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भारत की आर्थिक विकास दर पांच साल के निम्नतम स्तर पर

ऋषभ कुमार शर्मा
३१ मई २०१९

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले दिन ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर आई है. नई सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने इस से पार पाने की चुनौती है.

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Indien Wirtschaftskraft
तस्वीर: AP

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की आर्थिक विकास दर पिछले पांच साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है. जनवरी से मार्च की तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 प्रतिशत रही है. सबसे खराब प्रदर्शन खेती और निर्माण के क्षेत्र का रहा है. 31 मई को ये आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए. सीएसओ के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोत्तरी की दर 6.8 प्रतिशत रही जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कम है. पिछले वर्ष यह 7.2 प्रतिशत थी.

जीडीपी की दर पिछले पांच साल में सबसे कम है. आखिरी बार इतनी कम विकास दर 2013-14 में थी और इससे भी कम 6.4 प्रतिशत रही थी. जनवरी से मार्च के बीच निर्माण क्षेत्र में 3.1 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी हुई जबकि पिछले साल इस तिमाही में यह 9.5 प्रतिशत की दर से थी. साल 2017-18 में निर्माण क्षेत्र 5.9 प्रतिशत और 2018-19 में 6.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई.

रिकॉर्ड बेरोजगारी

सांख्यिकी दफ्तर ने बताया है कि साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी कुल लेबर फोर्स की 6.1 प्रतिशत रही. यह पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है. इससे पहले चुनाव के दौरान एनएसएसओ की एक रिपोर्ट लीक हुई थी जिसमें कहा गया था कि भारत में बेरोजगारी दर पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा है. हालांकि यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई थी. श्रम मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ने पिछली लीक हुई रिपोर्ट की पुष्टि कर दी है. श्रम मंत्रालय के मुताबिक रोजगार पाने योग्य युवाओं में से शहरों में 7.8 प्रतिशत की दर से लोग बेरोजगार हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 5.3 प्रतिशत है. पुरुषों में यह आंकड़ा 6.2 प्रतिशत है जबकि महिलाओं में यह संख्या 5.7 प्रतिशत है.

2018-19 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.39 प्रतिशत रहा जो बजट के दौरान लगाए गए 3.4 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा कम है. इसकी प्रमुख वजह नॉन टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोत्तरी और कम खर्च होना है. 31 मार्च 2019 तक वित्तीय घाटा 6.34 लाख करोड़ के अनुमान की तुलना में 6.45 लाख करोड़ रहा. बजट में वित्तीय घाटा बढ़ा है लेकिन जीडीपी की तुलना में यह थोड़ा कम हुआ है. इसका कारण जीडीपी में बढ़ोत्तरी होना है.

अब नई सरकार सामने सबसे पहली चुनौती नई नीतियां बनाने की होगी जिससे लोगों की खर्च की क्षमता बढ़ सके. इससे कंपनियों के पास निवेश करने के लिए ज्यादा पैसा आएगा. उत्पादन बढ़ेगा तो नई नौकरियां भी पैदा होंगी. नई सरकार को जुलाई के पहले पखवाड़े में आम बजट पेश करना है. लोग उम्मीद लगाए हुए हैं कि सरकार उन्हें ज्यादा रियायत देगी जिससे उनके पास पैसा बचे भी और खर्च करने की क्षमता बढ़ सके.

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