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दादा दादी के साथ कंप्यूटर गेम

२३ अगस्त २०१०

बच्चों को वीडियो गेम्स में डूबे तो आपने खूब देखा होगा. लेकिन जर्मनी का एक स्कूल बच्चों के साथ साथ उनके माता पिता और दादा दादी को भी वीडियो गेम सिखाता है. मकसद है कि बच्चे और बड़े, एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकें.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

नीड फॉर स्पीड, सुपर मारिओ या गिटार हीरो के जैसे गेम्स में अब दादी दादी भी शामिल होने लगे हैं, ताकि वे नाती पोतो के साथ मिल कर इन खेलों के मज़े ले सकें और नई पीढ़ी को समझ सकें.

अब लाइपजिश के कंप्यूटर गेम स्कूल ने बच्चों को मां बाप यहां तक कि दादा दादी के साथ कंप्यूटर गेम्स सिखाने का एक कार्यक्रम बनाया है जिसे साल में दो बार चलाया जाएगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इसी स्कूल में क्रिस्तोफ यानिस भी जाते हैं. वह अपने पोते के साथ कंप्यूटर गेम खेलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्क्रीन पर कुछ हिलता ही नहीं, हालांकि वह हिम्मत नहीं हारते हैं.

वैसे भी 78 साल की उम्र में कंप्यूटर गेम में माहिर होना आसान बात तो नहीं है. लेकिन कम से कम क्रिस्तोफ यानिस मॉनिटर के सामने बैठे तो हैं. और उन्हें यहां लाने वाले दस साल के टोनी और उसका दोस्त योहानिस बगल में कुर्सी पर बैठे हैं. धूप खिले मौसम में झील में नहाने के बदले दादा जी को कंप्यूटर गेम खेलने के लिए लाना यह आसान नहीं था. लेकिन लगता है कि उन्हें भी मजा आ रहा है. टोनी कहता है, "क्या बात है. वैसे तो सिर्फ मम्मी और पापा ही खेलते हैं, लेकिन दादा के साथ खेलना अलग ही बात है."

पास ही के एक कंप्यूटर पर 52 साल की गाब्रिएले हाइडेकर अपने पोते और पोती के साथ बैठी हैं. वे दस बार यहां आ चुके हैं, अब तो हफ्ते में दो बार आने लगे हैं. आठ साल की मेलिका कहती है कि दादी तो एक्सपर्ट बन गई है. "दादी ने कहा कि यहां आया जाए. यहां तो हम खुद चुन सकते हैं कि कौन सा गेम खेलना है. मैं दादी की मदद भी कर सकती हूं. वह तो लगातार पूछती रहती है."

लगभग दो साल से लाइपजिश का यह स्कूल चल रहा है. बच्चों से ज्यादा उनके मां बाप और दादा दादी के लिए इसे बनाया गया है ताकि वे अपने बच्चों को समझ सकें. कंप्यूटर से उनका डर दूर हो. यहां खेलने के लिए हर घंटे का एक यूरो देना पड़ता है.

क्लाउडिया फिलिप लाइपजिश यूनिर्सिटी में मीडिया लेक्चरर हैं और इस प्रोजेक्ट को चला रही हैं. वह कहती हैं, "मकसद यह है कि वे जानकारी हासिल करें कि कौन से खेल मौजूद हैं. कौन कौन सी शाखाएं हैं. मसलन स्ट्रैटेजी गेम, जहां कहना पड़ता है कि यह बीस मिनट में खत्म नहीं होने वाला है. और अगर ऐसा नियम बना दिया जाए, तो एक चुनौती है. कुछेक खेल हैं जिनमें समय ज्यादा लगता है. यह सब जानने के बाद तय किया जा सकता है कि हफ्ते में कितने घंटे खेलने की इजाजत जरूरी है. मां बाप के लिए यह जानकारी फायदेमंद."

कई लोगों को फिक्र होती है कि गेम के चक्कर में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है. लेकिन अगर बच्चों के साथ साथ माता पिता भी गेम्स में दिलचस्प लेंगे तो वे एक दूसरे को बेहतर समझ पाएंगे. फिर शायद जरूरत से ज्यादा गेम्स में समय न गंवाने की हिदायतों पर वे आसानी से अमल करने को तैयार भी हो जाएं.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/ए कुमार

संपादनः आभा एम