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पुस्तक दिवसः बच्चों में कैसे बढ़े पढ़ने की रुचि

२३ अप्रैल २०११

साल में एक दिन पूरी दुनिया में किताबों का तय किया गया है. और वह है 23 अप्रैल. 1995 से यह दिन किताबें पढ़ने को समर्पित है. संयुक्त राष्ट्र के यूनेस्को ने इस दिन को वर्ल्ड बुक एंड कॉपीराइट डे के तौर पर शुरू किया.

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A Kenyan Muslim child reads verses from the Quran, Islam's holy book, on the fifth day of the Muslim holy month of Ramadan in a Madrassa (Religion School), in Nairobi, Kenya, Wednesday, Aug. 26, 2009. Muslims throughout the world are celebrating the holy month of Ramadan, where observants fast from dawn till dusk. (AP Photo/Sayyid Azim)
तस्वीर: AP

कंप्यूटर गेम्स, सोशल नेटवर्किंग और चैटिंग की इस दुनिया में कैसे ज्यादा से ज्यादा बच्चों की रुचि किताबों और साहित्य की ओर बढ़े इसी कोशिश में कई कार्यक्रम किए जाते हैं. जर्मनी के शहर कोलोन में लेसे वेल्ट यानी पाठन की दुनिया नाम का एक ट्रस्ट है जो साल भर इसी काम में जुटा रहता है.

कोलोन पार्क

धूप खिली हुई है, सुहाना मौसम है और कई परिवार इस मौसम का आनंद लेने के लिए कोलोन के बड़े बागीचे में घूम रहे हैं. एक हरे भरे मैदान के पास छोटा सा हरा घर है. कुछ लोग कौतुहल के मारे खिड़की से अंदर झांक रहे हैं. तो कुछ अंदर जाते हैं. लोगों का ध्यान खींचने वाला यह घर है लेसे वेल्ट की मिनी लाइब्रेरी.

अंदर कुछ बच्चे हरे तकियों पर बैठे हैं. और एक लड़की उनके लिए कहानी पढ़ रही है. लड़की लेसे वेल्ट के 130 कहानी पढ़ने वाले लोगों में से एक है. ये सभी लोग बिना तन्ख्वाह के काम करते हैं. बच्चों की रुचि पढ़ने में बढ़ाने के लिए 2004 से कोशिश की जा रही है.

कई बच्चे

श्टेफानी क्लेबोइकर के मुताबिक रिसर्च में पता चलता है कि पढ़ने में बच्चों की रुचि बढ़ाने के लिए हमने बहुत कम काम किया है, इसलिए अब कई कोशिशें की जा रही हैं. वह अपनी बेटी के साथ मिनी लाइब्रेरी में आती हैं. कारिन ओडेनिंग भी हर रविवार को यहां आना पसंद करती हैं.

बच्चे बड़े ध्यान से, मग्न हो कर कहानी सुनते हैं. कहानी खत्म होते से ही बच्चे किताबों पर टूट पड़ते हैं. इस मिनी पुस्तकालय से कोई भी बिना किसी पैसे, सदस्यता के किताब ले सकता है. कोई भी दो सप्ताह तक किताब रख सकता है.

जाहिर है यह लोगों के भरोसे चलता है. बच्चे और उनके माता पिता ईमानदारी से किताब लाकर देते हैं और नई ले जाते हैं.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा एम

संपादनः वी कुमार

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