1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दक्षिण एशिया के लोगों को मोटापे से ज्यादा खतरा

२९ जुलाई २०११

मोटापा अन्य लोगों की तुलना में दक्षिण एशिया के लोगों के लिए अधिक हानिकारक होता है. एक नई रिसर्च के अनुसार दक्षिण एशिया के लोगों को मोटापे के कारण ज्यादा बीमारियां होती हैं.

https://p.dw.com/p/1260J
So wird man sicher übergewichtig: Ein recht fülliger Mann trinkt ein Glas Bier und hat vor sich verschiedene, äusserst kalorienreiche Gerichte und Süßigkeiten auf dem Tisch wie Sahnetorte, Pommes-Frites mit Mayonnaise und Pizza. (undatierte jüngere Aufnahme)
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

इस रिसर्च के तहत दक्षिण एशिया में रहने वाले लोगों की कॉकेशियाई नस्ल के लोगों से तुलना की गई. कॉकेशियाई नस्ल के लोग अधिकतर यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में होते हैं, लेकिन पश्चिम, मध्य और दक्षिण एशिया में भी इस नस्ल के कुछ लोग हैं. रिसर्च के अनुसार कोकेशियाई लोगों में चर्बी, त्वचा के नीचे एक चादर बना लेती है, लेकिन दक्षिण एशियाई लोगों में ऐसा नहीं होता. उनमें चर्बी शरीर के अंगों तक पहुंच जाती है और उन्हें नुकसान पहुंचाती है. इसलिए दक्षिण एशियाई लोगों को बढ़ते वजन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

Fahrradtaxis transportieren Fahrgäste durch die Chandnee Chawk Straße in Delhi, Indien. Aufnahme vom 13.03.2006. Foto: Sari Gustafsson +++(c) dpa - Report+++ Dienstleistungen, Frauen, Geografie, Gesellschaft, Nationalitäten, Straßen, Transporte, Verkehr, Zweirad, Alltag, Alltagsszene, Alte_Menschen, Dick, Fahrrad, Fahrräder, fettleibig, Inder, Rikscha, Senioren, Straße, taxi
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

चर्बी नुकसानदायक

इस रिसर्च की मुख्य शोधकर्ता सोनिया आनंद के अनुसार फर्क इस बात से पड़ता है कि शरीर में वसा इकट्ठा करने की जगह कितनी है और यह कहां इकट्ठा होती है, "दक्षिण एशिया के लोगों में त्वचा के नीचे चर्बी इकट्ठा करने की जगह बहुत ही कम है. इसलिए शरीर में मौजूद अत्याधिक चर्बी पेट और लीवर की ओर जाने लगती है और उन पर बुरा असर डालती है." जब चर्बी इन अंगों से जा कर जुड़ जाती है तो शरीर में ग्लूकोस और वसा की मात्रा बढ़ने लगती है. इस से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.

कुछ के लिए खतरा

इसका मतलब यह हुआ कि कोकेशियाई लोगों के लिए जो बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) स्वस्थ माना जाता है वह दक्षिण एशिया के लोगों के लिए बीमारियों का संकेत हो सकता है. बीएमआई इंसान के वजन और कद का अनुपात होता है. 18 से 23 के बीच बीएमआई को स्वस्थ माना जाता है. लेकिन रिसर्च के अनुसार हर नस्ल के लोगों के लिए यह अलग होना चाहिए. कैनेडियाई ओबेसिटी नेटवर्क के अध्यक्ष आर्य शर्मा ने इस बारे में कहा, "इस रिसर्च से पता चलता है कि कम बीएमआई होने के बाद भी दक्षिण एशिया के लोगों को मोटापे से होने वाली बीमारियां क्यों होती हैं. इसका मतलब यह भी है कि कम बीएमआई वाले लोगों को भी मधुमेह और हृदय रोग का बड़ा खतरा है."

An over-weight Indian man takes part in a rally at the Marina Beach, Chennai, India, 05 December 2009. Obesity Foundation India organized the rally to create awareness about the perils of severe obesity with the theme being 'Obesity is a health hazard'. World Health Organization (WHO) officially classified that 1.2 billion people around the world are overweight and in India itself more than 25 per cent of the Indian population is overweight with statistics continuing to rise due to the changing lifestyle. EPA/NATHAN G. ### Verwendung nur in Deutschland, usage Germany only ####
तस्वीर: picture alliance/dpa

कनाडा में किए गए इस रिसर्च में 108 लोगों के आंकड़े इकट्ठा किए गए. ये वो लोग हैं जो भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से आ कर यहां बस गए हैं. इनकी तुलना उन लोगों से की गई जिनकी जडें यूरोप में हैं. इन लोगों के कोलेस्टेरॉल और ब्लड शुगर की मात्रा जांची गई. शायद यह रिसर्च इस बात का भी जवाब देती है कि यूरोप के लोग हर रोज मांस खा कर भी उसे आराम से पचा पाते हैं, जबकि भारतीयों को ऐसा करने पर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं.

रिपोर्ट: ए एफ पी/ ईशा भाटिया

संपादन:आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी