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प्रदूषित राजधानियों में दिल्ली लगातार दूसरे साल अव्वल

२६ फ़रवरी २०२०

नई दिल्ली लगातार दूसरे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है. 2018 में दिल्ली को सबसे प्रदूषित राजधानी का दर्जा मिला जो 2019 में भी जारी रहा.

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Indien: Umweltbelastung und Luftverschmutzung in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

स्विट्जरलैंड का एक संगठन दुनिया भर के शहरों में प्रदूषण और हवा की गुणवत्ता पर नजर रखता है और आंकड़े जमा करता है. इसी संगठन के रिसर्च डाटा से यह जानकारी निकल कर सामने आई है. भारत के लिए प्रदूषण के मामले में बुरी खबर सिर्फ यही नहीं है, 2018 में दुनिया के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 21 शहर भी भारत के थे. 2019 के लिए अभी ऐसे शहरों की सूची नहीं आई है. 

आईक्यू एयरविजुअल का कहना है कि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 पर केंद्रित एक रिसर्च में मिले आंकड़ों से इन बातों की पुष्टि होती है. पार्टिकुलेट मैटर 2.5 धूल के बेहद महीन कण हैं जो हवा में घुले रहते हैं. सांस के साथ ये शरीर के अंदर जा कर फेफड़ों और दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचाते है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रॉन से कम होता है. हवा में इनकी मात्रा बढ़ने से कैंसर और दिल की बीमारी हो सकती है.

Indien: Umweltbelastung und Luftverschmutzung in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

रिसर्च के मुताबिक 2019 में दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 का घनत्व एक क्यूबिक मीटर में 98.6 था. रिसर्च के मुताबिक यह चीन की राजधानी बीजिंग की तुलना में करीब दोगुना है. बीजिंग में इसकी मात्रा इसी दौर में 42.1 थी. बीजिंग प्रदूषित राजधानियों की सूची में 9वें नंबर पर है.

नई दिल्ली की जहरीली हवा का कारण यहां गाड़ियों के चलने, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण की जगहों से उड़ने वाली धूल, कूड़ा जलाने और आस पास के इलाकों में पराली जलाने की वजह से है. पिछले साल नवंबर और दिसंबर में दिल्ली के 2 करोड़ लोगों ने महज चार दिन के लिए कामचलाउ या फिर संतोषजनक हवा में सांस लिया. बाकी के सारे दिन उनके लिए प्रदूषण से भरे थे और इन महीनों में इसका स्तर अपनी चरम स्थिति पर था.

Indien: Umweltbelastung und Luftverschmutzung in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

पिछले साल के आखिर में तो प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से प्रशासन को स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी और दो बार स्कूलों में छुट्टी करा दी गई.

हालांकि इस रिसर्च में यह भी कहा गया है कि 2019 में पिछले साल के मुकाबले "बड़े पैमाने पर सुधार" भी हुए हैं. खासतौर से मौसम की मेहरबानियों, सरकार की हवा को साफ करने की कोशिशों और कुल मिला कर आर्थिक रफ्तार के धीमे पड़ने का भी इस पर काफी असर हुआ है.

रिसर्च में कहा गया है, "बेहतरी के बावजूद भारत के सामने वायु प्रदूषण की चुनौती काफी बड़ी है."

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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