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भारत को बिजली के जोरदार झटके

३१ जुलाई २०१२

तीन ग्रिड फेल होने से आधे भारत की बिजली कटी. उत्तरी, पूर्वी, और पूर्वोत्तर ग्रिड फेल होने से सैकड़ों ट्रेनें रास्ते में रुकी हैं. कई शहरों में ट्रैफिक लाइटें बंद हैं. फैक्टरियां में काम काज ठप है. 60 करोड़ लोग प्रभावित.

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तस्वीर: dapd

मंगलवार दोपहर एक बजे के आस पास उत्तरी ग्रिड फिर फेल हो गया. समस्या तब और गंभीर हो गई जब पूर्वी और कुछ घंटों बाद पूर्वोत्तर ग्रिड भी डाउन हो गया. लगातार दूसरे दिन 60 करोड़ लोग बिना बिजली के रहने को मजबूर हुए. उत्तरी ग्रिड के जनरल मैनेजर वीके अग्रवाल ने कहा, "हां, कुछ समस्याएं आ रही हैं. हम ग्रिड दुरुस्त करने में लगे हैं. उत्तरी और पूर्वी ग्रिड नाकाम हो गए हैं." अग्रवाल के इस बयान के बाद खबर आई कि पूर्वोत्तर ग्रिड भी डाउन हो गया है.

बिजली के बिना उत्तर भारत में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दिल्ली में मेट्रो पूरी तरह ठप पड़ी है. दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन के प्रवक्ता के मुताबिक, "सभी मेट्रो ट्रेनों के ड्राइवरों से स्टेशन पर रुकने को कहा गया है. जब तक बिजली नहीं आ जाती तब तक किसी यात्री को मेट्रो में चढ़ने नहीं दिया जाएगा."

पूर्वी ग्रिड फेल होने से कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के ज्यादातर इलाकों में बिजली कट गई है. वेस्ट बंगाल इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कॉरपोरेशन के बी मुखर्जी के मुताबिक ग्रिड को बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं.

न कोई तूफान, न कोई भूकंप और न ही कोई अन्य प्राकृतिक आपदा. फिर भी ग्रिड फेल हो गए. इसे तकनीकी गड़बड़ी माना जा सकता है. भारत में ग्रिड फेल होना कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ने पर एक दो ग्रिड फेल होते रहते हैं. लेकिन बीते एक दशक में पहली बार ग्रिड फेल होने का इतना व्यापक असर हुआ है.

Indien Stromausfall in Nordindien
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेनें ठपतस्वीर: AP

अब केंद्र सरकार पर ऊर्जा क्षेत्र में सुधार करने का दबाव पड़ रहा है. सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी कहते हैं, "बिजली की मांग और सप्लाई में अंतर बढ़ता जा रहा है और यह चिंता का विषय है." बनर्जी के मुताबिक यह दिखाता है कि सुधार करने की जरूरत है. वह पावर प्लांट्स को समय पर और भरपूर मात्रा में कोयले की आपूर्ति की वकालत कर रहे हैं. साथ ही राज्यों में बिजली वितरण प्रणाली को भी दुरुस्त करने की मांग की जा रही है.

ग्रिड क्यों फेल हुए, इसका कारण अभी पता नहीं चला है. कुछ भारतीय अखबारों का कहना है कि ऊर्जा के भूखे कुछ राज्यों ने तय सीमा से ज्यादा बिजली खींची. ऊर्जा मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति बनाई है. बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने इस समिति के एक सदस्य के हवाले से कहा है, "इन राज्यों में भय नाम की चीज ही नहीं बची है. बाजार से महंगी दर पर बिजली खरीदने के बजाए वे ग्रिड से ज्यादा बिजली खींच रहे हैं."

सोमवार को भी उत्तरी ग्रिड छह घंटे तक फेल रहा. इसकी वजह से सैकड़ों ट्रेनें रास्ते में खड़ी हो गईं. अस्पताल और बैंक जैसे अहम संस्थानों के साथ ही कई फैक्टरियों को जनरेटर के डीजल पर करोड़ों रुपये फूंकने पड़े.

गर्मियों में भारत में बिजली की 12 फीसदी कमी रहती है. ऐसे में बिजली की कटौती जरूरी हो जाती है. एक अनुमान के मुताबिक भारत की पनबिजली क्षमता 1,50,000 मेगावॉट है. लेकिन फिलहाल करीब 35 हजार मेगावॉट बिजली ही नदियों से बन रही है. 60 फीसदी से ज्यादा बिजली कोयले के पावर प्लांटों से बन रही है.

दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में पवनबिजली परियोजनाएं लटकी हुई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में इतनी पवनबिजली बनाई जा सकती है कि राज्य की मांग पूरी हो जाए, लेकिन पवनचक्कियों की बिजली स्टोर करने के लिए वहां ग्रिड ही नहीं बनाया गया है.

ओएसजे/एमजे (एपी, पीटीआई)

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