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पहली बार जारी हुई ब्लैक होल की तस्वीर

१० अप्रैल २०१९

ब्लैक होल सुनकर बस एक काला गोला समझ में आता है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. ये एक बहुत अलग खगोलीय चीज है. क्या होता है ब्लैक होल, कितने प्रकार और सूर्य से कितना बड़ा होता है, आइए जानते हैं.

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Erstes Bild eines Schwarzen Lochs (picture-alliance/dpa/Event Horizon Telescope (EHT))
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Event Horizon Telescope (EHT)

ब्लैक होल शब्द सुनते ही हमारे जेहन में एक बड़े से काले गोले की तस्वीर बनती है लेकिन सच ये हैं कि आज तक ब्लैक होल को देखा नहीं जा सका है. बस इसकी परिकल्पना की गई है. लेकिन 10 अप्रैल, 2019 को यह हकीकत बदल गई. 10 अप्रैल की दोपहर दुनिया के छह जगहों पर वैज्ञानिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ब्लैक होल की असली तस्वीर जारी की. ये तस्वीर किसी कलाकार या कंप्यूटर द्वारा बनाई ना होकर इवेंट हॉरिजन टेलिस्कोप द्वारा ली गई है. इवेंट हॉरिजन टेलिस्कोप को खास ब्लैक होल की तस्वीर लेने की लिए ही बनाया गया है. दुनिया भर में छह जगहों पर ये टेलिस्कॉप लगाए गए थे.

हवाई, एरिजोना, स्पेन, मेक्सिको, चिली और दक्षिणी ध्रुव में लगे इन टेलिस्कोप्स को जोड़कर एक बड़ा आभासी टेलिस्कॉप बनाया गया. हर एक टेलिस्कोप एक फुटबॉल पिच की बराबर आकार का है. इनको जोड़कर बनाए गए आभासी टेलिस्कोप का व्यास करीब 12,000 किलोमीटर है. इन टेलिस्कोप्स से मिले डाटा को बोस्टन की एमआईटी और जर्मनी के बॉन शहर में स्थित सुपरकंप्यूटर में स्टोर किया गया. ये दोनों सैजिटैरस और एम-87 ब्लैक होल के ऊपर केंद्रित थे और उनका डाटा इकट्ठा कर रहे थे. ब्लैक होल दो तरह के होते हैं. गार्डन वैरायटी ब्लैक होल जो सूर्य से लगभग 20 गुना बड़े आकार के होते हैं. जबकि सुपरमैसिव ब्लैक होल सूरज से कम से कम दस लाख गुने बड़े हो सकते हैं. सैजिटैरस और एम-87 दोनों सुपरमैसिव ब्लैक होल हैं.

Supercomputer  Juqueen im Forschungszentrum Jülich
टेलिस्कोप के डाटा को सुपर कंप्यूटर में स्टोर किया गया. (सांकेतिक तस्वीर)तस्वीर: picture-alliance/dpa/R.Limbach

ब्लैक होल आज भी खगोलीय विज्ञान में वैज्ञानिकों के लिए सबसे ज्यादा कौतूहल का विषय बना हुआ है. इसकी तस्वीर लेने के प्रयास बहुत लंबे समय से चल रहे हैं. ब्लैक होल के अलावा डार्क एनर्जी और डार्क मैटर को आज तक नहीं देखा जा सका है. ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है कि सूर्य का प्रकाश भी इसके पार नहीं जा सकता है. ब्लैक होल के सामने आने वाले खगोलीय पिंड उसमें समा जाते हैं.

दो ब्लैक होल्स की टक्कर की घटनाएं पहले भी होती रही है. सिंतबर 2015 में अमेरिका के लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेवे ऑब्जर्वेटरी ने दो ब्लैक होल्स की टक्कर की जानकारी दी थी. हालांकि इन घटनाओं को देखा नहीं गया था. इस टक्कर के बाद पैदा होने वाली ऊर्जा और इनके गुरुत्वाकर्षण बल से इनका अनुमान लगाया जाता है. पहली बार जारी होने वाली तस्वीर में ये दोनों ब्लैक होल हो सकते हैं. पहला पृथ्वी वाली आकाशगंगा में मौजूद ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार द्रव्यमान में सूर्य से चालीस लाख गुना बड़ा है. ब्लैक होल का आकार करीब 2 करोड़ 40 लाख किलोमीटर है. यह पृथ्वी से 26,000 प्रकाश वर्ष दूर हैं. एक प्रकाश वर्ष का मतलब है कि सूर्य की रोशनी की रफ्तार (करीब 2,99,792 किलोमीटर प्रति सेकंड) से चलने पर एक साल में तय की गई दूरी. इन टेलिस्कोप से इतनी दूरी पर स्थित इस ब्लैक होल को देखना ऐसा है जैसे चंद्रमा पर पड़ी किसी गोल्फ की गेंद का पृथ्वी से फोटो लेना. दूसरा ब्लैक होल एम-87 और भी बड़ा है. ये पहले ब्लैक होल से 1,500 गुना बड़ा है लेकिन एक दूसरी आकाशगंगा में है.

आज ब्लैक होल की तस्वीर जारी होने के बाद दुनिया को आज इस महाशक्ति को देखने का मौका मिलेगा. अब तक सबने इसका नाम सुनकर अपनी कल्पना के अनुसार अपने जेहन में इसकी तस्वीर बनाई लेकिन अब एक वास्तविक तस्वीर देखने को मिल सकेगी.

आरकेएस/ओएसजे (एएफपी)