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बर्लिन में फ़ैशन का मेला

१३ जुलाई २०१०

फ़ुटबॉल विश्वकप में मुक़ाबला कड़ा था, लेकिन विश्वकप से मुक़ाबला और भी कठिन है. रविवार तक फ़ैशन मेले का आयोजन करते हुए बर्लिन ने इसे कर दिखाया है और यहां भी सेलिब्रिटिज़ की कमी नहीं रही.

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बर्लिन मेले में "डिज़ाइनर फ़ॉर टुमॉरो"तस्वीर: AP

धूप से भरे इस मौसम में तीसरी बार बर्लिन फ़ैशन वीक का आयोजन किया गया. नाम है फ़ैशन वीक, लेकिन यह मेला चलता है सिर्फ़ चार दिन. और फ़ैशन के आशिक बाकी 361 दिनों तक इन चार दिनों की राह देखते हैं.

इस बार भी उन्हें निराश नहीं होना पड़ा. बॉस ब्लैक आए थे, कैलविन क्लाइन थे, जी-स्टार भी थे. इनके साथ थे कावियार गाउचे, एस्थर पैरबांट या लाला बर्लिन जैसे लोकल ब्रैंड. स्टार मेहमानों के बीच अगर बोरिस बेकर को देखा जा सकता था, तो वहीं पर ज़ो सालडाना, डायना क्रुगर, या मिल्ला जोवोविच भी नज़र आ आते. वैसे कहा जा सकता है कि फ़ुटबॉल विश्वकप में जर्मनी का फ़ाइनल में न पहुंचना फ़ैन्स के लिए निराशा का कारण था, और उनमें से बहुतेरे इस मेले की ओर मुड़कर अपने दिल व अपनी आंखों को ढाड़स देने की कोशिश करते देखे गए.

Berlin Fashion Week 2010 label Kaviar Gauche
कावियार गाउचे की नई डिज़ाईनतस्वीर: AP

तापमान 35-36 डिग्री तक पहुंच रहा था, इसलिए पीने के पानी, एनर्जी ड्रिंक्स और बीयर का अच्छा-ख़ासा बंदोबस्त किया गया था. और दर्शकों में युवक-युवतियों की तादाद ज्यादा थी, इसलिए मेला आंखों के लिए सुहाना था, हालांकि लोग गर्मी में कुछ थके से नज़र आ रहे थे.

टेनिस के बादशाह रह चुके बोरिस बेकर का कहना था कि ड्रेस के मामले में वे जोरु के गुलाम हैं. अगर लिली को पसंद न हो, तो मैं वह शर्ट उतार देता हूं - बोरिस के शब्द.  फ़ैशन मेले में बोरिस अपने 16 साल के बेटे नोआ के साथ आए थे.

Flash-Galerie Berlin Fashion Week 2010 Label Laurel
बर्लिन में अपने बेटे नोआ के साथ बोरिस बेकरतस्वीर: AP

ब्रांडेनबुर्ग गेट से कुछ दूर पूरब में आउगुस्ट बेबेल चौक पर 7 से 11 जुलाई तक तीसरी बार इस मेले का आयोजन किया गया था. अगले दो साल भी यह मेला यहीं आयोजित किया जाएगा. उसके बाद एक नई जगह ढूंढ़नी पड़ेगी. बेबेल चौक वह स्थान है, जहां नाज़ियों ने 1933 में उन सारे लेखकों की पुस्तकें जलाई थी, जिन्हें वे अपनी विचारधारा के प्रतिकूल मानते थे. उसकी याद में एक स्मारक है, जहां आज भी हर साल लेखन की स्वतंत्रता के लिए संस्कृति के झंडाबरदारों का प्रदर्शन और साहित्य पाठ होता है. इस वजह से यहां फ़ैशन मेले के आयोजन का विरोध हो रहा था. बर्लिन के सेनेट ने इन विरोधियों की मांग स्वीकार कर ली है. फ़ैशन मेले का आयोजन और कहीं होगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: निखिल रंजन