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बच्चों की जान बचाने वाले ड्रोन

१९ दिसम्बर २०१८

ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ हवाई हमलों या वीडियो शूट करने के लिए ही नहीं होता. प्रशांत महासागर के दूर दराज के एक द्वीप में पहली बार ड्रोन से दवा पहुंचाकर शिशुओं की जान बचाई गई.

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Deutschland Rettungscopter für die DRK-Wasserwacht an der Ostsee
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer

प्रशांत महासागर के बीचोबीच बसा देश वानुआतु असल में 83 द्वीपों का समूह है. कुछ द्वीप अति दुर्गम माने जाते हैं. वहां तक पहुंचना बेहद चुनौती भरा है. ऐसा ही एक द्वीप पैसिफिक आर्किपेलागो ऑफ वानुआतु है. संयुक्त राष्ट्र चिल्ड्रेन्स फंड यूनिसेफ के मुताबिक, इस द्वीप में एक महीने के शिशु को ड्रोन के जरिए दवा दी गई. किसी शिशु को कर्मशियल ड्रोन के जरिए दवा देने का यह पहला मामला है.

राहत संस्थाओं की उम्मीद है कि भविष्य में ड्रोन के जरिए द्वीप के दुर्गम इलाकों में आसानी से दवाएं पहुंचाई जा सकेंगी. ट्रायल को सफल करार देते हुए यूनिसेफ की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोरे ने कहा, "ड्रोन की एक छोटी सी उड़ान दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से एक बड़ा कदम है. दुनिया भर में आज भी बच्चों तक जीवनरक्षक दवाएं पहुंचाना एक चुनौती है, ड्रोन तकनीक इस मामले में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, यह कोने कोने में जाकर हर बच्चे तक पहुंच सकती है."

ड्रोन के जरिए दवाएं यूं तो पहले भी डिलीवर की जा चुकी हैं, लेकिन अति दुर्गम क्षेत्र में किसी बच्चे तक पहली बार इस तरह वैक्सीन पहुंचाई गई है. यूनिसेफ के मुताबिक यह पहला मौका है जब कर्मशियल कॉन्ट्रैक्ट के जरिए इम्यूनाइजेशन की प्रक्रिया को रुटीन बनाया जा रहा है. वानुआतु के ज्यादातर द्वीपों तक नाव के जरिए ही पहुंचा जा सकता है.

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प्रशांत महासागर का दुर्गम इलाका वानुआतु

वानुआतु जैसे गर्म इलाकों में ड्रोन के जरिए वैक्सीन डिलीवर करते समय बड़ी चुनौती टीके वाली दवा के तापमान को ठंडा बनाए रखने की है. ट्रायल के दौरान ड्रोन ने दुश्वार और पहाड़ी इलाके को पार करते हुए 40 किलोमीटर लंबी उड़ान भरी. वैक्सीन स्टीरोफोम के एक बॉक्स में रखी गई थी. बॉक्स के भीतर आईस पैक भी रखे गए थे. कुक्स बे इलाके में दवा एक रजिस्टर्ड नर्स तक पहुंची. उन्होंने 13 शिशुओं और पांच गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया.

नर्स मिरियम नामपिल अब तक टीकाकरण के दौरान यहां पेश आने वाली मुश्किलों के बारे में बताते हुए कहती हैं कि "यात्रा बेहद लंबी और मुश्किल भरी होती है. मैं महीने में सिर्फ एक बार बच्चों को इंक्जेशन लगाने जा पाती हूं. लेकिन अब इन ड्रोनों की मदद से हमें उम्मीद है कि दुर्गम द्वीपों में रहने वाले ज्यादातर बच्चों तक पहुंचा जा सकेगा."

यूनिसेफ का कहना है कि वानुआतु सरकार अब दवाओं की डिलीवरी के लिए ड्रोनों को अपने स्वास्थ्य विभाग में शामिल करने की तैयारी कर रही है. एजेंसी के मुताबिक आज भी दुनिया भर में हर साल तीन करोड़ शिशुओं तक इम्यूनाइजेशन के टीके नहीं पहुंच पाते. इन टीकों के बिना शिशुओं को निमोनिया, डायरिया, मलेरिया, खसरा, एचआईवी/एड्स और कुपोषण जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है. दुर्गम या पिछड़े इलाकों में यह टीकाकरण अभियान न पहुंचने की वजह से करीब 40 फीसदी बच्चे अकाल मारे जाते हैं.

ओएसजे/आरपी (एएफपी)