. यह बालीवुड को भी लुभाता रहा है और कोयला समेत कई हिंदी फिल्मों की शूटिंग इलाके में हो चुकी है. तवांग में भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है. इसकी स्थापना वर्ष 1681 के अंत में मेरा लामा लोद्रे ग्यात्सो ने की थी.

Indien Himalayan Bird, historischer Zug
छोटी पटरियों वाली रेल शहर से गुजरती हैतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Das

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक अंशुल गुप्ता ने राजधानी में मुख्यमंत्री पेमा खांडू से मुलाकात के दौरान ट्वाय ट्रेन परियोजना का प्रस्ताव रखा. मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श के बाद इसे हरी झंडी दिखा दी. प्रस्ताव के मुताबिक, यह ट्रेन तवांग शहर के इर्द-गिर्द ही चलेगी. इसमें कम से कम तीन कोच होंगे और हर कोच में 12 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी. गुप्ता बताते हैं, "यह परियोजना मुख्य रूप से पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है. इसके तहत बाकी चीजों के अलावा फूड कोर्ट और क्राफ्ट बाजार जैसी सुविधाओं वाला एक पार्क भी शामिल है."

एनएफ रेलवे के मुख्य जनसंपर्क सुभानन चंदा बताते हैं कि ट्वाय ट्रेन परियोजना के लिए चार करोड़ रुपए की पूरी लागत राज्य सरकार ही वहन करेगी. इस रेल सेवा को शुरू करने के लिए करीब पांच सौ मीटर नई पटरियां बिछाई जाएंगी. रेलवे ने छह महीने के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है.

सामरिक रेल परियोजनाएं भी

अरुणाचल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए रेलवे राज्य में कई अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रही है. इसमें भालुकपोंग से तवांग के करीब तक 378 किमी लंबी ब्रॉडगेज लाइन का निर्माण भी शामिल है. यह रेल सेवा 10 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचेगी. इसका अस्सी फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, भालुकपोंग-तवांग लाइन का निर्माण सबसे चुनौतीपूर्ण होगा. यह रेलवे लाइन पांच सौ से नौ हजार फीट ऊंचाई तक के इलाकों से गुजरेगी.

Die "Toy Train" Darjilingbahn in Darjiling ist eine Dampflokomotive
दार्जिलिंग के ट्वाय ट्रेन का इंजनतस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

रेलवे के एक अधिकारी बताते हैं कि अरुणाचल से लगी सीमा के पास चीन की आधारभूत योजनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी सीमावर्ती इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत सामरिक महत्व की तीन रेलवे परियोजनाओं का काम भी चल रहा है. इनके तहत अरुणाचल के भालुकपोंग से तवांग, असम के मुरकोंगसेलेक से लेकर अरुणाचल के पासीघाट और असम के ही सिलापाथर से अरुणाचल के बाने के बीच पटरियां बिछाई जाएंगी. उस अधिकारी ने बताया कि इन तीनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ से 70 हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई है.

रेल सेवाएं शुरू करने की मांग

रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने रेलवे सेवाओं को दोबारा शुरू करने की भी मांग उठाई. कोरोना की वजह से इलाके में बंद रेल सेवाओं को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है. बैठक में  नाहरलागून-गुवाहाटी के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस और नाहरलागून से दिल्ली के बीच चलने वाली एसी एक्सप्रेस को एक सितंबर से चलाने का फैसला किया गया.

मुख्यमंत्री ने रेलवे अधिकारियों से नाहरलागून से चेन्नई होते हुए बेंगलुरु तक के लिए भी सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग की. उनका कहना था कि राज्य के हजारों छात्र, युवा और मरीज पढ़ाई, रोजगार और इलाज के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों में जाते हैं. रेलवे ने इस मांग पर विचार करने का भरोसा दिया है.