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नेशनल पार्क से आबाद होता बर्बाद इलाका

१६ फ़रवरी २०१८

अफ्रीकी देश मॉरेतानिया में 80 के दशक में एक बांध बना ताकि पड़ोसी देशों को भी मीठा पानी मिल सके. प्रकृति के साथ इस छेड़छाड़ से समुद्र का जलस्तर बढ़ गया, किनारे डूब गए और कई पशु पक्षी इलाका छोड़ कर चले गए.

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Global Ideas Diawling Nationalpark in Mauretanien
तस्वीर: DW/J. Henrichmann

दक्षिणी मॉरेतानिया के एक इलाके में पानी लगातार करीब आता जा रहा है, साल दर साल. समुद्रतट पर बने मकान धीरे धीरे खाली होते जा रहे हैं. आज की पीढ़ी को पता ही नहीं है कि पहले यहां कैसा था. स्थानीय निवासी सालियू दीये बताते हैं, "आधा गांव वहां था, यहां भी घर हुआ करते थे, उन दिनों जब यह जगह डूबी नहीं थी. समुद्र के नीचे तो अब भी मकानों के निशान होंगे."

गांव एक ओर नदी की धार तो दूसरी ओर समुद्र से घिरा है. यहां रोजगार के बहुत ज्यादा मौके नहीं हैं, न कोई ढांचा है. लोग यहां से जा रहे हैं लेकिन यह सवाल उनके भी सामने है कि जाएं तो कहां? जेन अल आबिदीन पड़ोस के नेशनल पार्क में काम करते हैं और यहां की मुश्किलें जानते हैं. वह बताते हैं, "पुराने लोगों से बात करें तो वे कहते हैं कि समुद्र 1980 के दशक में दो किलोमीटर पीछे था. अब देखिए समुद्र ने यहां क्या बवाल मचा रखा है. हालांकि सरकार लोगों को सुरक्षित जगहों पर बसाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे कहते हैं कि उनके पुरखे यहां रहते थे. वे कहीं नहीं जाएंगे."

खेती बाड़ी से जिंदगी चलाना मुश्किल होता जा रहा है, जो यहां रोजगार का मुख्य जरिया है. खेत कम होते जा रहे हैं क्योंकि जमीन खारी होती जा रही है. उम्मीद की एकमात्र किरण नेशनल पार्क है. वह इस बात की मिसाल है कि यदि सही कदम उठाए जाएं तो आय का नया जरिया संभव है.

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तस्वीर: DW/J. Henrichmann

नेशनल पार्क में बड़ी तादाद में जानवर जमा हो गए हैं. कुछ साल पहले ये बात सोची भी नहीं जा सकती थी. सिर्फ पक्षियों की यहां 300 से ज्यादा किस्में रहने लगी हैं. मछलियों के लिए ये जगह बहुत काम की है, वे आराम से अंडे देती हैं. जंगली सूअर भी यहां तेजी से ब्रीड करते हैं, क्योंकि कोई उनका शिकार नहीं करता. यहां पर मीठे और खारे पानी का खास मिश्रण है. जेन अल आबिनदीन बताते हैं, "इस पार्क का मकसद है पुराने इकोसिस्टम को फिर से जीवित करना और गरीबी के खिलाफ लड़ना. गरीबी के खिलाफ इसलिए लड़ना क्योंकि यहां के लोग पंरपरागत काम कर रहे हैं. वे प्रकृति में पाई जाने वाली चीजों की फसल काटते हैं. अर्थव्यवस्था का आधार मछलीपालन और खेतीबाड़ी है. यदि यहां पानी नहीं होगा तो कुछ करने को भी नहीं होगा."

यहां के लोग तार पर टांग कर मछलियों को हवा में सुखाते हैं क्योंकि बिजली कभी कभी आती है, और लोगों के पास फ्रिज भी नहीं हैं. इसलिए लोग मछलियों को सुखा कर रखते हैं ताकि वह ज्यादा दिन तक खाने लायक रहे. वे अपनी मछली देश में बेचते भी हैं. मछली सहकारिता के प्रमुख शेख अहमद का कहना है, "पहले यहां लोग खेती से कमाई करते थे, लेकिन मछली पकड़ना सबसे अच्छा है, इससे हम पूरे साल रोजी रोटी चला सकते हैं. हमें इस लॉक और बेसिन से फायदा होता है क्योंकि यहां काफी मछली होती है."

इतनी बड़ी मात्रा में लोगों को यहां मछली मिल रही है यह बड़ी बात है. तीस साल पहले यह इलाका बर्बाद हो गया था. इसका कारण था वह बांध जो यहां 80 के दशक में बनाया गया. बांध इसलिए बना ताकि पड़ोसी देशों सेनेगल, गाम्बिया और माली को भी मीठा पानी मिल सके. जेन अल आबिदीन कहते हैं, "बांध बनाने से इलाके का इकोसिस्टम कमजोर हो गया. इलाके का प्राकृतिक संतुलन नष्ट हो गया यानि मीठे और खारे पानी का संतुलन. इतना ही नहीं, मीठे पानी को रोक लिया गया, उसका नेशनल पार्क के अंदर आना ही बंद हो गया."

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तस्वीर: DW/J. Henrichmann

नेशनल पार्क के इको सिस्टम को फिर से पटरी पर लाने के लिए कुछ करने की जरूरत थी. इसलिए सालों बाद यहां अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद से लॉक बनाए गए. इन लॉक की मदद से यहां मीठे और खारे पानी के संतुलन को फिर से बनाया गया.

अंतरराष्ट्रीय संगठन जीआईजेड से जुड़ी सैमंथा माफुनो बताती हैं, "इसका मकसद ज्वार भाटा के संतुलन की कुछ हद तक कॉपी करना है ताकि यहां मीठा और खारा पानी एक दूसरे से टकराए. और उनका एक दूसरे से मिलना मछलियों के लिए यहां अंडे देने का अहम कारण है. इतना ही नहीं ये सुरक्षित इलाका भी है. चूंकि यह समुद्र से आने वाले पानी का बेसिन है, यह न सिर्फ मछलियों के पलने बढ़ने की अच्छी जगह है, बल्कि पक्षियों के लिए भी."

नेशनल पार्क के अधिकारियों ने मछली मारने के लिए जगहें तय कर दी हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि मछुआरे ब्रीडिंग के लिए प्रतिबंधित महीनों का ख्याल रखें. मीठे पानी और ठहरे पानी के बेसिन ने पानी के पौधों को भी नया जीवन दिया है. कमल के फूल यहां फिर से खिलने लगे हैं.

रिपोर्ट: जमील