1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोरोना से लड़ाई में भारत-यूरोप का सहयोग

१५ अप्रैल २०२१

कोविड-19 से लड़ाई में यूरोप भारत के साथ साझेदारी बढ़ाना चाह रहा है. भारत वैक्सीन बनाने के लिए यूरोप से बौद्धिक संपदा के मोर्चे पर रियायत चाह रहा है.

https://p.dw.com/p/3s3dA
Kombo-Bild Indien EU Flagge

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने बुधवार 15 अप्रैल को एक वर्चुअल सम्मेलन के दौरान कोविड-19 से लड़ाई में भारत के साथ सहयोग का वादा किया. इस साल वर्चुअल रूप से हो रहे बहुराष्ट्रीय सम्मलेन रायसीना डॉयलोग में हिस्सा लेते हुए मिशेल ने कहा, "भारत और यूरोप दोनों टीकों के बड़े उत्पादक हैं. हम सभी जानते हैं कि टीकों के उत्पादन को बढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. हम सबको एक दूसरे की जरूरत है: उदाहरण के तौर पर घटकों या कॉम्पोनेन्ट, उपकरणों और शीशियों के लिए."

भारत का क्या प्रस्ताव है?

भारत ने कोविड से जुड़े उत्पादों को हासिल करने के लिए बौद्धिक संपदा पर एक समझौते को कुछ समय के लिए रोक देने की मांग की है और इसमें उसने यूरोपीय संघ से समर्थन मांगा है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने कोविड संबंधित सामग्री के लाइसेंस देने की प्रक्रिया पर नियंत्रण रखने के लिए बौद्धिक संपदा के व्यापार से संबंधित आयामों समझौते (टीआरआईपीएस) को तैयार किया था.

वायरस की नई किस्मों के दुनिया भर में फैलने के बीच भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इस समझौते से छूट मांगी है, लेकिन अमीर देशों ने इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं दिया है. छूट की मांग करने वाले दोनों देशों का कहना है कि इससे विकासशील देशों में दवाएं बनाने वालों को जल्द असरदार टीके बनाने का मौका मिलेगा.

Palästina COVID-19 | COVAX Initiative | Ankunft der Impfstoffe
कोवैक्स पहल से 100 देशों को टीके उपलब्ध कराए गए हैं.तस्वीर: Ayman Nobani/Xinhua/picture alliance

यूरोपीय संघ का वैक्सीन बराबरी पर क्या रुख है?

इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश यह मानते हैं कि टीकों का बराबरी से वितरण बेहद आवश्यक है, लेकिन इस तरह की छूट से इस समस्या का समाधान मिलेगा या नहीं, इस पर सहमति नहीं बन पाई है. छूट देने के विरोधियों का कहना है कि वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कम समय के लिए भी इससे समस्या हल नहीं होगी.

अभी तक यूरोप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन समर्थित कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस (कोवैक्स) को समर्थन देने को वरीयता दी है और टीकों के पेटेंट अपने पास रखे हैं ताकि कंपनियां वैज्ञानिक शोध में निवेश करें. मिशेल ने कहा, "भारत और यूरोप दोनों टीकों के बड़े उत्पादक हैं.

कोवैक्स के जरिये दोनों कम आय और मध्यम आय वाले देशों को उनके टीकाकरण की कोशिशों में समर्थन दे रहे हैं. हम दोनों की मिली जुली कोशिशों की वजह से कोवैक्स ने पूरी दुनिया के 100 देशों में 3.8 करोड़ खुराकें पहुंचाई हैं."

Militärmanöver Malabar 2018 Indien Australien USA Japan
इंडो-पैसिफिक प्रांत की सुरक्षा में यूरोपीय संघ की रुचि है.तस्वीर: U.S. Navy/abaca/picture alliance

और किन क्षेत्रों में ईयू को भारत से सहयोग चाहिए?

मिशेल ने कहा कि ईयू और भारत के रहते यूरोप की भूराजनीतिक रणनीति के केंद्र में हैं. उन्होंने इंडो-पैसिफिक प्रांत की सुरक्षा में ईयू की रुचि भी व्यक्त की और कहा, "यह हमारे साझा हित में है कि हम दिखाएं कि लोकतांत्रिक और खुली व्यवस्था की दुनिया की चुनौतियों का मुकाबले करने के लिए सबसे शक्तिशाली व्यवस्था है."

संघ "ग्रीन ग्रोथ, सर्कुलर इकॉनमी और क्लीन एनर्जी" के जरिये जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत के साथ एक संयुक्त प्रयास भी चाह रहा है. भारतीय अधिकारियों ने भी एक बयान जारी कर ईयू के साथ और ज्यादा व्यापार के अवसरों की अपील की.

फराह अहमद

LINK: http://www.dw.com/a-57197087

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी