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भारत को रिझाने की कोशिश

१२ दिसम्बर २०१०

इस सप्ताह सुर्खियों में है विकीलीक्स, भारत का दौरा कर रहे विश्व नेता और सामने आते घोटाले. पिछले दिनों इंटरनेट पोर्टल विकीलीक्स द्वारा लीक किए दस्तावेजों ने आतंकवाद पर भारतीय रुख की पुष्टि की है.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पिछले शुक्रवार और शनिवार को यूरोप और जर्मनी के दौरे पर थे, जहां यूरोपीय नेताओं और चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ उनकी बातचीत में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका रही. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान की विश्वसनीयता के मामले में अमेरिका में नियमित रूप से संदेह व्यक्त किया जाता है. जर्मन दैनिक डी वेल्ट का कहना है कि अब विकीलीक्स द्वारा जारी दस्तावेज दिखाते हैं कि इस्लामाबाद सचमुच विभिन्न आतंकी संगठनों की मदद कर रहा है.

विकीलीक्स द्वारा जारी कूटनीतिक रिपोर्टों में इस्लामाबाद के अमेरिकी दूतावास की रिपोर्टें और आकलन भी हैं, जो आतंकवाद का मुकाबला करने की न सिर्फ पाकिस्तान की क्षमता बल्कि उसकी इच्छा पर भी सवाल उठाते हैं. परमाणु हथियारों की सुरक्षा और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की तैयारी पर भी सवालिया निशान लगाने की जरूरत है. 27 नवम्बर 2006 के एक तार में सरकारी अधिकारियों और अल कायदा तथा तालिबान के विभिन्न समर्थकों के बीच निकट संपर्कों की बात है. इनमें अल रशीद ट्रस्ट, अल अख्तर ट्रस्ट, लश्करे तैयबा का जिक्र है जिंहे सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1267 के अनुसार ओसामा बिन लादेन के आतंकी नेटवर्क का करीबी माना जाता है.

WikiLeaks NO FLASH
तस्वीर: picture alliance/landov

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने पिछले दिनों भारत दौरे पर भारत को लुभाने की पूरी कोशिश की. भारत को आकर्षित करने के प्रयासों के पीछे अरबों का कारोबार था. ज्युड डॉयचे त्साइटुंग लिखता है

एक छाप छोड़ने से राष्ट्रपति हर हालत में बचना चाहते थे: कि हर बात कारोबार के ईर्द गिर्द घूम रही है. "भारत सबसे बढ़कर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सहयोगी है, एक अपरिहार्य ताकत, जिसके बिना हम इस दुनिया की बड़ी चुनौतियां का सामना नहीं कर सकते हैं," निकोला सारकोजी ने राजधानी नई दिल्ली में राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात से पहले ही कहा. वो दिन फिर पूरी तरह अर्थव्यवस्था के साए में रहा. फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल और भारतीय साथियों ने कई सौदों पर दस्तखत किए या उन्हें आगे बढ़ाया. ये सौदे अरबों के हैं.

जैसा कि एक महीना पहले बराक ओबामा ने किया था, सारकोजी ने भी चार दिनों के दौरे पर भारत के राजनीतिक दर्जे पर बार बार जोर दिया. ज्युड डॉयचे ने आगे लिखा

फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी भारत की खुलकर प्रशंसा की. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में सारकोजी ने कहा कि फ्रांस इस बात को मानता है कि "दुनिया की कोई बड़ी समस्या उच्चतम स्तर पर भारत की सक्रियता के बिना हल नहीं हो सकती." इसके पहले उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण संस्था में दक्षिण एशियाई मुल्क की सदस्यता का समर्थन किया था. उन्होंने कहा, यह सोच से परे है कि एक अरब भारतीयों का सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व नहीं है.

विश्व नेताओं के दौरे की चर्चा तो भारत में चर्चित भ्रष्टाचार कांड भी अखबारों की सुर्खियों में रहा. राडिया टेप कांड की चर्चा करते हुए ज्युड डॉयचे त्साइटुंग ने लिखा कि भारत में पिछले दिनों में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसने राजनीतिज्ञों और पत्रकारों की सांस थाम रखी है. सारा ध्यान कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर है जिसके कार्यकाल का यह सबसे बड़ा संकट है. अखबार लिखता है

Projekt von Atmosfair zur Stromerzeugung aus Ernteresten in Indien.
तस्वीर: atmosfair/kptl

पर्यवेक्षक इस समय सामने आ रहे बहुत से आरोपों को घोटाला गणतंत्र का सबूत नहीं मानते. दिल्ली में एक विदेशी राजनयिक इसे देश की परिपक्वता का संकेत मानते हैं. पहले यह इतनी प्रमुखता से बाहर नहीं आया होता. उनके विचार से भारत में भ्रष्टाचार के मामले पिछले सालों में न तो बढ़े हैं और न ही घटे हैं. लेकिन अखबारों और टेलिविजन में रोज रोज होने वाले रहस्योद्घाटनों पर इस बीच मध्यवर्ग अधिक गहनता से विचार कर रहा है. लोगों की मांग है कि इस तरह के घोटालों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए. यह नया है और यह नाराजगी राजनीतिज्ञों को कुछ करने को मजबूर कर रही है.मनमोहन सिंह को इस भूमिका में विकसित होना होगा.

साप्ताहिक अखबार डी त्साइट का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेशों में किसी और राजनेता से कहीं अधिक लोकप्रिय हैं. हालांकि वे 1.2 अरब लोगों के देश के प्रतिनिधि हैं, इसके बावजूद वे अत्यंत साधारण दिखते हैं.अखबार का कहना है कि घरेलू राजनीति में इसके विपरीत मनमोहन सिंह की स्थिति इस समय कमजोर है

क्या विदेशनैतिक सफलता सिंह के सर में घुस गई है? घर पर उनके सर एक के बाद एक घोटाले की बौछार हो रही है. अब छह साल से लगभग गल्ती के बिना शासन कर रहे सिंह अचानक परास्त लगते हैं. हालांकि मामला उनके व्यक्तित्व का नहीं है. वे सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के एकमात्र भरोसेमंद राजनीतिज्ञ हैं, कहना है उनके भूतपूर्व सलाहकार संजय बारू का. लेकिन अब यही उनकी समस्या है. किसकी मदद होगी, यदि एक राजनीतिज्ञ व्यक्तिगत रूप से साफ सुथरा हो, लेकिन अपनी सरकार या अपने सहयोगियों के बीच पसरे भ्रष्टाचार से लड़ने में कमजोर या उदासीन हो. संजय बारू कहते हैं, "उन्हें अपनी कैबिनेट का पुनर्गठन करना चाहिए और युवा तथा साफ सुथरे लोगों को सरकार में लाना चाहिए. अगले चार सप्ताह उनकी विरासत के लिए फैसलाकून होंगे."

Indien Verkehr Stau Guwahati
तस्वीर: UNI

भारत वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संकट से पूरी तरह उबर गया है, जिसने दक्षिण एशियाई देश को कुछ देर से अपनी लपेट में लिया था. भारत सरकार अब दहाई के आंकड़े में विकास दर हासिल करना चाहती है. नौए ज्यूरिषर त्साइटुंग का कहना है कि इसके भारत को संरचना के क्षेत्र में विदेशी निवेश की जरूरत होगी.

सबसे गंभीर खामियां ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में हैं. देश की सड़कें, बंदरगाह और हवाई अड्डे बुरी तरह बोझ में डूबे हैं. दिल्ली, मुंबई और दूसरे आर्थिक केंद्र नियमित रूप से लोडशेडिंग का शिकार होते हैं. देहाती इलाकों की हालत और भी खराब है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2008-09 में देहातों में सिर्फ 18 फीसदी परिवारों को पेयजल, शौचालय और बिजली उपलब्ध थी. रिजर्व बैंक के गवर्नर दुवुरी सुब्बाराव का कहना है कि महात्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भारत को आने वाले सालों में संरचना के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाने की जरूरत है. 2004 से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी समस्या से परिचित है. उसने समस्या से निबटने के लिए पिछले सालों में कई कार्यदल बनाए हैं. लेकिन स्थिति अब तक सुधरी नहीं है.

रिपोर्ट: आना लेमन/मझा

संपादन: ओ सिंह

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