1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में पहली बार एक विदेशी ने जीता मेयर का चुनाव

१७ जून २०१९

क्लॉस रूहे माडसन जर्मनी के रॉस्टॉक शहर के मेयर बन गए हैं. वे जर्मनी में किसी भी शहर के मेयर बनने वाले पहले विदेशी हैं. वे खुद को पर्यावरण चिंतक और व्यवहारिक बताते हैं.

https://p.dw.com/p/3KaRo
Deutschland Oberbürgermeister-Stichwahl in Rostock |  Claus Ruhe Madsen
तस्वीर: picture.alliance/dpa/B. Wüstneck

डेनमार्क के नागरिक क्लॉस रूहे माडसेन ने 16 जून को रॉस्टॉक शहर का मेयर का चुनाव जीत लिया. वे पहले विदेशी नागरिक बन गए हैं जिन्होंने जर्मनी के किसी शहर में मेयर का चुनाव जीता हो. माडसेन एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े हुए थे. उन्हें 57 प्रतिशत वोट मिले. उन्होंने वामपंथी पार्टी के उम्मीदवार श्टेफेन बॉकहेन को हराया. बॉकहेन को 43 प्रतिशत वोट मिले.

माडसेन की उम्मीदवारी का अंगेला मैर्केल की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और व्यापार समर्थक फ्री डेमोक्रेट्स ने समर्थन किया था. इस चुनाव में इन दोनों ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. रॉस्टॉक के पूर्ववर्ती मेयर के रिटायर होने के चलते यहां चुनाव हुए थे. माडसेन ने चुनाव के पहले दौर में सात उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट पाए थे. जर्मनी में मेयर चुनाव के पहले दौर में कई उम्मीदवार हो सकते हैं. इन सब में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले पहले दो उम्मीदवारों के बीच दूसरे दौर का चुनाव होता है. दूसरे दौर में 50 प्रतिशत से अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार जीत जाता है.

माडसेन मूल रूप से कोपेनहेगन के रहने वाले हैं. वे 1992 में जर्मनी में रहने आ गए थे और 1999 से रॉस्टॉक शहर में रह रहे थे. मेयर का चुनाव लड़ने से पहले वे रॉस्टॉक चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के छह साल तक अध्यक्ष रहे. माडसेन के पांच फर्नीचर स्टोर भी हैं. अब वे सात साल तक मेयर के पद पर रहेंगे. इस दौरान उनकी पत्नी उनके बिजनेस को संभालेंगी.

रॉस्टॉक जर्मनी के बाल्टिक सागर से लगे हिस्से में स्थित है. यह शहर हैम्बर्ग से 170 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां की आबादी करीब 2,10,000 है. माडसेन से पहले भी राजनीतिक पदों पर आने वाले लोग विदेशी मूल के रहै हैं लेकिन वे सब जर्मन नागरिक थे. जर्मनी के बॉन शहर के मेयर अशोक श्रीधरन भारतीय पिता और जर्मन मां की संतान हैं. लेकिन वे भी जर्मन नागरिक हैं और यहीं पले बढ़े हैं. यह पहला मौका है जब बिना जर्मन नागिरकता वाला कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक पद पर पहुंचा है.

आरएस/आईबी (डीपीए, एएफपी)

_______________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore