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मानव मल के जरिए भी फैल सकता है कोरोना?

५ फ़रवरी २०२०

दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर फैली दहशत के बीच डॉक्टर यह पड़ताल कर रहे हैं कि क्या यह वायरस मानव मल के जरिए भी फैल सकता है, जैसा कि सार्स के वायरस के मामले में था.

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Schild einer Herren- und Damentoilette
तस्वीर: imago/eyevisto

अभी तक यही माना जाता है कि आम तौर पर कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में संक्रमण वाली छोटी छोटी बूंदों के जरिए फैलता है. लेकिन वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी की शी चेंगली प्रयोगशाला के रिसर्चरों को कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के मल में वायरस के आरएनए यानी राइबोन्यूक्लिक एसिड मिले हैं. यह वायरस फैलने के एक और तरीके की तरफ इशारा करता है.

चीनी रिसर्चरों के शोध नतीजों की पुष्टि अमेरिकी रिसर्चरों ने भी की है. अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के मल में भी वायरस के आरएनए मिले हैं. यह व्यक्ति हाल में चीन के वुहान से लौटा था.

चीन के शेनचेन स्वास्थ्य आयोग ने एक बयान में कहा है कि कोरोना के आरएनए की मौजूदगी से पता चलता है कि यह बीमारी मल में भी पहुंच रही है और वहां अस्तित्व में रह सकती है. आरएनए एक बायोमोलेक्यूल है जिसमें कुछ निश्चित प्रकार के वायरसों की अनुवांशिक जानकारी होती है, जैसे कि उसके जीन किस प्रकार के पदार्थों से बने हैं. वायरस से फैलने वाली कुछ बीमारियों के रोगाणु हमारे हाथों से मुंह में जा सकते हैं.

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ये रोगाणु बीमार व्यक्ति के मल या फिर उल्टी के सबसे छोटे अंशों के रूप में हमारे हाथों पर चिपके रह सकते हैं. फिर हाथों से ये आसानी से आपके मुंह तक पहुंच सकते हैं. बहुत थोड़े मामलों में यह संभव है कि रोगाणु पानी या फिर खाने के साथ मिलकर अंदर चले जाएं. मल सूख जाने के कई दिन बाद तक उसमें वायरस सक्रिय होते हैं. यहां तक कई दिनों तक पानी में रहने पर भी वे जीवित रह सकते हैं.

सार्स भी मल के जरिए फैला

चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक चौंकाने वाली सूचना यह भी दी है कि कोरोना वायरस के संक्रमित होने वाले व्यक्ति को दूसरे लक्षणों के साथ साथ डायरिया की शिकायत भी हो सकती है. चीनी शोधकर्ता इसलिए भी चौकन्ने हैं क्योंकि 2003 में जब सांस से जुड़ी बीमारी सार्स फैली थी, तब भी संक्रमित व्यक्ति के मल में उसके वायरस मिले  थे. 

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तस्वीर: Colourbox

तब सार्स का वायरस (खांसी और छींक से निकली) संक्रमित बूंदों के शरीर में जाने, संक्रमित व्यक्ति के मल मूत्र (मल, पेशाब, उल्टी, पसीना) और वायरस वाले खाने और पानी की वजह से फैल रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया था कि डायरिया से पीड़ित व्यक्ति के मल में चार दिन तक वायरस सक्रिय था. इससे पता चलता है कि बड़ी मात्रा में वायरस हमारे मल में पहुंच रहा है, जो संक्रमण को फैला रहा है.

रोगाणु मुक्त करें

चीन के गुआंजू में सदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर चांग चीवेई ने भी चेतावनी दी है कि टॉयलेट को फ्लश करने से वायरस हवा के छोटे छोटे कणों के रूप में फैल सकता है. चांग ने बीजिंग न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि इस तरह संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है कि संक्रमित लोगों या फिर संक्रमण का खतरा झेल रहे लोगों द्वारा इस्तेमाल होने वाले सभी टॉयलेट्स को संक्रमण से मुक्त और वहां की हवा को साफ किया जाए. हांगकांग के साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट का कहना है कि अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों को सावधानीपूर्वक खुद को बचाना होगा.

इसका मतलब है कि हमें अपने हाथों को लगातार साबुन से धोते रहना जरूरी है. इस बारे में अभी अध्ययन हो रहे हैं कि क्या वायरस वाकई पाचन तंत्र मौजूद है और मानव मल से यह दूसरे लोगों तक फैल सकता है. चीन के एक रिसर्चर फेंग लुचाओ कहते हैं, "अभी और रिसर्च करनी होगी तभी हम इस पुष्टि कर पाएंगे कि यह वायरस मल के जरिए फैलता है या फिर हवा में बनने वाली छोटी छोटी बूंदें भी इस वायरस को आगे बढ़ाती है या नहीं."

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