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महिलाओं का सशक्तीकरण

१५ अप्रैल २०१३

पिछले हफ्ते फेसबुक साप्ताहिक प्रतियोगिता के अंतर्गत हमने आपसे पूछा था कि महिलाओं के सशक्तीकरण के प्रयास से समाज में सबसे बड़ा परिवर्तन क्या आ रहा है. हमें ढेरों जवाब मिले जिनमें से तीन विजेताओं का चयन किया गया है.

https://p.dw.com/p/18Fpu
Activists from India's main opposition Bharatiya Janata Party (BJP) shout anti-government and police slogans as they demand the resignation of The Delhi Chief Minister during a protest in New Delhi on December 19, 2012, following the gang-rape of a student. Indian police have arrested the driver of a bus after a student was gang-raped and thrown out of the vehicle, reports said, in an attack that has sparked fresh concern for women's safety in New Delhi. The attack sparked new calls for greater security for women in New Delhi, which registered 568 rapes in 2011 compared with 218 in India's financial capital Mumbai the same year. AFP PHOTO/RAVEENDRAN (Photo credit should read RAVEENDRAN/AFP/Getty Images)
तस्वीर: RAVEENDRAN/AFP/Getty Images

जानिए विजेताओं के नाम.....

1) सुरेश अग्रवाल, केसिंगा, जिला कालाहांडी, उड़ीसा से.....महिला सशक्तिकरण से दृष्टिगोचर होने वाला सबसे बड़ा परिवर्तन महिलाओं में आत्म सन्मान का भाव जागृत होना और सामाजिक व आर्थिक द्रष्टि से उनका स्वावलम्बी होना है.
2) अलीजा खान, अनूप शहर रोड, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से.....महिला सशक्तिकरण के प्रयास से समाज में पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक स्तर एवं शिक्षा के अलावा हर क्षेत्र में महिलाओं का बराबर सहयोग एवं उनकी भागीदारी होने से विकास के रूप में सबसे बड़ा परिवर्तन आ रहा है.

3) सुदेशना बसु, ग्राम बमनगर, जिला हुगली, पश्चिम बंगाल से.....मैं यह बोलना चाहूंगी कि महिलाओं के सशक्तीकरण में अभी भी कोई भारी परिवर्तन नहीं ला सका - खासकर ग्रामीण भारतीय महिलाओं की क्षेत्र में.

सभी विजेताओं को डॉयचे वेले की तरफ से बधाई!

कुछ अन्य प्रतिभागियों के विचार भी हम आपसे शेयर करते हैं .....

- आज की महिला एक नई शक्ति के रूप में उभर रही है और हमारे भारत की महिलायें और भी सशक्त होती जा रही है ये हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, चाहे वह राजनीति हो या मिडिया, विज्ञान, खेल, चिकित्सक एवं अन्य क्षेत्रों में भी अपनी अनोखी पहचान बना रही हैं. हमें आशा है कि समाज में इन्हें बराबर का दर्जा मिले.....मनोज कुमार यादव

- महिलाएं आज रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ कर खुद की संस्था चला रही हैं और गरीब व लाचार महिलाओं, बच्चों को सीधे मदद कर रही है.....शुभ मिश्रा

- महिला सशक्तिकरण के प्रयासों का परिणाम है कि आज ग्रामीण महिलाएं भी राजनीति, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अपनी अहम भागेदारी निभा रहीं हैं.एवरेस्ट से लेकर सागर की लहरों के साथ हिलोरे लेकर पुरूषों से किसी भी क्षेत्र में कम न आकंने का सदेश दे रही हैं..... अर्चना राजपूत

- महिलाओं के सशक्तिकरण में सबसे बड़ा परिवर्तन अब महिलाओं का सक्रिय रुप से अपने अधिकारों के लिए स्वयं मैदान में उतरना है. स्थिति अब पहले से उलट है जब महिलाओं के लिए आवाज कुछ जागरुक पुरुषों की तरफ से उठाए जाते थे..... रजनीश प्रकाश

- महिलाएं देश, समाज, परिवार के लिए अहम् योगदान दे रही है. राजनीति, अन्तरिक्ष, प्रशासनिक, मीडिया, न्यायायलय इत्यादि क्षेत्रों में महिलाओं की दमदार उपस्थिति समाज में क्रन्तिकारी बदलाव ला रहा है.....धर्मेश कुमार

- जो इन्सान महिलाओ की आज़ादी के लिए सडकों पर उतरते हैं वही इन्सान अपने घर में रहती महिलाओं को आज़ादी दें तो देश की तस्वीर बदल सकती है.....जाकिर हुसैन

- उपेक्षित महिलाऐ साहसी, आत्मनिर्भर एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई हैं. प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को बराबरी का दर्जा उनकी भागीदारी एवं सहयोग का होना सबसे बड़ा परिवर्तन है.....आबिद अली मंसूरी

- महिला सशक्तिकरण से सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की आवाज़ बुलंद होगी. उनके अधिकारों को ज्यादा तवज्जो दी जाएगी. लिंग-भेद के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा.....माधव शर्मा

- महिलाओं के सशक्तीकरण के प्रयास से समाज में महिलाओ का साहस बढ़ेगा लेकिन इससे कोई बड़ा परिवर्तन तब तक नही आयेगा जब तक उन पर हो रहे अत्याचार के विरोध में कड़ा और तेजी से फैसला करने वाला कानून नही बन जाता है.....पुनीत चौरसिया

- महिला सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह है कि महिलाओं को यह विश्वास हो चला है कि उनकी उन्नति हेतु पुरुष समाज के नेतृत्व की जरुरत नहीं है. स्वयं अपनी राह बनाती महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से दो दो हाथ करने में सक्षम हैं.....संतोष कुमार

- महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयास से समाज में आज महिलाएं आर्थिक, शैक्षणिक व वैचारिक स्तर पर आत्मनिर्भर हो रहीं हैं. इससे उनमें स्वनिर्माण व स्वनिर्णय की क्षमता बलवती हो रही है.....दिनेश पाहवा

संकलनः विनोद चड्ढा