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फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप: छा जाओ प्यारो

ओंकार सिंह जनौटी
६ अक्टूबर २०१७

न दाढ़ी आई है, न ही मूंछें, लेकिन इरादे कुछ कर गुजरने के हैं. क्या भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम देश में फुटबॉल क्रांति ला सकेगी?

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Fußball WM 2014 Deutschland gegen Argentinien Pokal
तस्वीर: Reuters

महीनों की तैयारी के बाद 6 अक्टूबर 2017 का दिन आ गया. स्टेडियम तैयार हैं और खिलाड़ी भी. पहली बार भारत में फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा है. शुक्रवार को पहला मैच भारत बनाम अमेरिका है. धरती का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल भारत को अपनी बांहों में लेना चाहता है. और इसकी जिम्मेदारी अब अंडर-17 टीम पर है. टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया तो देश में फुटबॉल को नया भविष्य मिलेगा.

ऐसी ही उम्मीदों के साथ अंडर-17 टीम को चारों तरफ से शुभकामनाएं मिली हैं. यूथ ऑइकन और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने टीम की हौंसला अफजाई करते हुए कहा.

 

हॉकी टीम ने भी युवा फुटबॉलरों का जोश बढ़ाते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं.

अंडर-17 टीम भी इस बात से वाकिफ है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है. तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्हें अब बस दिल लगाकर खेलना है. नतीजा भले ही कुछ हो, लेकिन खेल का मकसद तो दिल जीतना है.

टीम पूरे विश्व में बसे भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है. भारतीय राज्यों के अलावा इनमें प्रवासी भारतीय खिलाड़ी भी शामिल हैं. एक गोलकीपर कनाडा में बसे भारतीय हैं तो एक डिफेंडर अमेरिका में बसे भारतीय. देखिये पूरी टीम.

पिच पर टीम की कमान मणिपुर के अमरजीत सिंह कियाम के हाथों में होगी. और उसकी रणनीति कोच पुर्तगाल के लुई नॉर्तों दे मातोस के इशारों पर चलेगी. अमेरिका भी फुटबॉल में मजबूत टीम है. जाहिर है मुकाबला कड़ा होगा, वैसे भी आसान मुकाबले में मजा कहां आता है.