1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

पीआरसी विवाद पर उबलता अरुणाचल प्रदेश

प्रभाकर मणि तिवारी
२५ फ़रवरी २०१९

पेमा खांडू की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के एक फैसले ने पूर्वोत्तर के सबसे शांत समझे जाने वाले अरुणाचल प्रदेश को हिंसा की आग में झोंक दिया है.

https://p.dw.com/p/3E1ym
Itanagar Proteste gegen PRC Indien
तस्वीर: DW/P. M. Tewari

अरुणाचल सरकार का छह अनुसूचित जनजातियों को राज्य में स्थायी निवास प्रमाणपत्र (पीआरसी) देने का फैसला राज्य में तनाव फैला रहा है. हालांकि अब सरकार ने फिलहाल इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ने का भरोसा दिया है. लेकिन शुक्रवार शाम से ही जारी हिंसा के बीच सैकड़ों वाहनों और उप-मुख्यमंत्री चाउना मीन के सरकारी बंगला प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी.  पुलिस के साथ हिंसक झड़पों के दौरान कम से कम दो लोगों की मौत हो चुकी है. राजधानी ईटानगर में सेना फ्लैगमार्च कर रही है. पूरे इलाके में धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. आंदोलन व हिंसा की वजह से यहां पहली बार आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव को भी रद्द करना पड़ा है. दूसरी ओर, इस मुद्दे पर कांग्रेस व बीजेपी के बीच राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. लेकिन तमाम राजनीतिक दलों का कहना है कि राज्यपाल के बुलाने पर ही वह ऐसी किसी बैठक में हिस्सा लेंगे. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि खांडू विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं. इसकी वजह यह है कि आंदोलनकारी संगठन उनके और उनकी सरकार के इस्तीफे पर अड़े हैं.

Itanagar Proteste gegen PRC Indien
प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियां फूंकींतस्वीर: DW/P. M. Tewari

विवाद

दरअसल, इलाके के दूसरे राज्यों की तरह अरुणाचल प्रदेश में भी स्थानीय बनाम बाहरी विवाद बीच-बीच में सिर उठाता रहा है. फिलहाल केंद्र के प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पूर्वोत्तर के तमाम राज्यो में भारी विरोध हो रहा है. स्थानीय लोगों को अंदेशा है कि इसकी वजह से उनका वजूद खतरे में पड़ जाएगा. यह विवाद अभी चल ही रहा था कि राज्य की बीजेपी सरकार ने नामसाई और चांगलांग जिलों में रहने वाले छह जनजातियों को स्थानीय निवास प्रमाणपत्र देने के मुद्दे पर एक पर्यावरण व वन मंत्री नबाम रेबिया की अध्यक्षता में एक संयुक्त उच्चाधिकार समिति का गठन कर दिया. यह छह जनजातियां मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश की नहीं हैं. लेकिन यह दशकों से उन दोनों जिलों में रह रही हैं. देउरी, सोनोवाल कछारी, आदवासी, मोरान मिशिंग और गोरखा नामक इन जनजातियों को पड़ोसी असम में अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है.

उक्त समिति ने छह जनजातियों को पीआरसी देने की सिफारिश की थी. उन सिफारिशों को शनिवार को राज्य विधानसभा में पेश किया जाना था. लेकिन शुक्रवार शाम से ही इसके विरोध में भड़की हिंसा की वजह से उसे पेश नहीं किया जा सका. शनिवार को पुलिस की गोली से एक युवक की मौत के बाद आंदोलनकारियों ने और उग्र रूप अपनाते हुए रविवार को उपमुख्यमंत्री चाउना मीन का सरकारी बंगला फूंक दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री पेमा खांडू के घर में भी घुसने का प्रयास किया. वहां भी पुलिस की गोली से एक युवक की मौत हो गई. उसके बाद हिंसा और भड़क गई. रविवार को इलाके में जारी कर्फ्यू की परवाह नहीं करते हुए राजधानी ईटानगर और नाहरलागून में हजारों लोग पुलिस की गोली से मारे गए युवक के शव के साथ सड़कों पर निकल आए. सुरक्षा के भारी इंतजाम के बावजूद इन प्रदर्शकारियों ने उप-मुख्यमंत्री का बंगला फूंक दिया और मुख्यमंत्री के घर में घुसने का भी प्रयास करने लगे.

Itanagar Proteste gegen PRC Indien
सेना का फ्लैग मार्चतस्वीर: DW/P. M. Tewari

आंदोलनकारी संगठनों की दलील है कि छह जनजातियों को स्थायी निवास प्रमाणपत्र देने से मूल निवासियों के हितों और अधिकारों को नुकसान पहुंचेगा. इन संगठनों ने राज्य में इस मुद्दे पर 48 घंटे बंद भी बुलाया था.

ईटानगर में पहली बार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आयोजन किया गया था. लेकिन आंदोलनकारियों ने शनिवार को उसके मंच पर भी तोड़-फोड़ की और कई उपकरणों को नुकसान पहुंचाया. उसके बाद उक्त समारोह स्थगित कर दिया गया और इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को वहां से निकाल कर असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंचाया गया है. आंदोलनकारियों ने संयुक्त समिति के अध्यक्ष व वन मंत्री नबाम रेबिया के एक शॉपिंग माल को भी जला कर राख कर दिया.

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अरुणाचल प्रदेश के लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है. राजनाथ ने अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से फोन पर बातचीत में राज्य की स्थिति की जानकारी ली. राज्य में हालात पर काबू पाने के लिए इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) की 10 और कंपनियां रविवार को ईटानगर भेज दी गईं.

राजनीति तेज

इसबीच, इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है. राज्य के हालात से परेशान मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने रविवार रात को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. दूसरी ओर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, जो अरुणाचल के ही रहने वाले हैं, ने कांग्रेस पर आंदोलनकारियों को उकसावा देने का आरोप लगाया है. रिजिजू कहते हैं, "मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने साफ कहा है कि राज्य सरकार पीआरसी पर विधेयक नहीं ला रही है. वह तो समिति की रिपोर्ट को सदन में पेश कर उस पर सदस्यों की राय जानना चाहती थीं.” उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस हिंसा और इसके चलते राज्य में उपजी परिस्थिति के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि सरकार को तमाम संबंधित पक्षों को भरोसे में लिए बिना ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहिए था.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू कहते हैं, "यह प्रस्ताव तो पहले की कांग्रेस सरकार का था. उनकी सरकार तो महज उसे लागू करने का प्रयास कर रही थी.”

पीआरसी का मुद्दा अरुणाचल प्रदेश में हमेशा संवेदनशील और भावनात्मक रहा है. पहले की सरकारों ने भी पीआरसी देने का प्रयास किया था. लेकिन उस समय भी यह मामला विभिन्न वजहों से आगे नहीं बढ़ सका था. इससे पहले दो बार इस मुद्दे पर संयुत उच्चाधिकार समितियां बनाई गई थीं. एक बार जारबोम गामलिन के नेतृत्व में और दूसरी बार संजय टकाम के. अब तीसरी बार बनी समिति की सिफारिशों ने इस शांत प्रदेश को हिंसा और आगजनी की आग में झोंक दिया है. उन सिफारिशों पर अमल नहीं करने के सरकार के एलान के बावजूद हालात काबू में आते नहीं नजर आ रहे हैं.

(एनआरसी में शामिल होने के लिए चाहिए ये कागजात)