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दुनिया से लुप्त हो चुके हैं जंगली घोड़े

२३ फ़रवरी २०१८

ज्यादातर लोग अब तक जिन्हें आखिरी जंगली घोड़े मान रहे थे वह घरेलू घोड़े साबित हुए जो अपने मालिकों के यहां से भाग निकले थे. साइंस जर्नल में छपी एक रिसर्च से यह बात पता चली है.

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Mongolei Auswilderung von Przewalski-Pferden
तस्वीर: Reuters/D. W. Cerny

वैज्ञानिकों के लिए भी यह चौंकाने वाली खबर है जिसका पता उन्हें अप्रत्याशित तौर पर घोडों का वंशवृक्ष तैयार करने के दौरान पता चला. घोड़ों के वंश के एक नए डीएनए विश्लेषण से यह वंशवृक्ष कर तैयार किया जा रहा था. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम और बायोडाइवर्सिटी इंस्टीट्यूट से जुड़ी सांद्रा ओलसेन रिसर्च रिपोर्ट की सहलेखक हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "यह बहुत हैरान करने वाला है कि धरती पर अब कोई जीवित जंगली घोड़ा नहीं है...यह दुखद है."

उत्तरी कजाखस्तान में दो जगहों बोटाई और क्रासनयी यार में पुरातात्विक खोजबीन पर रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने देखा कि घोड़ों को पालतू बनाने के प्रमाण 5000 साल से ज्यादा पुराने हैं. इस बारे में और जानकारी के लिए अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों ने बोटाई के 20 घोड़ों के जीनोम का सिक्वेंस तैयार किया जो इस जगह पर मिले दांतों और हड्डियों पर आधारित था. इसके साथ ही पूरे यूरेशिया के 22 दूसरे घोड़ों का भी जीनोम सिक्वेंस तैयार किया गया. इसके बाद उन्होंने प्राचीन घोड़े के जीनोम से पहले प्रकाशित 18 प्राचीन और 28 आधुनिक घोड़ों के जीनोम से इसकी तुलना की.

इसमें उन्हें पता चला कि प्रजेवाल्स्की के घोड़े पहले से ज्ञात पालतू घोड़ों के वंशज हैं जिन्हें बोटाई के लोग 5,500 साल पहले रखते थे. इनका नाम एक रूसी वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया. इसका मतलब है कि ये घोड़े जंगली नहीं बल्कि पालतू थे और अपने मालिकों के यहां से भाग आए थे. हजारों साल पहले से लेकर भाप ईंजन वाली ट्रेन के आने तक इंसानों के लिए घोड़े यातायात का सबसे तेज साधन थे. सच कहा जाए तो मोटरकारों के आने के बाद ही घोड़ों का यातायात में महत्व कम हुआ. घोड़ों ने इंसान की गतिशीलता, कारोबार और जंग के तौर तरीकों पर क्रांतिकारी असर डाला.

Przewalski Pferde
तस्वीर: DPA

प्रजेवाल्स्की के घोड़ों को इंटनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन अब तक लुप्तप्राय जीव मानता था. गोल पेट, छोटे पैर और लाल भूरे से गहरे पीले तक रंगों वाले घोड़े मध्य एशिया, यूरोप और चीन में प्रागैतिहासिक युग में घूमा करते थे. फिलहाल ऐसे करीब 2000 घोड़े मंगोलिया में रहते हैं. 1960 के दशक में उन्हें लुप्त जीवों की सूची में डाल दिया गया लेकिन उनकी ब्रीडिंग के कई अभियानों और दूसरे उपायों के जरिए उनकी संख्या बढ़ाने में मदद मिली.

इस खोज ने अब एक नई खोज की नींव रख दी है और वह है आज के घोड़ों की उत्पत्ति का पता लगाना. फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के वैज्ञानिक लुडविक ऑरलैंडो कहते हैं, "मौजूदा मॉडलों को देख कर लगता था कि सभी आधुनिक पालतू घोड़े जो आज जीवित हैं वो उन घोड़ों के वंशज हैं जिन्हें पहली बार बोटाई में पालतू बनाया गया लेकिन जीनोमिक एनालिसिस ने अप्रत्याशित नतीजे दिए हैं." लुडविक के मुताबिक चूंकि बोटाई घोड़े आज के घरेलू घोड़ों के पूर्वज नहीं हैं, "इसलिए आधुनिक पालतू घोड़ों का जन्म अवश्य ही कही और हुआ होगा."

एनआर/एके (एएफपी)