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पहाड़ों के गर्भ में थर्राती मशीनें

१६ नवम्बर २०१२

मंथन के इस अंक में इंजीनियरिंग के एक कमाल पर खास रिपोर्ट है. शनिवार सुबह साढ़े दस बजे दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले मंथन में धरती को लगातार बदलते भूकंपों पर भी दो खास रिपोर्टें हैं.

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तस्वीर: ddp images/AP Photo/Karel Navarro

स्विट्जरलैंड में आप्ल्स में बन रही यह सुंरग 57 किलोमीटर लंबी है. पहाड़ों में बाहरी तापमान जहां शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है वहीं जमीन के अंदर इंजीनियरों के 40 डिग्री के तामपान पर काम कर रहे हैं. सुरंग बनाने में उपग्रहों की मदद ली जा रही है ताकि वह सटीक बने. जरा सी चूक का मतलब है करोड़ों यूरो की बर्बादी और वर्षों की देरी.

योजना के मुताबिक 2016 में सुरंग चालू हो जाएगी और जर्मनी से इटली जाने वाली ट्रेने इसके भीतर 250 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गुजरेंगी. फिलहाल दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग जापान में है, जो 54 किलोमीटर लंबी है.

Gotthardtunnel
गॉटहार्ड टनलतस्वीर: AlpTransit Gotthard AG

मंथन के इस अंक में पर्यावरण के एक ऐसे पहलू पर ध्यान दिया गया है जो विनाशकारी तो है लेकिन धरती के सतत परिवर्तन भी उससे जुड़े  हैं. एक खास रिपोर्ट में बताया गया है कि भूकंप किस तरह से आते हैं और धरती को कैसे बदलते हैं. वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि कैसे सूक्ष्म संकेतों को पकड़ कर समय रहते भूकंप की चेतावनी दी जा सकती है.

साथ ही एक ऐसी रिपोर्ट भी है जो बताती है कि भूकंप के कारण ज्वालामुखी भी सक्रिय हो सकते हैं और ऐसा पानी के नीचे भी होता है. इटली में सेलिनस के खंडहर कई सालों से वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बने हुए हैं. आज से दो हजार साल पहले सेलिनस एक शहर था जो एक झटके में तबाह हो गया. कई लोग युद्ध को इसका कारण बताते रहे. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पुराना शहर भूंकप की वजह से तबाह हुआ. रिपोर्ट दिखाती है कि किस तरह से वैज्ञानिकों को समुद्र के अंदर ज्वालामुखी के प्रमाण मिले हैं जो भूकंप के कारण सक्रिय हुआ और तब से सुलगा हुआ है.

पानी के अंदर पाए जाने वाले मूंगें और शैवाल की पहाड़ियों को समुद्र की जान कहते हैं. लेकिन प्रदूषण की वजह से इन पर खतरा बढ़ता जा रहा है. हर साल समुद्र में पांच करोड़ टन कचरा फेंका जाता है जो मूंगों की जान ले रहा है. मूंगे की चट्टानों को रोशनी की जरूरत होती है. अगर बहुत ज्यादा बारिश हो और नदियों की मिट्टी चट्टानों को ढंक लें तो मूंगे बीमार हो सकते हैं, मर सकते हैं. ऐसा होने पर समुद्र के बड़े हिस्से का इको सिस्टम खत्म हो सकता है. ये बातें जानने के बाद पापुआ न्यू गिनी में लोग मूंगे की चट्टानों को बचाने की हर संभव और हर स्तर पर कोशिश कर रहे हैं.

Ätna Ausbruch
धरती को बदलते ज्वालामुखीतस्वीर: Reuters

नेपाल के कई गांवों अब भी ईंधन के लिए लकड़ी जलाई जाती है. एक रिपोर्ट के जरिए नेपाल में बायोगैस या गोबर गैस के बढ़ते इस्तेमाल की जानकारी है. दो परिवारों का उदाहरण देकर बताया गया है कि यदि लकड़ी की जगह बायोगैस का इस्तेमाल किया जाए तो पर्यावरण को भी फायदा होगा और लोगों को ऊर्जा का बेहतर विकल्प भी मिलेगा. जर्मनी जैसे विकसित देश बायोगैस से बिजली बना रहे हैं. बायोगैस से भारत समेत अन्य देशों क्या क्या किया जा सकता है, इस पर चर्चा करने के लिए एक इंटरव्यू भी शामिल किया गया है.

Deutsche Bahn ICE
तस्वीर: dapd

कार्यक्रम में यूरोप के रेल परिवहन पर दो दिलचस्प रिपोर्टें हैं. एक तो सुरंग की और दूसरी तेज रफ्तार ट्रेनों की. यूरोप में आधुनिक सुपरफास्ट ट्रेनों की शुरुआत 1985 में जर्मनी में हुई. तीन साल बाद जर्मन ट्रेनों ने सबसे तेज रफ्तार का रिकॉर्ड बना दिया. वक्त बीतने के साथ ये ट्रेनें कई देशों में जाने लगी. बाद में सुरक्षा के लिहाज से इनकी रफ्तार कम भी करनी पड़ी. एक दिलचस्प रिपोर्ट में दिखाया गया है कि इनकी सवारी का अनुभव कैसा होता है. जर्मनी से फ्रांस का सफर आईसीई ट्रेन 320 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तय करती हैं.

ईशा भाटिया/ओ सिंह

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