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समाज

दक्षिण अफ्रीका में हिंसक होती विदेशियों के प्रति घृणा

४ सितम्बर २०१९

दक्षिण अफ्रीका में विदेशियों पर हमले हो रहे हैं और उनके खिलाफ भावनाएं पूरे महाद्वीप में दिखने लगी हैं. दक्षिण अफ्रीका की सरकार पर ऐसे हमले रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का दबाव डाला जा रहा है.

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Unruhen in Südafrika
जोहानेसबर्ग के बिजनेस डिस्ट्रिक में तथाकथित विदेशियों की दुकानें लूटते लोग.तस्वीर: AFP/G. Sartorio

दक्षिण अफ्रीका में अलग अलग जगह हुए हमलों में पांच लोगों की जान चली गई है. राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने विदेशियों के खिलाफ की जा रही हिंसा को कुचलने की बात कही है. नाइजीरिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे ने अपने नागरिकों के ऊपर हुए हमलों को लेकर कड़ा विरोध जताया है. लगातार तीसरे दिन दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में हथियारबंद लोगों ने विदेशी लोगों को निशाना बनाया है. इसके कुछ घंटे पहले ही पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए कार्रवाई की थी और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था. पुलिस ने बताया है कि मारे गए पांच लोगों में ज्यादातर दक्षिण अफ्रीकी नागरिक ही हैं. इस सिलसिले में 189 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.

बेरोजगारी से भड़का गुस्सा

दक्षिण अफ्रीका में रामाफोसा ने मई 2019 में ही अपनी सरकार बनाई. देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने और रोजगार पैदा करने के वादे के साथ सत्ता में आए रामाफोसा की लोकप्रियता को जुलाई में आए आंकड़ों से धक्का पहुंचा. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के आंकड़ों से पता चला कि देश में बेरोजगारी 29 फीसदी के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. ग्यारह साल पहले ही लेबर फोर्स सर्वे कराए जाने की शुरुआत हुई थी और उसमें यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है.

नाइजीरिया के विदेश मंत्री जेफ्री ओनीमा ने सोशल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर ऐसे हमलों पर अपना गुस्सा जाहिर किया. विदेशियों पर निशाना साध कर किए गए इन हमलों की चपेट में कुछ नाइजीरियाई भी थे. उन्होंने लिखा, "व्यथित करने वाली खबरें आ रही हैं कि दक्षिण अफ्रीका में नाइजीरियाई लोगों की दुकानों को जलाया जाना और लूटना जारी है. बिना अक्ल वाले अपराधी इसे अंजाम दे रहे हैं और पुलिस सुरक्षा देने में नाकारा दिख रही है." ओनीमा ने कहा कि उनका देश इसके खिलाफ अपने कदमों से सुनिश्चित करेगा कि कुछ कदम उठाए जाएं. नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी 4 सितंबर को केप टाउन में विश्व आर्थिक मंच के अफ्रीकी संस्करण में हिस्सा लेने वाले हैं. उनके अपने देश का उन पर दबाव है कि वे दक्षिण अफ्रीका में सख्त रूख पेश करें.

Südafrika Fremdenhass Fremdenfeindlichkeit Angriff Mord
सन 2015 में भी विदेशियों पर हमले हुए थे जिसके बाद हजारों लोग जोहानेसबर्ग के रेफ्यूजी कैंपों में रहने लगे थे. तस्वीर: picture-alliance/dpa/KIM LUDBROOK

'कृतघ्नदक्षिण अफ्रीकी

आप्रवासियों पर हमलों को लेकर दोनों देशों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है. अब तो यह आम नागरिकों तक भी पहुंच गया है. नेशनल एसोसिएशन ऑफ नाइजीरियन स्टूडेंट्स नाइजीरिया में कार्ररत दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों के बाहर धरना देकर इसके खिलाफ विरोध जता रहे हैं. लागोस के मायोवा आदेबोला को लगता है कि दक्षिण अफ्रीकी लोग एहसानफरामोश हैं और रंगभेद के दौर में नाइजीरिया से मिले सहयोग को भूल गए हैं. वे कहते हैं, "मुझे याद है नेल्सन मंडेला की किताब लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम में उन्होंने नाइजीरिया की प्रशंसा करते हुए लिखा था कि कैसे रंगभेद के दौर में नाइजीरिया बड़े भाई की तरह साथ खड़ा था."

नाइजीरियाई कारोबारी निशाना

कई युवा अश्वेत दक्षिण अफ्रीकी नाइजीरिया पढ़ने जाते थे जब उनके अपने देश में श्वेत अल्पसंख्यकों का दबदबा था. नाइजीरियाई सरकार ने उन्हें छात्रवृत्तियां देकर देश के कुछ बेहतरीन स्कूलों में लाने की व्यवस्था की. अब स्थिति काफी बदल गई है. कई छात्र जो दक्षिण अफ्रीका जाने की मन बना चुके थे अब उच्च शिक्षा के लिए दूसरे ठिकाने तलाशने लगे हैं. उनका कहना है कि नाइजीरिया में दक्षिण अफ्रीकी लोग आराम से कारोबार कर पा रहे हैं जबकि वहां नाइजीरियाई लोगों को मारा जा रहा है.

जिम्बाब्वे के ट्रक डाइवर पर हमला

जिम्बाब्वे के बहुत सारे लोग दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं और हालिया हमलों के वे भी शिकार बने हैं. एवरसन चकाड्या का भाई दक्षिण अफ्रीका में ट्रक चलाता है. हाल के हमलों में वो भी शिकार बना. चकाड्या ने डॉयचे वेले से बताया, "एक महीने पहले सड़क पर उसके ऊपर पेट्रोल बम फेंका गया. उसकी पिटाई की गई और वहीं मरने के लिए छोड़ दिया गया. वो जो भी सामान ट्रक में था वो भी लुट गया. मुझे नहीं लगता कि ऐसा बर्ताव सहन करने लायक है."

Südafrika, Pretoria: Lagerhaus für Papierrecycling in Brand gesteckt
2 सितंबर 2019 की रात दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में जलाई गई दुकानों का हाल बताती तस्वीर.तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Magakoe

क्या ये विदेशियों से नफरत नहीं?

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में ऐसे 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो ट्रकों पर हमले और विदेशी ड्राइवरों के खिलाफ प्रदर्शन करने संबंधी कार्रवाइयों से जुड़े थे. 3 सितंबर को जोहानेसबर्ग के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक में जिन सैकड़ों लोगों ने मार्च निकालते हुए, दुकानों में तोड़फोड़ मचाई, कारें और इमारतें जलाईं, उनमें से भी कम से कम 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद दक्षिण अफ्रीकी शहर अलेक्जैंड्रा में  विरोध प्रदर्शन और लूटपाट की घटनाएं 3 से 4 सितंबर की रात में भी जारी रहीं.

दक्षिण अफ्रीकी सरकार जोर देकर कह रही हैं कि ये घटनाएं विदेशियों के प्रति घृणा से प्रेरित नहीं हैं बल्कि आपराधिक तत्वों का कारनामा हैं. रोजगार और श्रम मंत्री थुलास नेक्सेसी ने तो उन अफ्रीकी देशों को समस्या सुलझाने में मदद के लिए आमंत्रित किया है जिनके नागरिक ऐसे हमलों के शिकार बने.

क्रिस्टीना बेर्तोलासो-कृपाल/आरपी (एएफपी)

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