1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पाकिस्तान के गांव में 70 साल बाद जागी औरतें

१२ जुलाई २०१८

पाकिस्तान के एक गांव में पुरुषों ने 1947 में महिलाएं के वोट डालने पर पाबंदी लगा दी थी. 70 साल तक वह इस पर अमल करती रहीं, लेकिन वे इस फैसले को अब और आगे ढोने के लिए तैयार नहीं हैं.

https://p.dw.com/p/31Jkg
Pakistan Dorf Mohri Pur | Frauen und Teilnahme an Wahlen
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Qureshi

मुल्तान शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूर मोहरी पुर गांव है. इस गांव में जामुन के पेड़ के नीचे जमा औरतें अब वोट डालने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती हैं. इन महिलाओं से जब कुछ पत्रकार बात कर रहे थे तो पास ही खड़े पुरुषों को यह नागवार गुजर रहा था.

ऐसे में सवाल है कि 25 जुलाई को होने वाले चुनाव में जब महिलाएं वोट डालने निकलेंगी तो क्या गांव के पुरुष इस पर नाराज नहीं होंगे? 31 साल की नाजिया तब्बसुम कहती हैं, "वे समझते हैं कि महिलाए बेवकूफ हैं.. या फिर वे इसे अपनी इज्जत से जोड़ कर देखते हैं.."

गांव के बड़े बुजुर्गों ने दशकों पहले यह कह कर महिलाओं के वोट डालने पर रोक लगा दी थी कि अगर वे सार्वजनिक पोलिंग स्टेशन में वोट डालने जाएंगी तो उनकी इज्जत को बट्टा लगेगा. इसी तथाकथित इज्जत के लिए कई लोग अपनी बहन और बेटियों की हत्या करने से भी नहीं चूकते.

जानिए पाकिस्तान की पूरी कहानी

पाकिस्तान में हाल के सालों में कई महिलाओं को कभी अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने के लिए तो कभी घर से बाहर जाकर काम करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. तबस्सुम कहती हैं, "पता नहीं उस वक्त उनकी यह इज्जत कहां चली जाती है जब वे घर पर सो रहे होते हैं और उनकी औरतें खेतों में काम कर रही होती हैं."

इस बार पाकिस्तान में चुनाव आयोग ने नियमों में कई बदलाव किए हैं, जिससे मोहरी पुर की महिलाओं को हौसला मिला है. चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक हर निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 10 प्रतिशत वोटर महिला होनी चाहिए, वरना चुनाव परिणाण को वैध नहीं माना जाएगा. आयोग का कहना है कि इस बार पाकिस्तान में दो करोड़ नए वोटर रजिस्टर किए गए हैं जिनमें 91.3 लाख महिलाएं हैं.

नए नियमों से मोहरी पुर जैसे इलाकों में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. सामाजिक कार्यकर्ता फरजाना बारी कहती हैं, "मुख्य कारण यह है कि इन इलाकों में महिलाओं को घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं है." बरी का मानना है कि चुनाव आयोग के सख्त निर्देशों के बावजूद कुछ इलाकों में महिलाओं को वोटिंग से रोका जा सकता है.

पाकिस्तान के चुनाव में ट्रांसजेंडर उम्मीदवार

2015 में लोवर दीर के इलाके में स्थानीय निकाय के चुनावों में पुरुषों ने महिलाओं को वोट नहीं डालने दिए थे. चुनाव आयोग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस चुनाव को ही रद्द कर दिया था. 2013 में पश्मित्तोतर पाकिस्तान के दो जिलों में अदालत ने उन लोगों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे जो महिलाओं को वोट नहीं डालने देते थे.

मोहरी पुर पंजाब में पड़ता है, जहां कई महिलाएं घर से बाहर काम करती हैं और पढ़ी लिखी भी है. फिर भी वहां महिलाओं के वोट डालने पर लगी रोक अब तक चली आ रही है. जामुन के पेड़ के नीचे जमा महिलाओं में सब तो नहीं, लेकिन युवा महिलाएं इस बार वोट डालने को लेकर खासी उत्साहित हैं.

पाकिस्तान चुनाव: इन पार्टियों के बीच है मुकाबला

60 साल की नजीरन माई कहती हैं, "महिलाओं के वोट डालने का यहां चलन नहीं रहा है. मुझे कोई नहीं रोकता है, फिर भी मैं वोट नहीं डालती क्योंकि यहां कोई महिला वोट नहीं डालती." वहीं कई महिलाओं को वोट डालने पर हिंसा का डर सताता है. 22 साल की शुमैला मजीद कहती हैं, "अगर वे अकेले वोट डाले जाएंगी तो पुरुष उन्हें गालियां देंगे और पीटेंगे. इसलिए बेहतर है कि जाएं ही ना." लेकिन इस बार उन्होंने इरादा किया है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को पोलिंग बूथ तक लेकर जाएंगी.

एक अखबार में कॉलम लिखने वाली हाजरा मुमताज कहती हैं, "किसी भी सभ्य लोकतंत्र में, आधी आबादी को इस तरह वोटिंग के हक से महरूम नहीं रखा जाना चाहिए." स्थानीय राजनेता इस बारे में अपनी बेबसी का इजहार करते हैं. पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के रजा हयात हीराज कहते हैं, "मैं परंपरा को नहीं तोड़ सकता. यह इसी गांव के लोगों को तय करन है कि वे अपनी महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देंगे या नहीं."

पाकिस्तान में दफनाई जा रही हैं कुरान की प्रतियां

जामुन के पेड़ के नीचे जिला परिषद की एक सदस्य बिस्मिल्लाह नूर भी मोहरी पुर की महिलाओं से मिलने आई हैं. वह कहती हैं कि इस गांव के पुरुष जिद्दी है. उनके मुताबिक, "मैं 2001 से उन्हें मनाने की कोशिश कर रही हूं लेकिन कोई नहीं सुनता. 2005 में उन्होंने मुझसे कहा कि उनकी महिलाएं वोट डालने नहीं जाएंगी इसलिए मैं उन पर ज्यादा दबाव ना डालूं." 2013 के चुनाव में भी नूर की कोशिशें नाकाम रहीं.

2015 में स्थानीय निकाय के चुनाव में फौजिया तालिब मोहिर पुर गांव में वोट डालने वाली पहली महिला थीं. इसके बाद समाज ने उनका बहिष्कार कर दिया. अब उन्हें नहीं पता कि 25 जुलाई को होने वाले चुनाव में वह वोट डालेंगे या नहीं.  

एके/एनआर (एएफपी)

पाकिस्तान का सबसे खतरनाक इलाका

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी