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डब्बा बंद दूध से शिशुओं में डेवलपमेंट डिसऑर्डर

२२ नवम्बर २०१८

अपने बच्चों की सेहत के लिए लोग बाजार से महंगा डब्बा बंद दूध खरीदते हैं. लेकिन अगर इसमें मिलावट की गई हो, तो यह शिशुओं के लिए जहर साबित हो सकता है. इससे बचिए.

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Frankreich - Lactalis - Rückruf von Babymilch-Produkten
तस्वीर: picture alliance/Photopqr/L'Alsace/J.-F. Frey

इमरान हाशमी की फिल्म 'टाइगर्स' देश और दुनिया में नवजातों या कम उम्र के बच्चों को पिलाए जाने वाले पैकेट में बंद दूध से होने वाली मौतों पर से पर्दा उठाती है, जिसने बाजारों में नवजातों या कम उम्र के बच्चों के लिए पौष्टिकता का दावा करने वाली कंपनियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. चिकित्सकों का कहना है कि पैकेट में बंद दूध से नवजातों या बच्चों में बड़ी आसानी से 'डेवलपमेंट डिसऑर्डर' भी हो सकता है.

नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टर लवकेश आनंद ने इस गंभीर मुद्दे पर समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, "नवजात या कम उम्र के बच्चों के लिए मिलावटी या पैकेट में बंद दूध बहुत नुकसानदायक है क्योंकि उनका शरीर प्रीमैच्योर होता है और किसी भी तरह की मिलावट का उनके हर अंग पर बुरा प्रभाव पड़ता है. खासतौर पर मस्तिष्क, गुर्दे और लीवर पर. उन्हें आसानी से डेवेलपमेंट डिसऑर्डर भी हो सकता है."

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई कि भारत में बिकने वाला करीब 10 प्रतिशत दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इस 10 प्रतिशत में 40 प्रतिशत मात्रा डब्बा बंद दूध की है, जो हर दिन के भोजन में इस्तेमाल में आता है. यह 10 प्रतिशत दूषित दूध वह है, जिसकी मात्रा में वृद्धि दिखाने के लिए इसमें यूरिया, वनस्पति तेल, ग्लूकोज या अमोनियम सल्फेट आदि मिला दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हैं.

डॉक्टर आनंद का कहना है कि भारत में मिलने वाले मिलावटी दूध में एंटीबायोटिक्स, कीटनाशक और एफ्लाटॉक्सिन एम1 नाम का रासायन भी मिलाया जाता है. मिलावटी दूध से व्यस्कों और बच्चों को होने वाली परेशानियों पर श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के डॉक्टर जीएस लांबा ने कहा, "मिलावटी दूध से होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि कंटैमिनेशन कैसा है. अगर दूध में बैक्टीरियल कंटैमिनेशन है, तो आपको फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, आंतों की सूजन, टाइफाइड, उल्टी, दस्त जैसे इंफेक्शन होने का डर होता है."

दूध में मिलाई गई चीजों से क्या मौत भी संभव है? इस पर डॉक्टर आनंद ने कहा, "व्यस्क के शरीर में मिलावटी दूध का सबसे अधिक असर गुर्दे पर पड़ता है. हालांकि इसका प्रभाव दिमाग पर भी हो सकता है. अगर इसका लंबे समय तक यानी कुछ सालों तक सेवन किया जाए, तो यह हमारे शरीर के लिए स्लो-डेथ जैसा हो सकता है क्योंकि इसका धीरे-धीरे पर लगातार लीवर और किडनी पर असर होता रहता है. इस नुकसान का पता तुरंत नहीं चलता."

पुष्पावती सिंघानिया हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में बच्चों की डॉक्टर अंजलि जैन ने इस बारे में कहा, "इस तरह के मिलावटी दूध में कुछ ऐसी केमिकल की मिलावट होती है, जिनसे कार्सिनोजेनिक समस्याएं भी हो सकती हैं. अगर आप करीब 10 साल तक इस तरह के दूध का सेवन करते हैं, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना हो सकती है."

डॉक्टर आनंद की राय है कि दूध खरीदते वक्त उस पर लगे ट्रेड मार्क पर ध्यान दिया जाए क्योंकि आम लोग इसी के जरिए पता लगा सकते हैं कि इसमें किसी तरह की मिलावट की गई है या नहीं.

जितेंद्र गुप्ता (आईएएनएस)

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