1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तुर्की में लोकतंत्र के लिए काला अध्याय शुरू

गुनार कोएने
१० जुलाई २०१८

तुर्की में एर्दोवान का नई शक्तियों के साथ राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेना उनकी लंबे समय से चली आ रही कोशिशों का नतीजा है. लेकिन तुर्की बंटा है. DW के गुनार कोएने कहते हैं कि जर्मनी तुर्की के विपक्ष का साथ नहीं छोड़े.

https://p.dw.com/p/318uG
Türkei Präsident Recep Tayip Erdogan bei Vereidigung
तस्वीर: picture-alliance/AA/K. Ozer

1990 के दशक में जब रेचेप तय्यप एर्दोवान इस्तांबुल के मेयर थे तो बताते हैं कि उन्होंने कहा था, "लोकतंत्र सड़क पर चलने वाली एक कार है. जब आपकी मंजिल आ जाती है तो आप उसमें से उतर जाते हैं."

64 वर्षीय एर्दोवान अब अपनी मंजिल पर पहुंच गए हैं. उन्होंने खुद को राष्ट्रपति की गद्दी पर बिठा लिया है, अपनी मर्जी का संविधान तैयार कराया है, ताकि वह लगभग असीमित शक्तियों के साथ देश पर राज कर सकें. संसद की अब शायद ही कोई बड़ी भूमिका बची है. एर्दोवान ही लोगों को नियुक्त करेंगे, वही उन्हें बर्खास्त करेंगे, अब चाहे जज हो, मंत्री हो या फिर अध्यापक हो. सप्ताहांत पर उन्होंने 18 हजार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया और ये बर्खास्त होने वाले आखिरी लोग नहीं हैं.

मिस्र और रूस की तरह

तुर्की अपने 90 साल के इतिहास में कभी एक आदर्श लोकतंत्र नहीं रहा. लेकिन अब जिस तरह संसद से अधिकार छीने गए हैं, उसके बाद तुर्की उसी श्रेणी में आ गया है जिसमें मिस्र और रूस हैं. हालांकि एक अंतर फिर भी है: तुर्की में राजनीतिक विपक्ष कोई छोटा समूह नहीं है, बल्कि उसे लगभग आधी आबादी का समर्थन प्राप्त है.

अगर एर्दोवान और उनके समर्थक यह सोचते हैं कि अब से देश पर पूरी तरह उनका राज हो जाएगा तो वे एक बड़ा जोखिम उठा रहे हैं. वह उदारवादी सोच वाले हर अध्यापक को सड़क पर लाकर खड़ा कर सकते हैं और इस्लाम की कक्षाएं बढ़ा सकते हैं. वे बाकी बचे यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की हैसियत को घटा कर यहां तक ला सकते हैं कि वे बस ऊपर से मिलने वाले आदेशों को मानें,. वह पश्चिमी रुझान और उन्नतशीलता की बात करने वाली कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं और सरकारी कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ अपने चहेतों को बांट सकते हैं. वह पश्चिम को निशाना बनाना जारी रख सकते हैं, फ्रेंडली मीडिया के जरिए जनता को बरगलाते रहेंगे और कुर्दों की मांगों को ज्यादा हिंसा के साथ दबाना जारी रख सकते हैं.

एर्दोवान सब कुछ कर सकते हैं. इसकी जरूरत तब पड़ेगी जब लंबे समय से किए जा रहे आर्थिक और राजनीतिक वृद्धि के वादे पूरे नहीं होंगे. वैसे तुर्की की मुद्रा लीरा में गिरावट और तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति एक गंभीर संकट के पहले संकेत हैं.

यह अब तक साफ नहीं है कि नई व्यवस्था काम करेगी भी या नहीं. हालांकि एर्दोवान ने तुर्की की जनता से वादा किया है कि वह भारी भरकम नौकरशाही की जगह एक ऐसा सिस्टम लाएंगे जो कारगर होगा. वैसे उन्होंने दर्जनों उप राष्ट्रपति पद और सलाहकार आयोग बनाए हैं, जिसकी दक्षता भी अस्पष्ट है. एर्दोवान निजी रूप से सब कुछ नियंत्रित करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें ऐसे लोगों की जरूरत है जो सिर्फ उनकी हां में हां ना मिलाएं बल्कि काम भी करें.

Koehne Gunnar Kommentarbild App PROVISORISCH
डीडब्ल्यू संवाददाता गुनार कोएने

एर्दोवान अपनी योजनाओं को सिर्फ डंडे के जोर पर ही लागू कर सकते हैं. अगर उन्होंने ढील दी, तो देश पर शासन करना मुश्किल हो जाएगा. उन्हें यह बात पता है. फिर भी वह मेलमिलाप के संकेत दे रहे हैं. उन्होंने गैर राजनीतिक स्वतंत्र विशेषज्ञों को मंत्री बनाने की घोषणा की है. लेकिन इस तरह के संकेतों को सिर्फ अन्य देशों और विदेशी निवेशकों को शांत कराने की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए.

लोकतंत्र का समर्थन करने वाले तुर्क लोगों के लिए काला अध्याय शुरू हो रहा है. इससे पहले कभी उनका वास्ता एर्दोवान जितने ताकतवर विरोधी से नहीं पड़ा था. चुनावों में हार के तौर पर मिली मायूसी के बावजूद तुर्की का विपक्ष जल्द ही अपनी ताकत को पहचानेगा.

भविष्य में जर्मनी और यूरोप को तुर्की के इस विपक्ष को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. जो सरकार विरोधी भागने को मजबूर हैं, हमें उनको सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए और तुर्की पर दबाव बढ़ाना चाहिए. यूरोपीय संघ ने कस्टम यूनियन के विस्तार को लेकर तुर्की के साथ होने वाली वार्ताओं को अस्थायी तौर पर रोक कर बिल्कुल सही किया. तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल करने को लेकर चल रही वार्ताएं भी तुरंत बंद हो सकती हैं. अभी जो स्थिति है, उसे देखते हुए इन वार्ताओं का कोई मतलब नहीं है.

देखिए कितना बदल गया तुर्की

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी