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भ्रष्टाचार के खिलाफ दौड़

४ मार्च २०१३

अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दौड़ का आयोजन किया जा रहा है. तारिक एखतिदारी मैराथन रेस कराते हैं, जिसमें जीतने वालों को कोई पुरस्कार नहीं मिलता, बल्कि दादागिरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज सुनी जाती है.

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तस्वीर: DW

एखतिदारी बहुत मशहूर हैं. उम्र तो सिर्फ 25 साल है लेकिन उन्होंने टीवी में टैलेंट शो में भाग लिया जिसकी वजह से वह युवाओं में लोकप्रिय हो गए. लेकिन भ्रष्टाचार  के खिलाफ जंग ने उन्हें अफगानिस्तान में ही नहीं, विदेशों में भी चर्चित कर दिया. उनका मानना है जागरूकता के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है.

कैसे हुआ आयोजन

एक टीम के साथ उन्होंने अपने पहले मैराथन के लिए 500 युवाओं को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में इकट्ठा किया. मैराथन का मॉटो था 'रिश्वत देना या लेना स्वीकार नहीं है'. एखतिदारी ने अपनी टीम के साथ मैराथन में भाग लेने वालों के बीच टीशर्ट बांटे. उन पर भ्रष्टाचार के खिलाफ स्लोगन लिखे गए थे, "मेरा यह ख्याल था कि हम भागेंगे और इसके जरिए अपना संदेश भी फैलाएंगे. मेरा संदेश यह था कि हमको 2013 की शुरुआत उस लक्ष्य के साथ करनी चहिए कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे."

उनके पहले मैराथन में भाग लेने वाले लोग शायद 42 किलोमीटर की दूरी नहीं भागे होंगे. लेकिन काबुल की सड़कों पर लोगों ने इन युवाओं को देखा और समझने की कोशिश की कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. एखतिदारी ने साथ ही राजधानी के कुछ रेडियो स्टेशनों को भी अपनी योजना में शामिल किया. उन्होंने मैराथन की लाइव रिपोर्टिंग की और भाग लेने वाले युवाओं के इंटरव्यू भी किए. ऐसे में एक बहुत बड़े दायरे में मैराथन की सूचना प्रसारित हुई.

काबुल से संदेश

राजधानी काबुल में आयोजित किया गया पहला मैराथन बहुत सफल रहा. इसीलिए एखतिदारी ने फैसला किया कि वह अपना कैंपेन अफगानिस्तान के दूसरे प्रांतों में भी फैलाएंगे. ऐसे में उन्होंने छह मैराथन और आयोजित किए, बाल्ख, कंधार, हेरात, बादाखशान, बामियान और नंगरहर में. उन्होंने बताया, "कुल 3000 लोगों ने इन मैराथनों में भाग लिया यानी कम से कम 300 लोग तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं."

Afghanistan Anti-Korruption
तस्वीर: DW

मुश्किल चुनौती

वैसे एखतिदारी का संघर्ष आसान नहीं रहा. वह कहते हैं कि अफगानिस्तान ऐसा देश है, जहां बड़ों की ज्यादा बात सुनी जाती है और छोटों की कम. खास कर बड़ों के सामने रूढ़ीवादी समाज में आवाज उठाना मना है. ऐसा करने पर कहा जाता है कि "तमीज नहीं है" या बच्चों में संस्कार नहीं है.

साथ ही भ्रष्टाचार, दादागिरी और रिश्वत के मामलों में अकसर अफगान अधिकारी और प्रभावशाली कबायली नेता से जुड़े लोग रहते हैं. डर के मारे कोई उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाता है, फिर भी एखतिदारी का दावा है कि वह अपने अभियान को आगे बढाएंगे, "मुझे ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है और इस जड़ से बहुत सारी दूसरी समस्याएं पैदा होती हैं."

2012 में प्रकाशित भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की सूची में अफगानिस्तान को दुनिया भर में तीन सबसे भ्रष्ट देशों में बताया. सूची के अनुसार अफगानिस्तान से खराब स्थिति सिर्फ उत्तर कोरिया और सोमालिया की है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिसर्च के अनुसार करीब 50 फीसदी अफगान को रोजमर्रा के कामों के लिए रिश्वत देनी पड़ी.

रिपोर्टः मसूद सैफुल्लाह/पीई

संपादनः ए जमाल