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बाल श्रम का नाज़ुक मुद्दा

१२ जनवरी २०१०

जर्मनी के प्रदेश नॉर्थ राइन वेस्टफ़ेलिया के श्रम मंत्री कार्ल योसेफ़ लाओमान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भारत की यात्रा की. उनका प्रमुख विषय बाल श्रम से जुड़े सवाल थे.

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स्कूल के बदले मज़दूरीतस्वीर: AP

जर्मनी में इस समय बाल मज़दूरी की समाप्ति और विकासशील देशों से आयात किये जा रहे उत्पादों को लेकर बहस चल रही है. जर्मनी में इस बात को लेकर चिंता है कि इन चीज़ों के उत्पादन में बच्चों से काम कराया जाता है. बाल श्रम को पूरी तरह समाप्त करने और जर्मनी में आयात होने वाले भारतीय उत्पाद पर बाल श्रम रहित सर्टिफिकेट की मांग करने के लिए जर्मनी का उच्च स्तरीय प्रतिनिधि दल भारत की पांच दिवसीय भारत यात्रा पर आया. इस प्रतिनिधि दल का नेतृत्व जर्मनी के नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य के श्रम, स्वास्थ्य और सामाजिक मामलों के मंत्री कार्ल-योसेफ लाओमान कर रहे थे. नई दिल्ली में उन्होंने खास डॉएचे वेले के साथ अपने अनुभवों पर बात की और भारत सरकार के साथ वार्ताओं के बारे में बताया.

तीन दिनों की भारत यात्रा पर आए जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के श्रम मंत्री कार्ल-योसेफ लाओमान की यह पहली भारत यात्रा थी. भारतीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खार्गे के साथ मुलाकात में उन्होंने बाल मज़दूरी और भारतीय पदार्थों के लिए सर्टिफिकेट पर बात की और उन्हें बताया कि यह विषय जर्मनी में इस बीच काफी संवेदनशील विषय बन चुका है.

श्रम मंत्री के साथ हमने आर्थिक विकास पर बात की. साथ ही हमने बाल श्रम पर बात की और उन्होंने मुझे भारत सरकार के कार्यों से अवगत कराया. मंत्री ने मुझे बताया कि भारत सामाजिक मापदंडों को व्यापार के साथ नहीं जोड़ना चाहता है. हमें मानना होगा कि इस विषय पर हम एकमत नहीं हैं. भारत में हमने कई गैर सरकारी संस्थाओं जैसे मिसेरियो और सेवा का काम देखा जो बहुत प्रशंसनीय रहा. मैने राजस्थान में कोटा के पत्थरों की खान पर काम कर रहे लोगों से बात की और आश्चर्यजनक बात यह रही कि वे खुद बाल श्रम को समाप्त करने का सबसे ज्यादा समर्थन करते हैं. - कार्ल योसेफ़ लाओमान.

BdT Indien, Demo gegen Kinderarbeit
बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनतस्वीर: AP

जर्मन मंत्री का मानना है कि भारत में पत्थरों की फैक्टरियों में हर छठा मजदूर 14 साल के कम उम्र की आयु का है जो कई पुराने औज़ारों के साथ पत्थर तोड़ते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. लाओमान कहते हैं कि वे भारत सरकार के प्रयासों से काफी हद तक सहमत भी हैं.

भारतीय अधिकारी इस समस्या को लेकर बहुत जागरुक हैं. लेकिन साथ ही कुछ ऐसी परंपराएं, विकास या कुछ तथ्य जिन पर ध्यान देना होगा. बच्चों को सबसे पहले शिक्षा देनी होगी. हमारे राज्य के लिए 20 प्रतिशत कब्र के पत्थर भारत से आयात किये जाते हैं और इससे जनता की कई संवेदनशील भावनाएं जुड़ी हैं और वे नहीं चाहते कि ऐसे पत्थर बच्चों के हाथों से बने हों. - कार्ल योसेफ़ लाओमान

संयुक्त राष्ट्र श्रम संस्था आईएलओ का अनुमान है कि भारत में 10 करोड़ बच्चे मजदूरी कर रहे हैं. भारत सरकार के बाल श्रम उन्मूलन आयोग की सदस्य संध्या बजाज मानती हैं कि इस बीच कई बदलाव भी आए हैं और भारत में श्रम कानूनों में सख्ती लाई गई है-

मै जर्मन प्रतिनिधि दल का स्वागत करती हूं क्योंकि इससे हमें अपने काम में और मजबूती मिलती है. भारत में जब से शिक्षा कानून बदला है, जागरुकता बढ़ी है. साथ ही गैर सरकारी संस्थाएं, पुलिस और कानून को बेहतर तरीके से लागू किया जा रहा है. कानून इस बीच इतने सख्त हैं कि काम देने वाले को डर लगता है कि वह बाल मजदूर को काम नहीं देगा. - संध्या बजाज

इसके बावजूद अमेरिकी श्रम मंत्रालय की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के उन देशों में पहले स्थान पर है सबसे ज्यादा चीज़ों का उत्पादन बाल मजदूरी से होता है. भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार संधि पर जारी वार्ताओं में बाल श्रम को एक अहम मुद्दा बताया गया है.

रिपोर्ट: सुनंदा राव

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य