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भारत में सियासी गहमाहमी के बीच मतगणना पर नजरें

अशोक कुमार
२२ मई २०१९

डेढ़ महीने तक चली चुनावी प्रक्रिया के बाद आखिरकार वह घड़ी आ पहुंची है जब सबसे बड़े लोकतंत्र का जनादेश सामने आने वाला है. हालांकि नतीजे आने से कई दिन पहले ही सियासी गहमागहमी शुरू हो चुकी है.

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Electronic Voting Machines Indien
तस्वीर: picture alliance/NurPhoto/D. Chakraborty

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने भारतीय जनता पार्टी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया ताकि वह सत्ता में बनी रहे. दूसरी तरफ, तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राज्यस्थान के विधानसभा चुनावों में मिली कामयाबी के बाद कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरी.

बीजेपी को मोदी की लोकप्रियता और अपने अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति पर भरोसा है और वह फिर एक बार मोदी सरकार को लेकर विश्वस्त है. एक्जिट पोल्स में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में लौटने की भविष्यवाणियां की गईं. जाहिर है कांग्रेस ने उन्हें खारिज ही किया और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को 'जनता के फैसले' का इंतजार है.

इस बीच, वोटों की गिनती से पहले ईवीएम बदलने जाने की कथित कोशिशों से चुनावी प्रक्रिया को लेकर कई लोग संदेह जता रहे हैं. चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान भी चुनाव आयोग लगातार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहा.

Indien EVM Elektronische Wahlautomaten
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/V. Bhatnagar

लेकिन इस चुनाव में शायद सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की रही, जहां दशकों से एक दूसरे को पानी पी पीकर कोसने वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन कर मैदान में उतरने का फैसला किया. केंद्र और राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए इससे एक बड़ी चुनौती माना गया. उत्तर प्रदेश और बिहार में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान होने की अटकल हर कोई लगा रहा है. लेकिन जिन राज्यों में बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है उनमें पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा खास का नाम लिया जा रहा है.

 वैसे सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस ने पहले ही नए सहयोगियों को अपने पक्ष में करने की कवायद शुरू कर दी है. खास तौर से कांग्रेस बीएसपी-एसपी गठबंधन के नेताओं को काफी भाव दे रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि वह हर कीमत पर नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मोदी विरोधी खेमे में नजर आते हैं.

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