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भारत में फ़्री निरोध कंडोम की ग़ैरकानूनी बिक्री

९ फ़रवरी २०१०

भारत में मुफ़्त में बांटे जाने वाले निरोध कंडोम को विदेशी ब्रांड बताकर बेचा जा रहा है. कुछ लोग निरोध कंडोम की दोबारा पैंकिंग कर रहे हैं और फिर विदेशी कंडोम बताकर बेच रहे हैं. लाखों रुपये का गै़र कानूनी व्यापार सामने आया.

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देसी कंडोम की विदेशी पैकिंग से चांदीतस्वीर: Condomi

भारत में एड्स की बीमारी से लड़ने के लिए सरकारी अस्पतालों में मुफ़्त में मिलने वाले निरोध कंडोम ग़ैर कानूनी ढंग से बेचे जा रहे हैं. जांच में पता चला है कि जयपुर, इंदौर और रांची जैसे बड़े शहरों में इन्हें धड़ल्ले से बेचा जा रहा हैं. नाम न बताने की शर्त पर यह काम करने वाले एक शख़्स ने कहा, ''कई फ़ैक्ट्रियों में ऐसी मशीनें हैं, जहां एक दिन में एक लाख कंडोमों की दोबारा पैकिंग कर दी जाती है.''

निरोध कंडोम जयपुर में स्वीट वार और ट्राइकॉन इम्पैक्स नाम से बिक रहे हैं. इस धंधे का पर्दाफाश करने वाले शख़्स ने ऐसे ही एक पैकेट को फाड़कर कंडोम निकाला और दिखाया कि उस पर सरकारी कंपनी हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड कंपनी का कोड H9F दर्ज था. उस शख़्स के मुताबिक H का मतलब हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड है, 9 का मतलब साल 2009 से है और F का अर्थ मुफ़्त सप्लाई से है.

इससे साफ़ है कि कैसे सरकार और एड्स जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की उसकी योजनाओं को चूना लगाकर निरोध कंडोम दूसरे नाम से बेचे जा रहे हैं. जयपुर में ऐसे ही कंडोम बेचने वाले एक दूकानदार ने कहा, ''मेरे पास इन कंडोमों की कुछ पेटियां और हैं. अक्सर ज़रूरत के वक्त मैं तीन कंडोम वाले एक पैकेट को 15 रुपये में बेचता हूं.''

इससे पहले 2006 में भी पुलिस ने महाराष्ट्र में एक फ़ैक्ट्री में छापा मारा और 20 लाख निरोध कंडोम ज़ब्त किए. तब से ही भारत में सरकारी योजनाओं के तहत मुफ़्त बांटे जाने वाले कंडोमों पर कोडिंग का सिस्टम लागू हैं. सरकारी अधिकारियों ने भी निरोध कंडोम के ग़ैर कानूनी व्यापार की बात क़बूल की है. उनका कहना है कि 1998 में सीबीआई और केंद्रीय निगरानी आयोग को इस मामले में जांच करने के लिए कहा गया था.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार