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नाजुक मोड़ पर हैं जर्मन पाकिस्तानी रिश्ते

१९ जुलाई २०१८

पाकिस्तान के लिए जर्मनी एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सहयोगी और मदद करने वाला देश है. 25 जुलाई को पाकिस्तान में होने वाले चुनाव से पहले सेना की बढ़ती ताकत से अधिकारी चौकस तो हैं लेकिन आलोचना की आवाजें सुनाई नहीं दे रही.

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Nawaz Sharif bei Merkel PK 11.11.2014
तस्वीर: Reuters/F. Bensch

जुलाई के महीने में ज्यादातर जर्मन सांसद गर्मी की छुट्टियों पर निकल गए हैं, दफ्तर खाली पड़े हैं लेकिन वामपंथी पार्टी डी लिंके के सांसद टोबियास फ्लुगर काम में जुटे हैं. वे जर्मन-दक्षिण एशिया सांसदों के ग्रुप के प्रमुख हैं. कुछ ही महीने पहले ये पद संभालने वाले फ्लुगर ने डॉयचे वेले से कहा, "जर्मनी का विदेश मंत्रालय पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीतिक साझेदार मानता है. जर्मन विदेश मंत्रालय का फोकस सैन्य सहयोग पर है."

2012 में जर्मनी और पाकिस्तान के बीच रक्षा मंत्रालयों के बीच द्विपक्षीय करार हुआ था. दोनों देशों की सेनाओं की नियमित मुलाकातों के अलावा जोर जर्मनी की ओर से दी जाने वाली मिलिट्री ट्रेनिंग पर है. जर्मन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि दोनों देशों के सैन्य सहयोग का मकसद खास सूचनाओं के आदान प्रदान के अलावा दीर्घकालीन संबंध हैं. पाकिस्तान के कमांडिंग अफसरों की हैम्बुर्ग की सैनिक अकादमी में ट्रेनिंग दी जाती है.

नवाज शरीफ ने झेले हैं ये सियासी तूफान

मीडिया पर सख्ती

पाकिस्तान की सियासत में वहां की शक्तिशाली सेना की उपस्थिति विवादों को जन्म दे रही है. कई पत्रकारों ने गुमनामी की शर्त पर कहा कि पिछले महीनों में पाकिस्तानी मीडिया के खिलाफ हुई कार्रवाई और पत्रकारों के लापता होने के पीछे सेना का हाथ है. पाकित्सान की सेना ऐसे आरोपों का लगातार खंडन करती रही है.

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने जा रहे हैं. भ्रष्टाचार के मुकदमों के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया गया है. इसी महीने उन्हें अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में 10 साल कैद की सजा सुनाई है. तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने भारत के साथ दोस्ताना संबंध बनाने की कोशिश कर सेना को नाराज कर दिया है. चुनावों में उनकी पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज) और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच कांटे की टक्कर है. पूर्व क्रिकेटर इमरान खान भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. उन्हें सामाजिक रूढ़िवादी और सेना के साथ हाथ मिलाने वाला कहा जाता है.

जर्मनी में आसानी से रच-बस जाते हैं पाकिस्तानी

नजरअंदाज करना मुश्किल

इन सबके बावजूद अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तानी सेना पश्चिमी देशों की महत्वपूर्ण सहयोगी है. तालिबान से बातचीत में पाकिस्तान भी भूमिका अहम है. जर्मनी ने भले ही भारत को भी रणनीतिक साझेदार बना लिया हो, अफगानिस्तान और पाकिस्तान मामलों के लिए जर्मनी के विशेष दूत मार्कुस पोत्सेल कहते हैं, "पाकिस्तान को नजरअंदाज करना नामुमकिन है."

पाकिस्तान के चुनावों में कट्टरपंथियों की भरमार

परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान का इतिहास अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक गुटों को सहयोग देने का रहा है. पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तानी सेना का फोकस देश के अंदर और वहां से काम कर रहे उग्रवादी गुटों का खात्मा करने का रहा है. इसकी वजह से हमले कुछ कम हुए हैं लेकिन अफगानिस्तान और कश्मीर पर सेना के हितों का साथ देने वाले गुटों के प्रति नरमी दिखाता हुआ लग रहा है. आतंकवाद को वित्तीय मदद पर रोक लगाने के लिए भी उसने पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं.

जर्मनी का महत्व

पाकिस्तान के लिए जर्मनी एक महत्वपूर्ण ट्रेड पार्टनर भी है. जर्मनी से वहां मशीनें, केमिकल, गाड़ियां और इलेक्ट्रिक सामान निर्यात होता है और वहां से कपड़े और चमड़े का सामान आयात होता है. 2016 में द्विपक्षीय व्यापार 20.6 करोड़ यूरो रहा.

मानवाधिकार के लिए काम करने वाले पाकिस्तानी वकील सरूप इजाज का कहना है जर्मनी और उसके इस्लामाबाद स्थित दूतावास को पाकिस्तानी सरकार और सरकारी संगठनों की आलोचना से बचना चाहिए. चूंकि अब ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ यूनियन से निकलने का फैसला कर लिया है, ऐसे में बर्लिन में यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान में जर्मनी की भूमिका व अहमियत और बढ़ जाएगी.

जानिए पाकिस्तान की पूरी कहानी

रिपोर्ट: नाओमी कोनराड/वीसी